अटलांटिक चार्टर क्या है खास अटलांटिक चार्टर 2021 ? वैश्विक चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए अटलांटिक चार्टर – 2021  पर हस्ताक्षर किए गए।

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ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन वाइडन

अटलांटिक चार्टर क्या है 1941 अटलांटिक चार्टर में क्या था :-

 अटलांटिक चार्टर क्या है जब भी दुनिया पर मानव निर्मित या प्राकृतिक आपदाएं आई हैं सभी देशों ने मिलकर आपदा से निपटने की कोशिश की है। 14 अगस्त 1941 को अमेरिका और ब्रिटेन के बीच एक गोपनीय समझौता हुआ था। ब्रितानी प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल और अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलीन रुजवेल्ट के बीच कई दिनों तक चलने वाली एक उच्च स्तरीय बैठक हुई इस बैठक के बाद एक संयुक्त बयान जारी कर कहा गया कि ब्रिटेन और अमेरिका हिटलर के पतन के लिए मिलकर काम करेंगे। संयुक्त घोषणा को “अटलांटिक चार्टर” का नाम दिया गया था और इसमें 8 वचनों पर हस्ताक्षर किए गए –  क्षेत्रीय अधिकार, आत्म निर्णय की स्वतंत्रता, आर्थिक मुद्दों पर केंद्रित, निशस्त्रीकरण, नैतिक लक्ष्य जिसमें समुद्र की स्वतंत्रता, काम करने की इच्छा के लिए एक दृढ़ संकल्प ,खुला व्यापार, कहीं भी घूमने की आजादी , शांति का विस्तार शामिल किए गए थे।

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अटलांटिक चार्टर क्या है आज के चुनौतियां अलग लेकिन संकल्प एक :-

अटलांटिक चार्टर क्या है 1941 की चुनौतियां अलग थी और अभी की चुनौतियां अलग है पहले विश्व हिटलर की दमनकारी नीतियों से छुटकारा पाने के लिए और अब चीन के जैविक हथियार बनाने और उसके आक्रामक प्रवृत्ति से छुटकारा पाने के लिए प्रयत्न कर रहे हैं। आज की चुनौतियां अलग है, लेकिन संकल्प एक है। लेकिन कुछ मुद्दे ऐसे हैं जो तब भी थे और अब भी हैं जैसे- कुपोषण ,गरीबी , आर्थिक क्रियाएं , तकनीकी हस्तांतरण इत्यादि।

अटलांटिक चार्टर क्या है क्या है अटलांटिक चार्टर 2021 में :-

अटलांटिक चार्टर क्या है ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन वाइडन ने 10 जून को कार्नवाल  के कार्विस वे के समुद्र तटीय रिसॉर्ट में बैठक की और एक नए अटलांटिक चार्टर पर  हस्ताक्षर किए ।

उद्देश्य – वर्तमान वैश्विक चुनौतियों पर एक साथ काम करना जिससे सारी दुनिया के देशों को चुनौतियों से सामना करने की ताकत मिले और उससे निपटे। कोरोना महामारी का दुनिया के देशों में जो समस्याएं उत्पन्न हुई है उनसे सभी देशों को एक साथ  निपटना।

अटलांटिक चार्टर क्या है दोनों देशों में कोरोना वायरस को हराने में सहयोग पर सहमति जाहिर की। यूके और यूएस यात्रा को फिर से शुरू  करने, व्यापार को बढ़ावा देने के सहयोग किया जाना है। अमेरिकी  और बिटिश तकनीकी फर्मों के बीच सहयोग को सुविधाजनक बनाने का प्रयास  किया जाना है। रूस और चीन अपनी आक्रामकता बढ़ाते जा रहे हैं उन्हें कैसे रोकना है इस बात पर भी ध्यान देना पड़ेगा इसके लिए पश्चिमी सहयोगियों को एकजुट करने का प्रयास करना पड़ेगा। चीन ,दक्षिण चीन सागर पर अधिपत्य, कोरोना वायरस ,हांगकांग का मुद्दा ,कर्ज देकर देश  अधिपत्य करने की नीति, परमाणु हथियारों के जखीरे बढ़ाने का मुद्दा । के लिए जिम्मेदार है इसलिए दुनिया के सभी देशों को एक साथ आना पड़ेगा और चीन के आक्रामक व्यवहार पर लगाम लगानी पड़ेगी।

अटलांटिक चार्टर क्या है अमेरिका ने कहा है कि लगभग 100 गरीब देशों को 500 मिलियन फाइजर बायोएनटेक कोविड वैक्सीन की खुराक दान करेगा। जॉनसन के द्वारा भी 2022 के अंत तक दुनिया के प्रत्येक व्यक्ति को वैश्विक सहयोग की मांग की गई है। G7 की 47वें  शिखर की बैठक , जिसकी अध्यक्षता  बिट्रेन ने की है। ए बैठक 12 जून से 13 जून तक होनी है जिसमें ब्रिटेन , फ्रांस ,कनाडा जर्मनी , जापान , इटली , यूएस देश शामिल है। इस बैठक में विशेषता कोरोना वायरस पर विशेष चर्चा होगी। Biden G-7 की बैठक में संगठनों को शामिल करेंगे ही करेंगे साथ में आने वाले समय में नाटो और यूरोपीय संघ के नेताओं से मुलाकात करेंगे और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी मुलाकात करेंगे।

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