अटल बिहारी बाजपेई : सरकारें आएंगी जाएंगी मगर यह देश रहना चाहिए ,देश का लोकतंत्र अमर रहना चाहिए ।

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अटल बिहारी बाजपेई

  अटल बिहारी बाजपेई जी का आरंभिक जीवन :-

अटल बिहारी बाजपेई जो भारत के प्रधानमंत्री थे उन्होंने 1996 में 13 दिनों के लिए प्रधानमंत्री पद संभाला 1998 में 13 महीनों के लिए और 1999 से 2004 तक पूरा कार्यकाल प्रधानमंत्री पद पर रहे। अटल बिहारी बाजपेई वर्तमान की हिंदू मुस्लिम राजनीति और पाकिस्तान को गाली देकर वोट की भीख मांगने में विश्वास नहीं रखते थे।

अटल बिहारी बाजपेई अपने पूरे राजनैतिक जीवन में 10 बार लोकसभा सदस्य चार अलग-अलग राज्यों से और दो बार राज्यसभा के सदस्य हुए। अटल बिहारी बाजपेई का जन्म 25 दिसंबर 1924 में ग्वालियर में हुआ था। उत्तर प्रदेश में आगरा जिला के प्राचीन स्थान बटेश्वर की मूलनिवासी पंडित सुरेश ने बिहारी बाजपेई मध्य प्रदेश के ग्वालियर रियासत में अध्यापक  थे। उनकी मां का नाम कृष्णा बाजपेई था ।अटल जी की शिक्षा महारानी लक्ष्मीबाई शासकीय उत्कृष्ट महाविद्यालय में जिसका नाम उस समय विक्टोरिया कॉलेज रहा करता था, में हुई। अटल जी ने राजनीति विज्ञान में m.a. किया सन 1993 में कानपुर विश्वविद्यालय द्वारा दर्शनशास्त्र में पीएचडी की मानद उपाधि से सम्मानित किए गए। अटल जी का संबंध हिंदुत्व की विचारधारा तथा आर एस एस के सक्रिय सदस्य और सन 1951 में गठित राजनीतिक दल भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य थे। गांधीवादी धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ उन्होंने अपनी पहचान बनाई लेकिन यह दक्षिणपंथी  पहले ऐसे नेता थे जो उदारवादी थे और जो सबको साथ लेकर चलने में यकीन रखते थे।

अटल जी के राजनीतिक जीवन का अच्छा सफर :-

अटल जी ऐसे प्रधानमंत्री थे जिन्होंने अपने राजनीतिक मुद्दे में देश  के ऐसे जरूरी मुद्दों को रखा जो आज भी जरूरी है। अटल बिहारी बाजपेई ने पीने के पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली पर अधिक ध्यान केंद्रित किया। और इन जरूरी मुद्दों को उन्होंने सिर्फ और सिर्फ चुनाव जीतने के लिए नहीं बल्कि इन्हें बहुत हद तक जमीनी स्तर पर उतारा भी। अटल बिहारी बाजपेई जी के काम को हम बिंदु बार देख सकते हैं-

1- education was declared a fundamental right 2001 – अटल जी ने अपने राजनीतिक मुद्दों में शिक्षा को प्रमुख स्थान दिया और 6 से 14 साल के बच्चों के लिए निशुल्क शिक्षा का  प्रावधान किया अटल जी की इस योजना को ” सर्व शिक्षा अभियान ” कहा गया।

अटल बिहारी बाजपेई ने शिक्षा पर अधिक जोर दिया

2- Science and Technology policy 2003 – जब से हमारा देश आजाद हुआ था तब से लेकर तब तक यह तीसरी साइंस के ऊपर पॉलिसी थी इसमें वैज्ञानिकता को बढ़ावा दिया गया था और रिसर्च एंड डेवलपमेंट को प्रमोट किया गया था 2003 में भारत की जीडीपी का 1.1% वैज्ञानिक रिसर्च में खर्च किया जाता था अटल बिहारी बाजपेई ने वादा किया था कि 2007 तक जीडीपी का दो परसेंट रिसर्च में खर्च किया जाएगा लेकिन फिर वह प्रधानमंत्री नहीं बन पाए फिर केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनी और फिर यह नंबर नीचे चला जा रहा है और 2018 में यह नंबर 0.69 प्रतिशत बचा है।

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पोखरण में परमाणु परीक्षण 2

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निराशाजनक बात यह है कि वर्तमान में विज्ञान और टेक्नोलॉजी पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है सम्मानित सबसे बड़े पद पर बैठे हुए नेता भी ऐसा तर्क देते हैं कि विज्ञान भी कहे कि मुझे चुल्लू भर पानी मिल जाए तो मैं डूब कर मर जाऊं। लेकिन अटल जी के समय पर नेता शिक्षित हुआ करते थे जिन्हें विज्ञान क्या होता है पता होता था अटल जी के समय पर पोखरण सेकंड न्यूक्लियर टेस्ट भी  किया गया था। भारत की तरफ से स्पेस में जाने वाला चंद्रयान 1 जो कि पहला स्पेसक्राफ्ट था  2008 में गया था इसका अप्रूवल अटल जी ने ही दिया था।

3- Golden Quadilatrel Highway project – यह देश का सबसे बड़ा हाईवे नेटवर्क था इसकी कुल लागत 50000 करोड़ रुपए पड़ी थी। अटल जी ने एक और काम बहुत अच्छा किया था कि देश के गांवों को सड़कों द्वारा मुख्य सड़क से जोड़ना जिससे बड़ा ही सकारात्मक प्रभाव पड़ा।

गोल्डन क्वॉड्रिलैटरल

4-  Delhi Metro project was approved – दिल्ली मेट्रो जो दिल्ली के सबसे अधिक सक्सेस प्रोजेक्ट में से एक है उसको अप्रूवल अटल जी ने ही दिया था।

5- Steady economic GDP growth (6-8) :- वर्तमान की जीडीपी की दुर्दशा को ध्यान में रखते हुए अटल जी के समय की जीडीपी को ध्यान में रखते हैं तो जमीन आसमान  का नहीं आकाश पाताल का फर्क नजर आता है। ऐसा नहीं है कि उस समय बहुत अच्छा खुशहाल देश था किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं थी। उस समय भी देश में समस्याएं लेकिन समस्याओं का हल करने वाले योग्य व्यक्ति देश की सत्ता में थे। अटल जी के समय पर पार्लियामेंट अटैक ,गुजरात में भूकंप आए थे जिससे बहुत ही जान माल की हानि हुई थी और चक्रवात भी आए थे वर्ल्ड ऑयल  क्राइसिस , 9/11 का अटैक और कारगिल युद्ध हुआ था तो जीडीपी नीचे गिर सकती थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

6- Foreign policy– अटल बिहारी बाजपेई की सबसे बड़ी उपलब्धि सभी को साथ लेकर चलना। अटल बिहारी बाजपेई सभी को साथ लेकर चलते थे और उन्होंने पाकिस्तान और भारत के रिश्ते को भी अच्छा करने की कोशिश की अटल जी किसी भी देश को दुश्मन देश नहीं मानते थे चीन के साथ भारत के काफी सारे territorial Disputes थे जो इन्होंने रिजॉल्व किए। और इंडिया और चीन के व्यापार को भी बढ़ावा दिया।

7- free and fair elections in Kashmir for the first time – अटल जी के कार्यकाल में पहली बार कश्मीर में फ्री और फेयर इलेक्शन हुए थे। जिसमें ना गोलाबारी और ना किसी का खून  खराबा शांतिपूर्ण चुनाव हुए थे। भारत-पाकिस्तान के रिश्तो को सही करने की कोशिश किया करते थे अटल जी 1999 में इन्होंने दिल्ली से लाहौर तक एक बस सर्विस चलाई जिसमें खुद बैठकर लाहौर  गए । लेकिन जब अटल बिहारी बाजपेई बस यात्रा कर रहे थे तो उस समय पाकिस्तान की सेना भारत के कारगिल क्षेत्र में घुस चुकी थी लेकिन कारगिल युद्ध के बाद भी अटल बिहारी वाजपेई ने रिश्तो को सही करने की कोशिश की। पाकिस्तान ही नहीं सभी पड़ोसी देशों के साथ अटल जी अच्छे रिश्ते बनाने की कोशिश करते थे।

अटल बिहारी बाजपेई द्वारा चलाई गई दिल्ली से लाहौर तक बस सर्विस

8- Personality – अटल जी के व्यक्तित्व का अंदाजा हम ऐसे  लगा सकते हैं कि वह  विपक्षी नेताओं  का भी सम्मान किया करते थे । अटल जी अच्छे कामों पर विपक्ष की भी तारीफ करते थे और गलत काम पर अपने ही पार्टी की आलोचना कर देते थे। जब बाबरी मस्जिद का ढांचा ढाया जा रहा था तो एक रिपोर्टर ने अटल जी से पूछा कि वहां ( बाबरी मस्जिद ) क्या चल रहा है तो अटल बिहारी बाजपेई ने बड़े ही व्यथित मन से कहा था कि ‘ चल रहा है कुछ खोदा खादी ‘ क्योंकि उन्हें अपनी पार्टी का यह निर्णय अच्छा नहीं लगा था। उस समय के नेता प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव  ने अटल जी को भारत का पक्ष रखने के लिए विरोधी दल के नेता होने के नाते जेनेवा भेजा था और पाकिस्तानी  उन्हें देखकर आश्चर्यचकित रह गए उन्होंने कहा यह कहां से आए हैं क्योंकि उनके यहां विरोधी दल का नेता ऐसे राष्ट्र के कारण मैं भी सहयोग देने के लिए तैयार नहीं होता और हर जगह अपनी सरकार को गिराने के काम में लगा रहता है। अटल जी ने कहा यह हमारी परंपरा नहीं है यह हमारी प्रकृति नहीं है और हम चाहते हैं कि यह परंपरा बनी रहे यह प्रकृति बनी रहे ।“सत्ता का खेल तो चलेगा क्योंकि सरकारें आएंगी जाएंगी पार्टियां बनेगी और बिगड़ेगी मगर एक देश रहना चाहिए देश का लोकतंत्र अमर रहना चाहिए”।

एक अच्छे नेता के साथ साथ के अच्छे कवि भी थे अटल बिहारी बाजपेई

अटल बिहारी बाजपेई ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि “सभी को साथ लेकर चलना जरूरी है वरना आप इतने विशाल और  विविधता से पूर्ण देश में कुछ नहीं कर सकते”

अटल जी ने 100 साल  से भी ज्यादा पुराने कावेरी जल विवाद को सुलझाया संरचनात्मक ढांचे के लिए कार्य दल सॉफ्टवेयर विकास के लिए सूचना एवं प्रौद्योगिकी कार्य दल विद्युतीकरण में गति लाने के लिए केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग का गठन किया

राष्ट्रीय राजमार्ग एवं हवाई अड्डों का विकास नई टेलीकॉम नीति तथा कॉपर रेलवे की शुरुआत करके बुनियादी संरचनात्मक ढांचे को मजबूत करने वाले कदम उठाएं

उड़ीसा के  सर्वाधिक निर्धन  क्षेत्र के लिए सात सूत्रीय निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रम चलाया ।

अटल बिहारी बाजपेई जी के कार्यकाल में लिंचिंग, लव जिहाद , भीड़ तंत्र कभी नहीं  हुआ। अटल जी अपने विपक्षी नेताओं का सम्मान करते थे और विपक्ष के नेता भी अटल जी का सम्मान करते थे यह शालीनता उस समय के  राजनेताओं में थी।

अटल जी के राजनीतिक जीवन के आलोचनात्मक को बिंदु :-

अटल बिहारी बाजपेई एक बहुत अच्छे, प्रभावपूर्ण, वाकपटुता में संपन्न प्रगतिशील प्रधानमंत्री थे। लेकिन 100 फ़ीसदी अच्छा तो कोई भी नहीं होता है वैसे ही अटल जी के हाथों ऐसे निर्णय हुए हैं जो नहीं होना चाहिए-

बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा जब गिरा तो उन्होंने  विवादित बयान दिया । अटल जी ने अपने भाषण में कहा कि ” भजन कीर्तन खड़े खड़े नहीं हो सकते ,कब तक खड़े रहेंगे वहां नुकीले पत्थर निकले हैं उन पर तो कोई नहीं बैठ सकता तो जमीन को समतल करना पड़ेगा ,बैठने लायक बनाना पड़ेगा।”  यह भाषण अटल बिहारी बाजपेई द्वारा दिया गया था जो कि निंदनीय है भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के लिए।

अटल पर आरोप लगता रहा है कि भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उन्होंने एक माफीनामा आया  कुबूल नामा कहिए वह दिया था  कि इसमें उनका कोई रोल नहीं था ग्वालियर में  एक जो मीटिंग चल रही थी  स्वतंत्रता को लेकर, उनका कोई रोल नहीं था लेकिन ये संदेह के दायरे में रखे हैं ।

जब गुजरात में गोधरा में जो हुआ था गोधरा के बाद जो हुआ जब गुजरात के मुख्यमंत्री जो वर्तमान में अभी प्रधानमंत्री हैं नरेंद्र मोदी  तो अटल जी वहां गए  तो ऐसी उम्मीद की गई थी कि यह कड़ा एक्शन लेंगे और सीएम को यानी मोदी जी को पद से हटा देंगे लेकिन इन्होंने नसीहत की बात रखी और कोई कड़ा एक्शन नहीं लिया अटल जी ने कहा  राज धर्म निभाना चाहिए तो मोदी जी ने कहा वही तो कर रहे हैं साहब और बात खत्म ।

जब आतंकवादियों ने हमारे देश का एरोप्लेन हाईजैक कर लिया था तो अटल जी को सैद्धांतिक निर्णय लेना चाहिए था कि हम आतंकवादियों को बिल्कुल भी नहीं  बक्शेगे । लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया 1999 में एरोप्लेन को हाईजैक कर लिया गया जिसके बदले में मसूद अजहर जैसे आतंकवादियों को हमें छोड़ना पड़ा हमारे विदेश मंत्री खुद गए थे कांदा हार आतंकवादियों को  छोड़ने के लिए।

अटल जी की टिप्पणियां :-

अटल बिहारी बाजपेई ऐसे नेता थे जो गलत व्यक्ति को गलत और अच्छे व्यक्तियों की प्रशंसा बड़ी बेबाकी से करते थे भले ही वह विपक्ष का क्यों ना हो वह देश से ऊपर किसी को नहीं मानते थे सत्ता को भी नहीं –

” भारत को लेकर मेरी एक दृष्टि है ऐसा भारत  जो भूख, भय, निरक्षरता और अभाव से मुक्त हो “

” क्रांतिकारियों के साथ हमने न्याय नहीं किया, देशवासी महान क्रांतिकारियों को भूल रहे हैं ,आजादी के बाद अहिंसा के अतिरेक के कारण यह सब हुआ है।”

” मेरी कविता जंग का ऐलान है पराजय की प्रस्तावना नहीं वह हारे हुए सिपाही का नैराश्य नाम है जूझते युद्ध का जो संकल्प है वह मेरा ताकतवर नहीं आत्मविश्वास का  जय घोष है।

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