WHO: कोविड-19 को लेकर लोगों के मन में सिर्फ एक ही सवाल है कि आखिर यह खत्म कब होगी। इन सवालों के बीच WHO (World Health organisation) के निर्देशक ने यह बड़ा बयान दिया है। WHO निर्देशक डॉक्टर टेड्रस अधनोम घेब्रेसियस ने यह कहा है कि इस महामारी से वर्ष 2022 के अंत तक निजात मिल सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना महामारी से अगर दुनिया को निजात पाने में संक्रीर्ण राष्ट्रवाद तथा वैक्सीन की जमाखोरी इसमें बाधा बन सकती है। डॉक्टर टेड्रस ने यह कहा कि वैक्सीन की असमानता जितनी ज्यादा रहती है, वायरस की विकसित होने का जोखिम भी उतना ही ज्यादा होता है।
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भारत समेत कई देश ऐसे हैं। जहां पर 70 प्रतिशत से अधिक लोग पूरी तरह से वैक्सीनेट हो चुके हैं, और दुनिया के कई देश ऐसे भी हैं। जहां पर सिर्फ एक प्रतिशत आबादी को ही कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लगी है। हैती, बुरुंडी, चाड और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक आफ कोन्गो जैसे देशों में पूरी तरह से वैक्सीनेट लोगों की आबादी 1 फ़ीसदी से भी कम है। इस पर चिंता जाहिर करते हुए डॉक्टर टेड्रस ने यह कहा है कि इस असमानता से निपटने के बाद ही हम एक सामान्य जीवन में वापस लौटने की कल्पनाएं कर सकते हैं।
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Omicron के मामले दुनिया भर में बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। ओमीक्रोन वैरीअंट को लेकर डॉक्टर टेड्रस ने यह कहा कि ताजा आंकड़े बताते हैं कि अस्पतालों में दाखिल कोविड-19 के 80 प्रतिशत से ज्यादा मामले वह हैं जिन्हें बूस्टर डोज नहीं दिया गया है। यूके हेल्थ सेक्रेटरी एजेंसी (UKHSA) के अनुसार अस्पताल में दाखिल म्युटेंट्स स्ट्रेन के 815 मामले में से 608 को वैक्सीन का बूस्टर डोज अभी नहीं दिया गया है। जबकि नया डेटा बताता है कि बूस्टर डोज से Omicron में हॉस्पिटलाइजेशन का जोखिम 88 प्रतिशत तक कम हो सकता है।