Whale Fish वैसे तो मछली पकड़ने को फिशिंग या मछली पकड़ना कहते हैं लेकिन ह्वेल मछली को पकड़ने के काम को ह्वेलिंग कहते हैं। ह्वेल स्तनधारी समुद्री जीव है और ह्वेल मछली अंडे ना देकर बच्चों को जन्म देती है ह्वेल मछली को 2 भागों में बांट सकते हैं –
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(1) दांत वाली ह्वेल – इस मछली को लोग को कातिल ह्वेल भी कहा जाता है। दांत वाली ह्वेल में सबसे खतरनाक होती हैं । इनका आहार सील ,सूंस , पेंग्विन तथा अन्य छोटी ह्वेल होती हैं । स्पर्म ह्वेल प्रमुख प्रजाति है। यह उष्णकटिबंधीय एवं शीतोष्ण कटिबंधीय सागरीय क्षेत्रों में पाई जाती है। यह ह्वेल 18 मीटर तक लंबे और इसका वजन 35 टन तक हो सकता है।
( 2) दंत विहीन ह्वेल – दंत विहीन ह्वेल को समान रूप से बलीन ह्वेल मछली कहते हैं। Whale Fish नीली ह्वेल , हम्पबैक ह्वेल , भूरी ह्वेल , सेई , मिंक आदि सभी दंत विहीन Whale Fish की प्रजातियां हैं । नीली ह्वेल उपोष्ण कटिबंध ही गर्म सागरीय जल में शरद काल में प्रजनन करती है तथा अपना आहार ग्रहण करने के लिए ग्रीष्म काल में ध्रुवीय क्षेत्रों में चली जाती है। नीली ह्वेल विलुप्ती की कगार पर है क्योंकि मछुआरे नीली ह्वेल का सीमा से अधिक शिकार करते हैं।
Whale Fish का शिकार कई प्रकार के उत्पाद और पदार्थों की प्राप्ति के लिए किया जाता है। ह्वेल मछली से खाने के लिए मांस एवं चर्बी का निर्माण किया जाता है। ह्वेल मछली के चर्बी से प्रकाश तथा खाने के लिए तेल आदि का निर्माण किया जाता है । स्पर्म ह्वेल के तेल का उपयोग कारखानों में स्नेहक के रूप में और साबुन तथा प्रशासन की सामग्री बनाने के लिए किया जाता है। ह्वेल का मांस पशुओं के आहार के रूप में प्रयोग किया जाता है। उर्वरक बनाने के लिए भी मछली का उपयोग किया जाता है।
पहले जमाने हार्पून युक्त खुली नावों में शिकार किया जाता था जिस कारण Whale Fish पर कम संकट था। लेकिन तकनीकी के बढ़ने पर स्टीम ह्वेलर तथा पैलेजिक ह्वेलिंग विधि के प्रयोग से ह्वेल की कई प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर है क्योंकि इस तकनींक द्वारा ह्वेल का शिकार करने में बहुत आसानी हो गई है। बड़ी बलीन ह्वेल का सर्वाधिक शिकार हुआ है। इसके बाद नीली ह्वेल ,हम्पबैक ह्वेल ,ग्रेह्वेल भी विनाश के शिकार हो गए हैं। जब नीली ह्वेल उपोष्ण कटिबंधी गर्म सागरीय जल में शरद काल में प्रजनन करती है तथा अपना आहार ग्रहण करने के लिए ग्रीष्म काल में ध्रुवीय क्षेत्रों में चली जाती है । मछुआरे इसी समय इनका शिकार करते हैं। लेकिन वर्तमान में वहीं खासकर अपने बच्चों के साथ मादा हुए उनके सरकार पर कई देशों ने स्वयं रोक लगा दी है तथा इनके संरक्षण के उपाय किए जा रहे हैं।