सरकार का आदेश, सरकारी कर्मचारी न करें Google Drive, Dropbox & VPN का उपयोग

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VPN: सरकार ने कर्मचारियों को थर्ड पार्टी वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क यानी कि VPN उपयोग करने से मना किया है। एक्सप्रेस वीपीएन, सुरफशार्क एवं नॉर्ड वीपीएन को भारतीय बाजार छोड़ने के लिए कहने के बाद से सरकार का फैसला आया है। भारतीय Computer Emergency Response Team (सर्टिफिकेट-इन) ने सरकारी कर्मचारियों को तीसरे पक्ष के सरकार का आदेश, सरकारी कर्मचारी न करें.

Google Drive, Dropbox & VPN का उपयोग का इस्तेमाल करने के साथ ही साथ गूगल ड्राइव, ड्रॉपबॉक्स जैसी गैर-सरकारी क्लाउड सेवाओं पर भी किसी प्रकार की आंतरिक तथा विश्वसनीय सरकारी फाइलों को अपलोड करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना विभाग ने यह कहा कि साइबर सुरक्षा की दृष्टि से सरकार द्वारा दिशा निर्देश जारी किए गए थे। आपको बता दें कि सरकार के आदेश में क्या लिखा था या फिर कौन लोग इन सेवाओं का उपयोग नहीं कर सकेंगे एवं आदेश के पीछे का क्या कारण है??

नया आदेश सरकार ने जारी किया

अभी हाल ही में Computer Emergency Response Team (Cert-In) & National Informatics Centre (NIC) ने एक नया आदेश भी जारी किया है। इकनॉमिक टाइम्स के मुताबिक इस देश में यह बताया गया है कि देश में VPN सर्विस प्रोवाइडर्स को किस प्रकार काम करना चाहिए। इस आदेश के नियमों को Ministry of Electronics and Information Technology (Meity) ने ही सेट किया है। हालांकि इनका उद्देश्य सरकार की सुरक्षा स्थिति को बेहतर बनाना है।

Google Drive, VPN का use यह लोग नहीं कर सकते

आप अगर यह सोच रहे हैं कि किन लोगों को इंसर्विसेज का उपयोग करने से रोका गया है। तो हम आपको इस बारे में बताते हैं कि यह आदेश खासकर केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए है। वह अब से Drive एवं Dropbox जैसी क्लाउड सर्विसेज पर गुप्त सरकारी फाइल्स को सेव नहीं कर सकेंगे।

Third Party App से सरकारी डॉक्यूमेंट को स्कैन करना मना

VPN

चूंकि इन कर्मचारियों को VPN सेवाओं को उपयोग करने की अनुमति भी नहीं है तथा CamScanner जैसे थर्ड पार्टी एप्स से सरकारी डॉक्यूमेंट्स को भी स्कैन करना मना है। यह कर्मचारी अपने डिवाइसेज को ‘रूट’ या ‘जेलब्रेक’ नहीं कर सकते हैं तथा यूनिफॉर्म साइबर सिक्योरिटी गाइडलाइंस का पालन करना भी अनिवार्य है। Ministry of State for Electronicsw and IT के Rajeev Chandrasekhar ने कहा है कि जो कंपनियां इन नई गाइडलाइंस को फालो नहीं करना चाहती हैं वह भारत से दूर जा सकती हैं।

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वीपीएन को लेकर क्या कहा सरकार ने??

इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की एजेंसी सीईआरटी पिछले हफ्ते ही अपने एक आदेश में यह कहा है कि VPN सेवा प्रदाताओं को अपने उपयोगकर्ताओं के नाम, ईमेल आईडी एवं आईपी ऐड्रेस सहित अन्नदाता को 5 साल या फिर उससे अधिक वक्त तक सेव करके रखना होगा। आदेश में यह कहा गया है कि यदि किसी भी वजह से किसी VPN कंपनी का रजिस्ट्रेशन रद्द होता है तो उसके बाद से भी उसे डाटा माना जा सकता है।

अगर सीधे शब्दों में यह कहें कि किसी भी VPN कंपनी के बंद या फिर बहन होने के बाद से भी उसे सरकार को डाटा देना होगा। VPN को लेकर नया कानून 28 जून 2022 से लागू हो रहा है। आदेश में ये कहां गया है कि सभी सेवा प्रदाताओं को अपने सिस्टम में अनिवार्य रूप से लॉगिन की सुविधा देनी चाहिए।



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