Phoolan Devi: Madhya Pradesh के चंबल क्षेत्र में एक वक्त था जब डाकू छिंद्दा सिंह का खौफ बोलता था। उसके नाम से ही लोग डरते थे। छिद्दा सिंह कुख्यात लालाराम के लिए किडनैपिंग का काम करता था। वर्ष 1981 में बेहमई कांड से पहले फूलन देवी के अपहरण में भी इनका नाम आया था। यह 50 हजार रुपए का इनामी अपराधी घोषित किया था।
हालांकि उनके भाई ने छिद्दा सिंह को मरा हुआ घोषित कर दिया। पुलिस को इस दावे पर यकीन नहीं हुआ तथा पुलिस का शक सही था। डाकू 24 वर्ष बाद अब पकड़ा गया।
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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चंबल में जब पुलिस प्रशासन डकैतों के खिलाफ हरकत में थी। तब छिद्दा पुलिस के हाथों से भाग निकला था। वो सतना में जाकर साधु बनकर रहने लगा। उसने अपना नाम भी बदल लिया। वो बृजमोहन दास महाराज के नाम से भगवत आश्रम में रहने लगा। 69 साल छिद्दा सिंह अभी तक अविवाहित हैं। उसकी तबीयत ठीक नहीं रहती। उसकी हालत ऐसी हो गई है कि वह ठीक से चल भी नहीं पाता।
मिली जानकारी के अनुसार छिद्दा सिंह अपने एक सहयोगी के साथ उत्तर प्रदेश से स्थित अपने घर भसोन पहुंचा था। इसकी सूचना पुलिस को लग गई। सूचना पाकर पुलिस मौके पर पहुंचकर छिद्दा को गिरफ्तार कर लिया। डाकू छिद्दा की तबीयत ठीक नहीं है। वो ठीक से चल भी नहीं पा रहा है इलाज के लिए उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
छिद्दा 20 वर्ष की उम्र में अपना घर छोड़ लालाराम गैंग में शामिल हो गया। वो उसके लिए किडनैपिंग का काम करता था। इसके अलावा भी फिरौती की रकम भी वसूल करता था। उस पर 2 दर्जन केस दर्ज हैं। उसके ऊपर वर्ष 2015 में 50 हजार रुपए का इनाम घोषित किया गया था। अब जाकर वो पुलिस की पकड़ में आया है।
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एक 10 वर्ष की लड़की जो अपने बाप की जमीन के लिए लड़ गई थी। या फिर एक बालिका वधू जिसका पहले उसके बूढ़े पति ने रेप किया, फिर श्री राम ठाकुर के गैंग ने। एक खतरनाक डाकू जिसने बड़ी बेहमई गांव के 22 लोगों को लाइन में खड़ा करके मार डाला था। उस चालाक औरत में जो शुरू से ही डाकुओं के गैंग में शामिल होना चाहती थी।
वह औरत जिसकी जिंदगी पर Film बना कर उनका बलात्कार दिखाने वाले शेखर कपूर ने उनसे पूछा भी नहीं था। या एक औरत जो खुद से ही मिलने आए, फैन शेर सिंह राणा को नागपंचमी के दिन खीर खिला रही थी। बिना ये जाने कि कुछ ही देर बाद में वह उसे मार देगा।