Bangladesh
Bangladesh: दुनिया में कई ऐसी प्रथाएं हैं जो सदियों पुरानी होकर और तमाम दोषों के बाद भी आज तक लोगों द्वारा मानी जा रही हैं । न सिर्फ भारत मे बल्कि पूरी दुनिया के किसी न किसी हिस्से में इस तरह की पुरातन रूढ़ियाँ चली आ रही हैं जिनपर बात करते हुए भी शर्म आती है । जहां एक ओर इंसान 21वीं सदी में नित विकास की ओर अग्रसर है वहीं दुनिया के किसी न किसी हिस्से में मानवता को शर्मसार करने वाली प्रथाएं आज भी मानी जा रही हैं । कुछ ऐसी ही प्रथा बांग्लादेश में एक जनजाति में सदियों से चली आ रही है ।
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भारत के पड़ोसी देश Bangladesh में एक ऐसी जनजाति रहती है जो आज भी सदियों पुरानी परंपरा को मानती चली आ रही है । बांग्लादेश के दक्षिण पूर्व जंगल मे निवास करने वाली मंडी जनजाति में आज भी यह प्रथा चली आ रही है जिसे कुप्रथा कहना ज्यादा उचित होगा । इस जनजाति में कम उम्र की विधवा से शादी करने वाला व्यक्ति आगे चलकर अपनी सौतेली बेटी से शादी करके उसका पति बन जाता है ।
पहले तो वह पुरूष अपनी नवजात बेटी को पाल पोस कर बड़ा करता है फिर बेटी के बालिग़ होते ही पिता उससे शादी कर लेता है । यह इस जनजाति की सदियों से चली आ रही प्रथा है जिसे उस बेटी को भी मानना पड़ता है ।
सदियों पुरानी इस प्रथा को मानने के पीछे आधार यह है कि सौतेला पिता अपनी बेटी और पत्नी दोनों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करेगा । हालांकि 21 वीं सदी में ये बातें बेमानी साबित होती हैं । जानकारी के अनुसार यदि कोई लड़की कम उम्र में ही विधवा हो जाती है और उसके पहली शादी से कोई लड़की है तो जिस मर्द से उसकी दोबारा शादी होती है उसे यह वचन देना पड़ता है कि पहली शादी से जो नवजात बच्ची है जब वह बड़ी हो जाएगी तो सौतेला पिता उससे शादी करेगा । यह अजीबोगरीब प्रथा इस मंडी जनजाति में आज भी प्रचलित है ।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार Bangladesh की मंडी जनजाति से जुड़ी एक महिला जो कि स्वयं इस कुप्रथा से पीड़ित रही है उसने इस कुप्रथा का खुलासा किया है । उसने बताया कि मंडी जनजाति में यह प्रथा पीढ़ियों से चली आ रही है । पीड़िता ने बताया कि जब वह बच्ची थी तब उसके पिता की मृत्यु हो गयी थी । बाद में उसकी मां की दूसरी शादी जिस व्यक्ति से हुई उसे वह अपना पिता मानने लगी ।
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जब तक वह बड़ी नहीं हुई तब तक वह उसे पिता ही मानती रही लेकिन जब वह बड़ी हुई तो उसकी शादी जबरन उसके पिता से करवा दी गयी । जिसे वह अपना पिता मानती थी अब वह उसका पति था । महिला ने बताया कि पूछने पर उसे इस प्रथा के बारे में मालूम हुआ कि ऐसा पहले से ही तय हो गया था । ओरोला नाम की इस महिला ने खुलासा करते हुए इस कुरीति के बारे में बताते हुए कहा कि उसका जीवन बर्बाद हो गया ।
जानकारी के मुताबिक जंगलों में रहने वाली मंडी जनजाति की यह कुप्रथा अभी भी वहां के लोगों द्वारा मानी जा रही है । हालांकि अब धीरे धीरे जागरूकता आ रही है और लोग इस कुरीति को जान समझ रहे हैं । इस परम्परा को सदियों पहले जब शुरू किया गया होगा तब इसकी जरूरत के मूल में सामाजिक सुरक्षा होगी क्योंकि कम उम्र की विधवा और उसकी नवजात बच्ची को पालने वाले व्यक्ति को यह अधिकार दिया गया होगा कि वह कम उम्र की विधवा से शादी करने के एवज में सौतेली बेटी के बड़ी होने के बाद उससे शादी करेगा ।
जंगलों में रहने वाली जनजाति के लिए तब यह प्रथा भले ही प्रासंगिक रही हो (हालांकि तब भी इसका समर्थन नहीं किया जा सकता) लेकिन आज के समय मे इस कुप्रथा को मानने का कोई मतलब नहीं है ।