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बड़ा ही अजीब है Zero Shadow Day का रहस्य, सूरज के होते हुए भी गायब होती है लोगों की परछाई

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What is Zero Shadow Day: जीरो शैडो यह सुनकर आपको कुछ अजीब लगेगा किंतु 25 अप्रैल को एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के अनुसार, दोपहर के वक्त सूर्य के कारण किसी भी चीज का साया नजर नहीं आएगा। इसके अलावा सोसाइटी द्वारा इस बात का खुलासा भी किया गया कि साल में दो बार ऐसा होता है जब मकर और कर्क रेखा के बीच की जगहों पर जीरो शैडो डे (Zero Shadow Day) मौजूद होता है।

दरअसल, यह सूर्य की एक ऐसी खास स्थिति होती है, जो उन इलाकों में दो बार बनती है जो 130 अक्षांश पर स्थित होते हैं। इस दिन हर एक वर्टिकल चीज की परछाई को हम नहीं देख पाते हैं। तो चलिए आगे हम आपको बताते हैं कि इसी साल यह स्थिति कब और कौन से शहर में होगी।

बेंगलुरु शहर में गायब हुई लोगों की परछाई

What is Zero Shadow Day

जब हम धूप में चलते हैं तो हमारा साया भी हमारे साथ साथ चलता है। किंतु कर्नाटक के बेंगलुरु (Bangaluru Zero Shadow Day) में अचानक ही 25 अप्रैल को लोगों की परछाई गायब हो गई। दोपहर के वक्त 12:17 पर यह घटना हुई और हर एक चीज का साया गायब हो चुका था। तो चलिए अब हम आपको आगे बताते हैं कि आखिर इस घटना के पीछे क्या रहस्य है और यह घटना पहले किन किन जगहों पर हो चुकी है।

क्या है Zero Shadow Day?

25 अप्रैल के दिन आसमान में सूरज की पोजीशन कुछ इस तरह मौजूद थी कि लोगों को अपनी परछाई नजर आना बंद हो गई थी। इसलिए ही इस दिन को जीरो शैडो डे कहते हैं। यह वह दिन है जब वह एक खास समय पर सूर्य ठीक सर के ऊपर होता है लेकिन किसी की भी परछाई नहीं बनती है। इसी वजह से इस स्थिति को जीरो शैडो (What is Zero Shadow Day) कहते है।

कहां जाती है हमारी परछाई?

ऐसा होने के पीछे यह वजह नहीं है कि हमारी परछाई बिल्कुल ही गायब हो जाती है। दरअसल, सूर्य के ठीक हमारे सर के ऊपर पोजीशन लेने के कारण उसकी किरणें हम पर लंबवत पड़ती है। इस वजह से हमारी परछाई इधर-उधर नहीं बनती है बल्कि बिल्कुल हमारे पैरों के नीचे बनती है और हमें सीधे खड़े रहने पर अपना साया नजर नहीं आता है।

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साल के इन दिनों में होता है जीरो शैडो डे

1 साल में दो बार यह घटना होती है। 21 जून से सूरज दक्षिण दिशा की तरफ जाता हुआ है नजर आता है। वहीं 21 सितंबर को संपात के दिन के कारण धरती का 23.5 डिग्री अक्षांश नॉर्थ और साउथ के बीच ही जीरो शैडो (Zero Shadow Day) बनाता है। किंतु इसका मौसम पर अधिक प्रभाव नहीं होता है। जब यह दिन होता है तो दोपहर के समय इस रेखा पर कोई भी परछाई मौजूद नहीं होती है। इसके अलावा धरती पर दिन और रात दोनों समान होते हैं। हालांकि यह खगोलीय घटना महज 1 सेकंड के लिए ही होती है वही डेढ़ मिनट तक इसका प्रभाव मौजूद रहता है।

भारत के किन क्षेत्रों में हो चुकी है ऐसी घटना?

इससे पहले साल 2021 में ओडिशा के भुवनेश्वर में और 21 जून 2022 को मध्य प्रदेश के उज्जैन में दोपहर 12 बजकर 28 बजे लोगों ने जीरो शैडो डे का अनुभव किया था।

अब होगा अगला जीरो शैडो डे?

What is Zero Shadow Day


बीते दिनों 25 अप्रैल (Zero Shadow Day 2023) को ये घटना बेंगलुरु सहित दुनिया के कई और हिस्सों में हुई थी। गौरतलब बात यह है कि ऐसी स्थिति हर जगह नहीं बनती। जीरो शैडो डे ट्रॉपिक्स के बीच के स्थानों तक ही सीमित रहते है। यह स्थिति सिर्फ कर्क रेखा और मकर रेखा के दरम्यान में ही में बनती है। अब बेंगलुरु में अगला ऐसा दिन इसी साल 18 अगस्त को होगा।

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