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Sneha Dubey: इमरान खान की बोलती बंद भारत की इस यंग अफसर ने की, स्नेहा दुबे कौन है?

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वैसे तो भारत के लोगों की प्रतिभा की पूरी दुनिया कायल हैं। दुनिया को भारत का अटल संदेश भारतीय मूल के अधिकारियों ने संयुक्त राष्ट्र संघ के मंच से भी दिया है। एक बार फिर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारत के खिलाफ जहर उगला है। लेकिन भारत की प्रथम सचिव स्नेहा दुबे ने जवाब में उनकी बोलती बंद कर दी। इमरान खान ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर कश्मीर मुद्दे पर भारत को घेरने की कोशिश की थी। लेकिन इस बार नेहा दुबे ने बड़े ही प्रभावी तरीके से उन्हें मुंहतोड़ जवाब दिया। पाकिस्तान के नापाक इरादों का पर्दाफाश करते हुए इस यंग अफसर ने उसे फायर ब्रिगेड के वेश में आगजनी फैलाने वाला एक ऐसे देश का करार दिया है। आतंकियों को जो अपनी ही जमीन पर पालता है। उनका वीडियो सोशल मीडिया पर जवाब देते हुए वायरल हो रहा है। लोग जिसे देखने के बाद उनकी तारीफ जमकर कर रहे हैं। सोशल मीडिया यूजर्स के अनुसार इतनी कम उम्र में स्नेहा दुबे ने पाकिस्तान को बड़ा ही सटीक जवाब दिया है। पहले ही अटेम्प्ट में स्नेहा ने यूपीएससी क्रैक किया था। वह 2012 बैच की अफसर हैं तथा संयुक्त राष्ट्र में अभी फर्स्ट सेक्रेटरी हैं। ट्विटर पर वीडियो सामने आने के बाद #SnehaDubey ट्रैक करने लगा है।

युवा राजनयिकों से जवाब दिलाने का चलन शायद अकबरुद्दीन के कार्यकाल में शुरू हुआ था.

युवा भारतीय राजनयिकों से जवाब दिलाने का चलन संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत सैयद अकबरुद्दीन के कार्यकाल के दौरान पाकिस्तानी नेताओं की संबोधन पर शुरू हुआ था। इसका मतलब साफ था कि भारत के युवा राजनीति ही अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान के नेताओं को जवाब देने के लिए काफी हैं। संयुक्त राष्ट्र में सितंबर 2016 में भारत की तत्कालीन प्रथम सचिव एवं गंभीर ने जवाब देने के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए पाकिस्तान के उस समय के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को करारा जवाब दिया था। उन्होंने पाकिस्तान को आतंकी अंतरराष्ट्रीय ओसामा बिन लादेन की एबटाबाद में पाए जाने का उल्लेख करते हुए आईना दिखाया था।

स्नेहा दुबे कौन है.

यूएनजीए में विदेश मंत्रालय की प्रथम सचिव स्नेहा दुबे 2012 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। स्नेहा ने अपनी शिक्षा स्कूल आफ इंटरनेशनल स्टडीज, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय तथा दिल्ली से एमफिल प्राप्त करने के बाद शिक्षा पूरी की। अपना अधिकांश बचपन इस युवा राजनीति ने गोवा में बिताया तथा अपनी पढ़ाई वही पूरी की। भारतीय विदेश सेवा में शामिल होने की इच्छा स्नेहा ने बहुत ही कम उम्र में जताई। अपनी पहली ही अटेम्प्ट वर्ष 2011 में सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की। अपने परिवार में स्नेहा सरकारी सेवाओं में शामिल होने वाली पहली हैं। उनका कहना है कि विदेशी सेवाओं में शामिल होने की उनकी प्रेरणा अंतरराष्ट्रीय मामलों के बारे में सीखने, महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णयों का हिस्सा बनने, नई संस्कृतियों की खोज करने का रोमांच लोगों की मदद करने का एक संयोजक था।

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