Sahara India Pariwar और इसके विवाद को तो आप जानते ही होंगे इस विवाद में एक नया मोड़ अब आया है जबकि एफआइआर के छह माह बाद पुलिस की गिरफ्त में आने वाले सहारा इंडिया कंपनी के डायरेक्टर्स जमानत पाकर जेल से बाहर आ गये हैं,हालाँकि निवेशकों को उनका पैसा कब तक मिलेगा पता नहीं लेकिन इस जमानत ने इस विवाद को एक नया मोड़ दे दिया है।
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आपको बता दें कि कंपनी के अभिकर्ताओं का दावा है कि जिले में निवेशकों की जमा रकम 400 करोड़ रुपये से भी अधिक है,लेकिन मजे की बात यह है कि प्रशासन के पास उपलब्ध आंकड़ों में यह राशि मात्र 16.35 करोड़ ही है जो कि दावे की राशि से बेहद कम है।
डायरेक्टर्स को जमानत मिलने का एक खास कारण यह है कि मामला दर्द होने के बाद जांच के दौरान जिन निवेशकों की सूची पुलिस को सौंपी गई थी उसे पुलिस प्रतिवेदन कर के कोर्ट पेश में पेश ही नहीं कर सकी, इस कारण गिरफ्तार डायरेक्टरों ने 15 करोड़ वापसी शपथ पत्र दिया और दूसरे ही दिन इतनी राशि का चेक भी प्रशासन के पास जमा कर दिया और उन्हें जमानत मिल गयी।
आपको बता दें कि इस मामले में बहुत सी खामियां भी हैं, निवेशकों की वास्तविक संख्या तीन लाख से ज्यादा है, लेकिन प्रशासन के पास उपलब्ध सूची में यह संख्या मात्र 7272 ही है इस कारण भी डायरेक्टर्स की जमानत नहीं रोकी जा सकी,अब संख्या और सूची में इतनी असमानता की क्या वजह हो सकती है यह तो जांच का विषय है बहरहाल कहीं न कहीं कुछ न कुछ तो खामी है जिसे ढूंढना जरूरी है।
आपको बता दे की सभी निवेशकों का मानना है कि डायरेक्टर्स जेल में रहते तो शेष निवेशकों की रकम वापसी का भी बड़ा रास्ता खुल सकता था और यह सच भी है लेकिन जमानत मिल चुकी है अतः यह चिंता का विषय है,हालांकि अगली पेशी में निवेशकों की तरफ से इन तथ्यों को कोर्ट में रखकर जमानत रद करने की गुहार लगाने की बात शिकायतकर्ताओं की तरफ से कही जा रही है बाकी क्या होता है यह आगे देखा जायेगा।
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आपको बता दें कि हाल में ही Sahara India Pariwar ने अखबारों के माध्यम से यह सफाई दी थी कि उसका सारा पैसा सरकार के पास लॉक है अतः किसी भी निवेशक का पैसा वापस कर पाना सम्भव नहीं है,लेकिन कम्पनी की इन बातों पर कोई भरोसा करे भी तो क्यों ,क्योंकि कम्पनी निवेश की रकम लौटाने की जगह मुकदमे लड़ने में लगी है और इसी क्रम में आज डायरेक्टर्स की जमानत भी हो गयी है। एक तरफ डायरेक्टर्स की जमानत दूसरी तरफ सूची और पैसों में तमाम तरह के मतभेद इस मामले को और उलझा रहे हैं इसका हल क्या होगा इसकी दूर-दूर तक कोई उम्मीद नहीं दिख रही है।