Recession in India: यह तो आपको पता ही होगा कि लिपिस्टिक का यूज़ ब्यूटी के काम के लिए किया जाता है। यानी कि महिलाओं के संदर्भ में लिपस्टिक का स्थान सबसे अहम होता है। बाजार में कई प्रकार के लिपिस्टिक कई शेड्स में मौजूद है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि महिलाओं की सुंदरता को बढ़ाने वाली लिपस्टिक आर्थिक मंदी का संकेत बताने का काम करती है। लिपस्टिक की बिक्री से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसी भी देश में मंदी आने वाली है या फिर नहीं।
आप भी यह सोच रहे होंगे कि आखिर कैसे हो सकता है एवं लिपस्टिक के जरिए मंदी का आकलन कैसे किया जा सकता है। तो आपको बता दें कि सिर्फ लिपिस्टिक ही नहीं बल्कि अंडरवियर की बिक्री से भी मंदी की बारे में पता लगाने में मदद मिलती हैं। ऐसे में हम आपको बता दें कि आखिर मंदी का पता लगाने में यह चीजें किस प्रकार से काम करती हैं और क्या वजह है कि जिसके कारण से मंदी का पता लग जाता है।
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हम अगर कहे की बिक्री बढ़ना मंदी की निशानी है तो आप कहेंगे कि यह सरासर गलत है। लेकिन अर्थव्यवस्था से जुड़ी कुछ ऐसी चीजें हैं जिनकी बिक्री बढ़ने से पता चलता है कि मंदी आ गई है। वहीं पर कुछ ऐसी वस्तुएं भी है जिनकी बिक्री में गिरावट मंदी का संकेत देते हैं। चूंकि रियल एस्टेट, तेल, बिस्किट और ऑटो सेक्टर आज की घटती बिक्री के अलावा भी 54 ऐसे संकेत हैं। जो मंदी की तरफ इशारा करते हैं। इसमें से कुछ के बारे में हम आपको बता रहे हैं।
यह तो आपने सुना होगा कि रियल एस्टेट, गाड़ियों की बिक्री, बैंकों की स्थिति से मंदी का अंदाजा लगाया जा सकता है। लेकिन लिपस्टिक का भी मंदी से कनेक्शन है। कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि अर्थव्यवस्था जितनी खराब होती है उतना ही लोग विलासिता की चीजें खरीदना बंद करते हैं या फिर कम कर देते हैं। ऐसे में जब भी पूरे विश्व में मंदी की बात होती है तो लिपस्टिक इंडेक्स की बात जरूर होती है एवं इससे अर्थव्यवस्था का भी पता लगाया जा सकता है।
इस थ्योरी में यह कहा जा सकता है कि जब भी लिपस्टिक की बिक्री बढ़ जाती है। तो इसका अंदाजा लगाया जा सकता है कि मंदी आने वाली है। इसका कारण यह है कि मंदी आने से लोग अपने खर्चे कम करने लगते हैं और ऐसे में महिलाएं ज्यादा ब्यूटी या फिर कॉस्मेटिक सामान खरीदना बंद कर देती हैं एवं सिर्फ लिपिस्टिक खरीदती हैं। ऐसे में यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि लिपस्टिक की बिक्री बढ़ने से भी मंदी का पता लगाया जा सकता है।
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Recession in India, आपको बता दें कि 2001 में जब अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में थी। तब भी यह देखा गया था कि लिपिस्टिक की बिक्री वास्तव में बढ़ रही थी, गिर नहीं रही थी। हालांकि लिपिस्टिक इंडेक्स के जनक लियोनार्ड लाॅडर का यह सिद्धांत था कि लिपिस्टिक की बिक्री एवं अर्थव्यवस्था की स्थिति एक दूसरे के विपरीत रहती हैं एवं जैसे जैसे अर्थव्यवस्था खराब होती है वैसे ही लिपस्टिक की बिक्री बेहतर होती चली जाती है।
Recession in India, आपको बता दें कि अंडर गवर्नमेंट की बिक्री से भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि क्या हाल है अर्थव्यवस्था का? चूंकि लिपस्टिक वाले मामले में अंडरवियर का इंटेक्स अलग है। जब अंडरवियर की बिक्री कम होने लगती है तो इसका अंदाजा लगाया जा सकता है कि अर्थव्यवस्था भी पटरी पर नहीं है। ऐसे में इस बात का संकेत लगाया जा सकता है कि उपभोक्ता ऐसी वस्तुओं पर भी खर्च करने से बच रहे हैं। तो स्थिति खराब हीं है। ये इंडेक्स 1970 के दशक में एलेन ग्रीनस्पैन ने बनाया था।