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Rahul Bhatt की हत्या के बाद कश्मीरी पंडितों में दहशत का माहौल, लोगों ने कहा- केंद्र सरकार जिम्मेदार

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Rahul Bhatt: गुरुवार शाम को बडगाम के रहने वाले राहुल भट की गोली मारकर आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी जिसके बाद कश्मीरी पंडितों और गैर मुसलमानों में दहशत का माहौल है । लोग डरे हुए हैं और सरकार सिर्फ आश्वासन दे रही है । लोगों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और विरोध प्रदर्शन किया । बता दें कि गुरुवार 12 मई की शाम को कश्मीरी पंडित राहुल भट की आतंकियों ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर हत्या कर दी थी । राहुल भट चाडूरा के तहसील कार्यालय में क्लर्क पद पर तैनात थे । हत्या के बाद कश्मीरी पंडितों ने दहशत की वजह से उन विस्थापित कैम्पों को छोड़ दिया है।

सरकार हमें सुरक्षा देने में हो रही है नाकाम -कश्मीरी पंडित

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PM पैकेज के तहत सरकारी नौकरी कर रहे राहुल भट की हत्या ने एक बार फिर से केंद्र सरकार के उन दावों की पोल खोल दी है जिसमे वह घाटी को आतंक मुक्त और सब कुछ ठीक होने के दावे कर रही थी । समाचार एजेंसी ANI को अनन्तनाग में कश्मीरी पंडित सरकारी कर्मचारी संघ द्वारा विरोध प्रदर्शन के दौरान एक कश्मीरी पंडित अमित ने बताया-

हमें लगातार धमकाया जा रहा है। केंद्र सरकार सिर्फ आश्वासन दे रही है और कुछ नहीं कर रही। पिछले 3 महीने में कश्मीरी पंडितों को निशाना बनाकर हमारे समुदाय के 3 लोगों को मार दिया गया है । हमें सरकार से सुरक्षा चाहिए ।”

बता दें कि इस हमले के बाद उन जगहों की सुरक्षा बढ़ा दी गयी है जहां कश्मीरी पंडित रह रहे हैं । अनन्तनाग, बडगाम आदि जगहों पे विस्थापित कालोनियों की सुरक्षा हेतु सुरक्षा बलों को नियुक्त किया गया है।

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अंतिम संस्कार के दौरान बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ हुई नारेबाजी

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बन्तलाब में मारे गए सरकारी क्लर्क Rahul Bhatt के अंतिम संस्कार के दौरान पहुंचे बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष रविन्द्र रैना को देखते ही लोग भड़क गए और जमकर नारेबाजी की । उन्होंने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष को कश्मीरी पंडितों को सुरक्षा न दे पाने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ नारेबाजी की । बता दें कि बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष को इस दौरान भारी विरोध का सामना करना पड़ा। कश्मीरी पंडित राहुल भट के अंतिम संस्कार के दौरान ADGP जम्मू जोन मुकेश सिंह, DC जम्मू रमेश कुमार और जम्मू से डिप्टी कमिश्नर अवनी लवासा भी मौजूद रहे।

कौन है राहुल भट जिसकी आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी

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बडगाम के शेखपुरा स्थित प्रवासी कॉलोनी में परिवार के साथ रहने वाले 36 वर्षीय राहुल भट को कश्मीरी पंडितों के रोजगार के लिए जारी विशेष पैकेज(PM पैकेज) के तहत सरकारी नौकरी मिली थी । वह 9 सितंबर 2020 से यहां तैनात थे । बता दें कि उनकी नौकरी 2010-11 में लगी थी ।वह वर्तमान में चाडूरा तहसील कार्यालय में क्लर्क पद पर तैनात थे। कल यानी गुरुवार को शाम करीब 4.30 बजे 2 आतंकियों ने तहसील कार्यालय में घुसकर राहुल भट को गोली मार दी थी । तहसील में उस वक्त काफी भीड़ थी किंतु कोई भी कुछ कर नहीं सका और आतंकी वारदात के बाद भागने में सफल रहे थे ।

तहसील कर्मचारियों ने आनन फानन राहुल भट को श्रीनगर के श्री महाराजा हरि सिंह अस्पताल(SMHS) लेकर गए जहां उनकी मौत हो गयी। राहुल भट के पिता बिटा भट जम्मू के दुर्गानगर में रहते हैं । उन्होंने बेटे की आतंकियों द्वारा हत्या के बाद सरकार से आतंकियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने की अपील की । वहीं मां उषा भट ने रोते हुए सरकार से पोते और बहू के लिए सरकारी नौकरी की मांग की ।

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बता दें कि राहुल भट की हत्या करने में आतंकवादी संगठन कश्मीर टाइगर्स ने जिम्मेदारी ली है ।

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गृहमंत्री को गम्भीरता पूर्वक इस बारे में सोचना चाहिए- शिवसेना प्रवक्ता

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शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने कश्मीर में कश्मीरी पंडित राहुल भट की हुई हत्या पर सरकार पर सवाल उठाये हैं । उन्होंने केंद्र की बीजेपी सरकार को घेरते हुए कहा कि केंद्र सरकार तमाम दावे करती है जबकि वहां हालात इससे कहीं अधिक खराब हैं । उन्होंने समाचार एजेंसी ANI से कहा-

कश्मीरी पंडितों की घर वापसी की बात हो रही थी। 7 साल कितनो की घर वापसी हुई पता नहीं लेकिन जो वहां रह रहे थे उनको भी रहने नहीं दिया जा रहा है, उनकी भी हत्या हो रही है। मुझे लगता है गृह मंत्री को इस बारे में गंभीरता से सोचना होगा।”

धारा 370 हटने के बाद भी कश्मीरी पंडितों की हो रही हैं हत्यायें

केंद्र में बीजेपी की दोबारा सरकार बनने के बाद 5 अगस्त 2019 को धारा 370 हटा दी गयी थी। सरकार की ओर से कहा गया था कि अब घाटी में आतंकवाद में कमी आएगी और कश्मीरी पंडितों को फिर से बसाया जाएगा। किंतु केंद्र सरकार के इन दावों के बावजूद घाटी में कश्मीरी पंडित सुरक्षित नहीं हैं और उनकी लगातार हत्यायें की जा रही हैं । अब तक 14 कश्मीरी पंडितों की हत्या की जा चुकी है । बता दें कि गुरुवार को कश्मीरी पंडित राहुल भट की हत्या के बाद से तमाम विस्थापितों का सब्र का बांध टूट गया है और वह अपनी सुरक्षा की मांगों को लेकर सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं ।

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