Allahprotest in allahabad: लोकतांत्रिक मूल्यों का प्रयोग करते हुये विरोध प्रदर्शन तो हमेशा होते रहे हैं परंतु आज हम आपको जिस विरोध प्रदर्शन व आंदोलन के बारे में बताने वाले हैं वह इलाहाबाद विश्वविद्यालय परिसर में पिछले एक दशक के सबसे बड़ा आंदोलन है,क्या वजह रही, कैसे बढ़ती गयी असंतुष्टि,पूरी जानकारी के लिये ध्यान से पढ़ें….
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गौरतलब है कि पिछले लगभग 2 वर्षों से protest in allahabad बन्द था और सारे कार्य डिजिटल मोड में किये जा रहे थे यहाँ तक कि कक्षाये भी डिजिटल मोड में ही चल रही थी परंतु कुछ दिनों पूर्व इविवि परीक्षा समिति ने बैठक कर यह निर्णय लिया कि परीक्षा ऑफलाइन कराई जायेगी, और इसी निर्णय के विरोध से शुरू हुआ यह आंदोलन।
विद्यार्थी ऑनलाइन मोड में परीक्षा देने के पक्ष में हैं और उनका कहना है कि पढ़े हैं जूम पर तो परीक्षा देंगे रूम पर,इसी नारे के साथ यह आंदोलन शुरू हुआ था,विरोध की मुख्य वजह यह थी कि विद्यार्थियों का कहना था कि पूरे वर्ष कक्षाये अनियमित रही हैं और उन्हें ढंग से पढ़ाया नही गया है और इसी वजह से उनके पास कोई तैयारी नही है की वह परीक्षा दे सकें,इस बाबत विद्यार्थियों ने तमाम साक्ष्य भी दिखाये जो यह सिद्ध करते हैं कि वास्तव में पूरा वर्ष सिर्फ खिलवाड़ हुआ है।
परीक्षा का निर्णय आने के बाद 14 फरवरी को पहली बार भारी संख्या में छात्रों का जन समूह विश्वविद्यालय परिसर में इकट्ठा हुआ और जमकर नारेबाजी की व विरोध दर्ज कराया,बढ़ता दबाव देखकर विश्वविद्यालय ने दो दिन का समय मांगा और विद्यार्थियों को वापस भेज दिया,विद्यार्थी भी आश्वासन पाकर वापस चले गये।
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2 दिन की अवधि पूर्ण हो जाने के बाद 17 को पुनः घेराव किया गया, विश्वविद्यालय के प्रवेश द्वार को बंद कर दिया गया,मजबूरन दबाव में आकर आनन-फानन में विश्वविद्यालय ने हाई पावर कमेटी गठित की और वार्ता हेतु छात्रों के 5 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल को बुलाया।
पूरे मुद्दे पर 21 फरवरी को छात्र प्रतिनिधि मंडल व विश्वविद्यालय की कमेटी की परस्पर वार्ता हुई और इस वार्ता के बाद विश्वविद्यालय ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया,विद्यार्थी त्वरित निर्णय चाहते थे,निर्णय न मिलने पर वह पुनः कुलपति कार्यालय पहुँच गये और आमरण अनशन की तैयारी करने लगे…जो जल्द शुरू होने वाला है..इस प्रकार से इलाहाबाद विश्वविद्यालय में दशक के सबसे बड़ा आंदोलन लगातार जारी है।