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जो बीमारी एक से दूसरे में संक्रमण के द्वारा फैलती है वह है बीमारी बहुत ही खतरनाक होती है क्योंकि इसमें संक्रमण का पता नहीं चलता कि कब संक्रमित हो गए हैं । हाल ही में आए कोरोनावायरस भी एक संक्रमण की बीमारी है जिसने पूरी दुनिया में तहलका मचा कर रख दिया । लेकिन कोरोनावायरस इंसानों की बीमारी है और इंसान तो अपनी भावनाएं प्रकट कर कर एक दूसरे से बता भी सकते हैं कि मुझे तकलीफ हो रही है लेकिन महाराष्ट्र में कुत्तों की संक्रमित बीमारी फैल रही है और हजारों हजार कुत्ते मारे जा रहे हैं ।मामला महाराष्ट्र का है यहां पर कुत्तों पार्वो नाम का वायरस फैल रहा है। जिससे कुत्तों की मौत हो रही है महाराष्ट्र के अमरावती में 2000 से अधिक कुत्तों की मौत हो रही गई है। बताया जा रहा है कि कोरोना की वजह से टीकाकरण नहीं हो पाया। जिसके कारण पार्वो नाम के संक्रमण के मामले अधिक आ रहे हैं । बताया जा रहा है कि कुछ महीने पहले चेन्नई में पार्वो केस देखने को मिले थे।
यह जानना जरूरी है कि इंसानों में कोरोनावायरस वायरस और कुत्तों में यह पार्वो वायरस क्या है । पार्वो वायरस भी एक संक्रमित बीमारी है जो कुत्तों में होती है । इसका संक्रमण कैसे फैलता है ? इंसानों को इंसानों को इससे कितना खतरा है? इसके बचाव के उपाय क्या है ? पार्वो एक खतरनाक वायरस है जिसका संक्रमण कुत्तों और उनके बच्चों में फैलता है संक्रमण देखने के बाद पशु विशेषज्ञ द्वारा जांच के माध्यम से संक्रमण की पुष्टि की जाती है। 90 फ़ीसदी मामलों में संक्रमित कुत्ते की मौत हो जाती हैं। लैबराडोर, जर्मन, शेफर्ड और अन्य किस्म के कुत्तों में इस वायरस का संक्रमण होने का खतरा ज्यादा रहता है । वायरस का पहला मामला विश्व में 1957 में सामने आया। भारत में पहली बार यह वायरस 1980 में पाया गया था यह कुत्तों के इंटेस्टाइनल ट्रैक्ट को सर्वाधिक नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है ।
इस भारत से संक्रमित कुत्ते के संपर्क में आने या संक्रमित चीजें दूसरे स्वस्थ्य कुत्ते के संपर्क में पहुंचने से फैलता है। इसमें संक्रमित कुत्तों के मल के संपर्क में आने से फैलता है। यहां तक की संक्रमित कुत्ते का झूठा पानी यदि स्वस्थ कुत्ता पी ले तो स्वस्थ कुत्ता भी संक्रमित हो जाएगा । मतलब यह है बीमारी एक संक्रमित बीमारी है और एक कुत्ते से दूसरे कुत्ते में फैलने का खतरा रहता है । इस बीमारी के लक्षणों में ब्लडी डायरिया व उल्टी, वेट लॉस, कमजोरी, सुस्ती और डिहाइड्रेशन आदि शामिल है। इस वायरस से बचाव के लिए टीकाकरण छठवीं सप्ताह में देते हैं और 3 सप्ताह के अंतराल पर और तीन रोज दिए जाते हैं । इंसानों को संक्रमित कुत्ते से अभी तक कोई संक्रमण नहीं हुआ है। अभी तक ऐसा मामला सामने नहीं आया है जिसमें यह साबित हुआ हो कि यह वायरस कुत्ते से इंसान में भी फैल जाता है ।