Ordinance Row: पटना में शुक्रवार को विपक्ष की महाबैठक हुई। अगले साल होने वाले आम चुनावों के मद्देनजर विपक्षी एकता को मजबूत करने के उद्देश्य से बुलाई गई बैठक में विपक्ष के दर्जनों नेताओं और पार्टी प्रमुखों ने हिस्सा लिया । जहां एक तरफ भाजपा के खिलाफ 2024 के आम चुनावों को देखते हुए विपक्षी एकता कायम रखने की कोशिश की गई वहीं दिल्ली एवम पंजाब में सत्ता संभाल रही आम आदमी पार्टी ने महाबैठक और विपक्षी एकता की कवायद पर सवाल उठाया है ।
आप का कहना है कि केंद्र द्वारा दिल्ली के लिए लाए गए अध्यादेश पर जब तक कांग्रेस का रुख स्पष्ट नहीं होता है तब तक वह महागठबंधन की किसी भी बैठक में शामिल नहीं होगी। वहीं अब सूत्रों के अनुसार कांग्रेस और आप मिलकर मुद्दों को सुलझाने के लिए सहमत होते दिख रहे हैं ।
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शुक्रवार को बिहार की राजधानी पटना में विपक्ष की हुई महाबैठक में करीब दर्जन भर पार्टियों के नेताओं ने नरेंद्र मोदी के खिलाफ एकजुट होकर आगामी लोकसभा चुनाव लडने के लिए हुंकार भरी । वहीं आम आदमी पार्टी दिल्ली के लिए केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश पर कांग्रेस के रुख स्पष्ट करने की मांग पर अड़ी रही । हालांकि सूत्रों के अनुसार बैठक में आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने राहुल गांधी से आपसी तालमेल बिठाकर साथ चलने का आग्रह किया । पार्टी सूत्रों की मानें तो सीएम केजरीवाल ने राहुल गांधी से सभी मतभेद भुलाकर आगे बढ़ने की बात की।
केजरीवाल ने कहा कि हम चाय पर बैठकर सभी मुद्दों पर बातें कर सुलझा सकते हैं। बता दें कि सीएम नीतीश कुमार ने विपक्षी एकता की कवायद करते हुए शुक्रवार को पटना में महा बैठक बुलाई थी। बैठक के दौरान आम आदमी पार्टी ने साफ कहा कि अध्यादेश मुद्दे पर जब तक कांग्रेस अपना रुख स्पष्ट नहीं करती है तब तक विपक्षी एकता की बात करना बेमानी है। वहीं बैठक के दौरान अन्य दलों ने भी अध्यादेश की सार्वजनिक रूप से निंदा करने का कांग्रेस को सुझाव दिया जबकि सूत्रों के अनुसार कांग्रेस ने केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश की निंदा करने से स्पष्ट रूप से इंकार कर दिया है।
केंद्र सरकार एवम दिल्ली की केजरीवाल सरकार के कई मुद्दों पर लंबे समय से तनातनी चलती आ रही है । बीती 19 मई को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटने वाला अध्यादेश जारी कर आपसी विवाद को एक बार फिर से हवा दे दी। बीते महीने केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली(संशोधन) अध्यादेश–2023 जारी कर दिया। इस अध्यादेश के अनुसार दिल्ली में किसी भी अधिकारी की पोस्टिंग एवम ट्रांसफर से जुड़े किसी भी आदेश पर अंतिम निर्णय दिल्ली सरकार की बजाय उपराज्यपाल(एलजी) को सौंप दिया गया है।
इसके अलावा अध्यादेश में दिल्ली में सेवारत दानिक्स कैडर के ग्रुप A के ट्रांसफर एवम अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए “राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण” का गठन किया है । इस प्राधिकरण में तीन सदस्य होंगे जिसका अध्यक्ष दिल्ली के मुख्यमंत्री को बनाया जायेगा। वहीं ये प्राधिकरण दानिक्स ( दिल्ली,अंडमान निकोबार, दमन दीव , दादरा नागर हवेली सिविल सर्विसेज) के अधिकारियों की पोस्टिंग एवम ट्रांसफर का अधिकार रखेगा पर अंतिम निर्णय उपराज्यपाल की सहमति के बाद ही लिया जा सकेगा ।
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वहीं आम आदमी पार्टी से अध्यादेश के मामले में चले आ रहे विवाद पर कांग्रेस ने आप के प्रति अभी तक सकारात्मक रुख नहीं दिखाया है। कांग्रेस ने अध्यादेश के मामले में केंद्र सरकार की आलोचना करने से इंकार कर दिया था जिसके बाद आम आदमी पार्टी की तरफ से कहा गया कि कांग्रेस का इस पर लिया गया फैसला उसकी नीयत पर संदेह पैदा करता है। वहीं सूत्रों की मानें तो दोनो पार्टियों को मिलाने की पहल पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने की ।
बैठक के दौरान ममता ने केजरीवाल एवम राहुल गांधी को सलाह दी कि दोनो नेताओं को भोजन के दौरान एक साथ बैठकर आपस के सभी मुद्दे सुलझाने चाहिए। वहीं दूसरी ओर दोनो पार्टियों की तरफ से बयानबाजी जारी है। बता दें कि इस मुद्दे पर राहुल गांधी ने कहा कि बातचीत की एक प्रक्रिया है। वहीं सीएम केजरीवाल ने राहुल से अगली बैठक के बारे में पूछा जिस पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
Ordinance Row, सूत्रों की मानें तो अगले महीने शिमला में विपक्षी गठबंधन की होने वाली बैठक में आम आदमी पार्टी के शामिल होने पर संदेह जताया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार आम आदमी पार्टी अध्यादेश के मुद्दे पर कांग्रेस का रुख स्पष्ट होने के बाद ही फैसला करेगी कि वह अगली बैठकों में शामिल होगी या नहीं। वहीं सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे ने संकेत दिए हैं कि कांग्रेस अध्यादेश मुद्दे पर संसद सत्र से पहले फैसला ले सकती है।