More Than 850 Species Will Become Extinct: इंसानी गतिविधियों के कारण ग्लोबल वार्मिंग की स्थिति बनी हुई है। पर्यावरण संबंधित तकरीबन हर समस्याओं के उद्भव का कारण इंसानी गतिविधियां ही है। अक्सर हम आए दिन सुनते हैं की लुप्त प्रायः होती जा रही प्रजातियों के प्राणी मृत अवस्था में मिलते हैं। ऐसा होने की मुख्य वजह मानव जाति की टेक्नोलॉजी की लालसा है। इस सिलसिले Daily Mail की एक रिपोर्ट के मुताबिक, आने वाले 30 सालों में करीब 1.53 मिलियन वर्ग किलोमीटर तक अर्बन एक्सपैंशन होने की संभावना है।
येल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा की गई इस स्टडी में यह बात क्लियर हुई है कि इंसानी गतिविधियों कारण से आने वाले समय में धरती से 850 से ज़्यादा प्रजातियां संपूर्ण तौर पर समाप्त हो जाएंगी। इन प्रजातियों मे लुप्त प्रायः होने का सबसे अधिक संकट इंडोनेशिया के जावा द्वीप पर पाए जाने वाले Javan Slow Lori और मेक्सिको और ग्वाटेमाला में पाए जाने वाले पक्षी पिंक-हेडेड वॉर्बलर पर छाया है।
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मानवीय अर्बन एक्सपैंशन की बदौलत सबसे ज़्यादा ख़तरा सेन्ट्रल अमेरिका,मलेशिया,मेक्सिकि,श्रीलंका, द कैरेबियन, हाइती, नाइजीरिया, कैमरुन, इंडोनेशिया, ब्राज़ील , ईक्वाडोर और थाईलैंड की प्रजातियों पर है।
More than 850 species will become extinct इस स्टडी पर फोकस करते हुए येल यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ़ द एन्वायरंमेंट के रोहन सिम्किन कहते हैं कि
, ‘इस स्टडी के कई लक्ष्यों में से एक उन प्रजातियों की पहचान करना था जिनके अस्तित्व पर अर्बन लैंड डेवलपमेंट की वजह से संकट के बादल मंडरा रहे है।’ रोहन सिम्किन ने ये भी कहा कि हम में से हर आम शख़्स क्लाइमेट क्राइसिस से परिचित ही है लेकिन बहुत ही कम ही लोगों को बायोडाइवर्सिटी क्राइसिस के बारे में कुछ पता है।
More than 850 species will become extinct रिपोर्ट के अनुसार अगले 30 सालों में पृथ्वी की जनसंख्या बढ़कर 2.5 बिलियन हो जाएगी। इस वजह से अर्बन डेवलपमेंट में भी तेज़ी आ जाएगी और हॉट स्पॉट्स में भी अर्बन एक्सपैंशन बढ़ता जाएगा। इंसानी गतिविधियों की वजह से पृथ्वी के ज्यादातर इलाकों के जंगल पूरी तरह से नष्ट कर दिए जाएंगे। शोधकर्ताओं ने अर्बन प्लानिंग पर भी काफी ही ज़ोर दिया, जिससे की वन्य जीवों को संरक्षित किया जा सके।
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स्टडी में ये भी बताया गया कि लैंड एक्सपैंशन के अलावा वन्य प्राणियों की सुरक्षा कैसे की जा सकती है। शोधकर्ताओं ने पृथ्वी पर कुछ ऐसे शहर भी बनाने का सुझाव दिया है जो पैड पौधे से हरे-भरे हों। इस स्टडी में ग्लोबल लेवल पर भी बात-चीत करते हुए आने वाली गंभीर समस्या का हल ढूंढने की कोशिश करने पर भी ज़ोर दिया गया है।