Ministry of External Affairs S Jaishankar: भारत ने रूस यूक्रेन युद्ध के बीच रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदना शुरू किया है। अगर इससे किसी को सबसे ज्यादा तकलीफ हो रही है तो वह है अमेरिका को। इसके दो बड़े कारण है। पहला तो यह कि इससे अमेरिका से तेल की खरीद में गिरावट आएगी तथा दूसरी यह कि इससे अमेरिका का रूस पर दबाव कम हो रहा है। खैर अब भले ही अमेरिका की ओर से भारत को बार-बार रुस से तेल न खरीदने के लिए कहा जा रहा हो।
लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यूरोप और भारत की तुलना में कहीं ज्यादा तेल रूप से खरीद रहा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिकन को खरी-खोटी सुनाते हुए। मंगलवार को यह कहा है कि रूस से भारत जितना तेल महीने भर में खरीदता है। सिर्फ उतना तेल तो यूरोप एक दोपहर में ही खरीद लेता है।
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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया कि आप अगर यह देख रहे हैं कि रुस से भारत कितना तेल खरीद रहा है। तो मैं आपको यह सुझाव देना चाहूंगा कि आपका ध्यान यूरोप की तरफ जाना चाहिए। हम तो रूसे से सिर्फ अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए ही ऊर्जा की चीजें खरीदते हैं। लेकिन मुझे तो आंकड़ों को देखकर थोड़ा संदेह होता है। जोया दिखाते हैं कि रूस से जितनी उर्जा भारत एक महीने में खरीदता है। उतनी यूरोप सिर्फ एक दोपहर में ही खरीद लेता है। वो यह बोले कि हम भी विवाद के खिलाफ है तथा हिंसा को रोकने की हर कोशिश कर रहे हैं व हर मदद के लिए तैयार भी हैं।
बता दें कि रूस और अमेरिका से भारत जो ऊर्जा खरीदता है। वो आंकड़ा कितना बड़ा है। अब भारत अपनी जरूरतों का एक से दो प्रतिशत तेल रूस से खरीदता है। जबकि 10 प्रतिशत तेल अमेरिका से आयात करता है। बाइडन ने यह कहा कि रूस से अपनी तेल आयात में तेजी लाना या फिर इसे बढ़ाना भारत की हित में नहीं है। चूंकि अमेरिका इसलिए भी ऐसा कह रहा है क्योंकि इससे अमेरिका का निर्यात घटेगा और भारत काफी हद तक तेल रूस से खरीद लेगा।
दरअसल भारत के रूप से तेल खरीदे जाने के फैसले की अमेरिका की ओर से खूब आलोचना हो रही है। ऐसी में ही एस जयशंकर पहले भी यह कह चुके हैं कि भारत के खिलाफ एक कैंपेन चलाया जा रहा है। उन्होंने यह बताया कि फरवरी की तुलना में मार्च में यूरोप ने रूस से तेल तथा गैस का आयात लगभग 15 फ़ीसदी ज्यादा किया है। इस आंकड़े को ध्यान में रखते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका के सामने अपनी बात कही है।
लगभग हफ्ते भर पहले ही रूस के सुरक्षा काउंसिलिंग के Deputy secretary मिखाइल पोपोव ने यह दावा किया था कि युद्ध के दौरान भी अमेरिका ने रूस से खूब तेल खरीदा है। मिखाइल पोपोव के इस दावे से अमेरिका सहित तमाम देश हैरान है। हालांकि दावे में यह कहा गया है कि अमेरिका ने अभी हाल ही में रूस से हर रोज लगभग 43 प्रतिशत ज्यादा कच्चा तेल यानी लगभग एक लाख बैलर तेल रोज खरीदा है। जबकि तमाम यूरोपीय देशों से भी ऐसी ही खबरें आ रही हैं।
बता दें कि अमेरिका एक बड़ा तेल निर्यातक देश भी है जिससे उसकी तगड़ी कमाई होती है। यानी कि एक ओर से अमेरिका हमें यह कह रहा है कि रूस से कम तेल खरीदो और वहीं पर दूसरी तरफ खुद जमकर खरीदारी कर रहा है।
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Ministry of External Affairs S Jaishankar गौरतलब है कि जब प्रेस वार्ता के दौरान ही रूस से तेल आयात को लेकर यह सवाल किया गया तो विदेश मंत्री जयशंकर ने यह कहा कि हम इस पूरे विवाद में चाहती है कि हिंसा रुके तथा इसे रोकने की दिशा में हर संभव मदद करने के लिए भी हम तैयार हैं। जहां तक अभी इंधन के आयात की बात है तो हां हम अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए रूस से तेल का आयात भी कर रहे हैं।
लेकिन आपका ध्यान इस ओर होने के बजाय यूरोप पर होना चाहिए। चूंकि जितना इंधन हम एक महीने में रूस से आयात कर रहे हैं उससे कहीं ज्यादा यूरोपीय हर रोज रुस से तेल का आयात कर रहा है।