Minister of Power R K Singh: देश में फिर एक बार बिजली संकट के गहरे बादल छा गए हैं क्योंकि देश के सभी राज्यों से बिजली कटौती की खबरें सामने आने लगी है। घरेलू कोयला उत्पादन में ज्यादा वृद्धि नहीं हो रही है और साथ ही कोयले की मांग भी हर दिन बढ़ती ही जा रही है। इससे हुआ यूं है कि कोयला आधारित बिजली संयंत्रों पर भी ज्यादा उत्पादन का दबाव है।
दूसरी तरफ इंटरनेशनल मार्केट में भी कोयला अब इस कदर महंगा हो चुका है कि आयातित कोयले से बिजली बनाने वाले संयंत्रों से करीब आयात बिल्कुल ही बंद कर दिया है। यह सभी देश में बिजली कटौती के मुख्य कारण है। कोयला वह बिजली संकट के इन सभी हालातों की जानकारी से बिजली केंद्रीय मंत्रालय भी वाकिफ है।
Minister of Power R K Singh ने मंगलवार को ही आयातित कोयला आधारित संयंत्रों के साथ ही देश के राज्यों की तरफ से आयात किए गए कोयले की सभी स्थितियों की समीक्षा की थी। साथ ही उन्होंने घरेलू कोयले की इस प्रकार किल्लत को नजर में रखते हुए सभी ताप संयंत्र को 10% तक आयातित कोयला घरेलू कोयले में मिलाने का सुझाव दिया था। लेकिन जिस प्रकार से कोयला दिन-प्रतिदिन महंगा ही होता जा रहा है उसे नजर में रखते हुए बिजली मंत्री के इस सुझाव पर अमल किया जाना मुमकिन नहीं लग रहा है।
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केंद्र सरकार द्वारा दिए गए आंकड़ों के मुताबिक 1 अप्रैल 2022 को देश में कोयला आधारित बिजली संयंत्रों के पास बिजली बनाने के लिए करीब 9.4 दिनों का कोयले का स्टॉक मौजूद था। किंतु उस बात अब 12 अप्रैल तक कोयले की आपूर्ति घटकर 8.4 दिनों की ही रह चुकी है। जबकि नियमों के मुताबिक इन सभी संयंत्रों के पास अभी 24 दिनों का स्टॉक तो होना ही चाहिए। पिछले साल ही अक्टूबर-नवंबर 2021 के मुकाबले में अगर हम देखे तो कोयला आपूर्ति की स्थिति फिलहाल अच्छी है लेकिन जिस तरह से हालात बने हुए हैं वह काफी ही चिंताजनक भी है।
महाराष्ट्र ,गुजरात, आंध्र प्रदेश, बिहार, तमिलनाडु, झारखंड और हरियाणा आदि राज्यों से अब आधिकारिक तौर पर ही बिजली की कटौती की खबरें सुनने में आ रही है। बिजली कटौती की एक वजह यह है कि इस प्रकार भयंकर गर्मी बढ़ने के कारण बिजली की मांग भी बढ़ रही है। दूसरी वजह यह है कि आयातित कोयले पर आधारित सभी प्राइवेट क्षेत्रों की बिजली कंपनियों के संयंत्रों से उत्पादन का स्तर भी घटता जा रहा है।
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कुछ समय पहले ही इंटरनेशनल मार्केट में कोयले के दाम ₹400 डॉलर प्रति टन हो गए थे लेकिन अब वही दाम घटकर ₹300 डॉलर प्रति टन के लेवल पर पहुंच चुके हैं। दूसरी तरफ आयातित कोयले पर निर्भर सभी बिजली संयंत्रों का कहना है कि $150 प्रति टन से अधिक दामों पर कोयला देश में लाकर बिजली बनाने का कोई भी फायदा ही नहीं है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि पहले घरेलू बाजार में ₹20 प्रति यूनिट की कीमत तक बिजली बेचने की अनुमति दी गई थी
Minister of Power R K Singh लेकिन इसी साल अप्रैल 2022 के पहले हफ्ते में ही बिजली नियामक आयोग ने इस सीमा को घटाते हुए ₹12 प्रति यूनिट तय कर दिया है। इसलिए अब देश में आयातित कोयले पर निर्भर बिजली संयंत्रों की क्षमता भी 16,730 मेगावाट है।