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क्या होता है Cardiac Arrest, क्यों इसमें व्यक्ति की चली जाती है जान..?

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Cardiac Arrest एक ऐसी स्थिति होती है। जिसमे अचानक से हृदय की गति रुक जाती है। इसका अर्थ यह है कि दिल का धड़कना बंद हो जाता है। ऐसी परिस्तिथि को सडन कार्डियक डेथ (Sudden Cardiac Death) यानि कि मनुष्य की मृत्यु भी हो जाती है। दिल के अंदर एक विधुत प्रणाली होती है। जो दिल के धड़कनो के लय को नियंत्रित करता है। हालांकि इसमें मनुष्य का अचानक हृदय की गति बंद हो जाती है।

Cardiac Arrest

इसके अलावा भी सांस लेने में कठिनाई और होश गुम हो जाते है। अचानक कार्डियक अरेस्ट विद्युत के अशांति होने के वजह होता है। जो दिल के Pumping कार्य में बाधा उत्पन्न करती है। शरीर के अंगो में भी रक्त प्रवाह होना रुक जाता है। इसके कई वजह हो सकते है। तो आइए कार्डियक अरेस्ट के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्राप्त करते है।

क्या है Cardiac Arrest?

Cardiac Arrest एक ऐसी बीमारी है। जो बिना किसी संकेत के ही अचानक से आती है। ये एक तरह से दिल की बीमारी होती है। जो अचानक से काम करना बंद कर देती है। इसमें दिमाग और सभी अंगो में रक्त पहुंचना बंद हो जाता है। व्यक्ति का दम घुटने से मौत हो जाती है। Cardiac Arrest दिल के दौरे से पूरी तरह विपरीत होता है। Cardiac Arrest होने के मुख्य वजह का पता नहीं लग पाया है। अधिकांशत: दिल में होने वाली विद्युत गड़बड़ियों के कारण से धड़कन का तालमेल ठीक से नहीं बैठता है।

ऐसी स्थिति में दिल के पंपिंग पर भी असर पड़ता है। पंप ना होने के कारण से रक्त दिमाग और बाकि अंग तक पहुंच नहीं पाता है। जिसके परिणामस्वरूप ही मनुष्य की मृत्यु हो जाती है।

कारण क्या है Cardiac Arrest के?

Cardiac Arrest का मुख्य कारण है। दिल में किसी प्रकार की असमानता होती है। जो हृदय में विद्युत प्रणाली सम्बंधित समस्या के वजह से भी होती है।

हृदय की लय में डिस्टब्रेस अलग-अलग प्रकार की होती है। एसिटोल की स्तिथि में विद्युत गतिविधि नहीं हो पाती है। अर्थात् दिल नहीं धड़कता है। वेटिक्युलर फिब्रिलेशन की स्थिति ठीक ऐसी ही होती है। जिसमे विद्युत की गतिविधि असामान्य हो जाती है। दिल रक्त को पंप नहीं कर पाता है। जिससे कि दिल की धड़कने नहीं बनती है। हृदय का पूरी तरह से बंद हो जाना यानि कि दिल की गति बहुत धीमे हो जाती है। जो मनुष्य को लंबे वक्त तक जीवित नहीं रख पाते है।

Cardiac Arrest के अन्य जोखिम कारक-हाई बीपी, हाई कोलेस्ट्रॉल, मोटापा, डायबिटीज, पहले कभी हार्ट अटैक आया हो, धूम्रपान का अधिक सेवन, हृदय रोग सम्बंधित पारिवारिक समस्या।

Cardiac Arrest के लक्षण क्या है ?

Cardiac Arrest के निम्नलिखित लक्षण होते जो बिना किसी संकेत के ही आते है।

अचानक से गिर जाना, सांस फूलना, बेहोश होना, चक्कर आना, बेचैनी, छाती में दर्द, सांस रुक जाना, नाड़ी का न चलना।

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Cardiac Arrest का इलाज क्या है?

Cardiac Arrest अचानक से होने वाली स्तिथि होती है। जिसमे तत्काल कार्य करना चाहिए। अचानक से होने वाली स्तिथि में सीपीआर ज्यादा महवत्पूर्ण होता है। ये शरीर के अंगो में रक्त प्रवाह करने का कार्य नियंत्रण करता है। जब तक कि कोई अलग तकनीक उपलब्ध नहीं हो। तब तक शरीर को जीवन प्रदान करता है। सीपीआर की जानकारी नहीं है। तो अगर कोई व्यक्ति अचानक गिर जाता है तो तुरंत ही एम्बुलेंस को कॉल करे। उपचार शुरू करवाएं। Cardiac Arrest आने पर व्यक्ति को तुरंत अस्पताल के एमेर्जेंसी वार्ड में उपचार शुरू कर देते है। जिसमे डॉक्टर डिफ्रिब्रिलेशन का इस्तेमाल करते है। वेटिक्युलर डिफ्रिब्रिलेशन अच्छी देखभाल होती है।

 ठीक होने के बाद से चिकिस्तक मरीज को कुछ दवाइयों की खुराक देते है। ताकि दोबारा से Cardiac Arrest के लक्षण ना पैदा हो, अथवा उनके जोखिम कम हो। हालांकि कुछ मामलो में चिकिस्तक सर्जरी करने का सुझाव देते है। जैसे : करेक्टिव हार्ट सर्जरी, कोनोरेरी एंजियोप्लास्टिक, बाई पास सर्जरी, इत्यादि सर्जरी होते है।

Cardiac Arrest से बचाव?

Cardiac Arrest अचानक से आता है। इसलिए इसके लक्षणो को कम करने के लिए व्यक्ति को अपने हृदय का चेकअप हमेशा ही करवाते रहना चाहिए।

अपने स्वास्थ्य को स्वस्थ रखने के लिए भी सभी चीजों का पालन करना चाहिए। तनाव से दूर रहने की कोशिश करे, संतुलित आहार का सेवन करे, रोजाना व्यायाम करे, शरीर का वजन नियंत्रण में रखे, बीपी को नियंत्रण में रखे, रक्त में कोलेस्ट्रॉल को सामान्य बनाये रखे, डायबिटीज को नियंत्रण में रखना बहुत ही जरुरी होता है।

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