Periods: आमतौर पर महिलाओं को पीरियड्स 45- 50 वर्ष की उम्र तक आते रहते हैं । इसके बाद एक वक्त ऐसा आता है जब महिला मेनोपॉज की स्थिति में आ जाती है । मेनोपॉज की स्थिति में महिला को तमाम असहनीय दर्द के अलावा भी कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है । बता दें मेनोपॉज की स्थिति में किसी महिला में कमजोरी आ जाना एक सामान्य घटना है। आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि महिलाओं में मेनोपॉज की सही उम्र क्या है । और जब इसकी स्थिति आती है तब इससे कैसे निपटा जाए ।
इस पोस्ट में
मेनोपॉज एक ऐसी समस्या है जिससे एक महिला अपनी जिंदगी में कभी न कभी गुजरती ही है । आमतौर पर 45 से 50 की उम्र वाली महिलाओं में जब कई महीनों तक पीरियड्स नहीं आते तब माना जाता है कि वह मेनोपॉज के दौर से गुजर रही हैं । इस दौरान जब Periods कई महीने नहीं आते और प्रेग्नेंट होने की संभावनाएं भी कम हो जाती हैं तब उस स्थिति को मेनोपॉज कहा जाता है । मेनोपॉज के लक्षण अलग अलग महिलाओं में अलग अलग हो सकते हैं ।
आमतौर पर देखा जाए तो महिलाओं में 45 से 50 की उम्र में मेनोपॉज की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। हालांकि यह ऐसा सभी महिलाओं पर लागू नहीं होता और किसी को इससे पहले भी मेनोपॉज की प्रक्रिया का सामना करना पड़ सकता है । बता दें कि मेनोपॉज की प्रक्रिया 4 से 10 साल के बीच हो सकती है । इस दौरान पीरियड्स भी रुक रुक कर आते हैं और अनियमित हो जाते हैं।
मेनोपॉज की प्रक्रिया में यदि एक बार Periods आना बंद हो जाएं तो हो सकता है कि 4 साल बाद फिर से ब्लीडिंग शुरू हो जाये । पीरियड्स की यह अनियमितता 10 साल तक जारी रह सकती है। एक अनुमान के मुताबिक 10 में से एक महिला को मेनोपॉज की प्रक्रिया से करीब 12 साल तक गुजरना पड़ सकता है ।
मेनोपॉज की स्थिति में महिलाओं को कई तरह की शारीरिक और मानसिक समस्याओं से गुजरना पड़ सकता है । हालांकि यह लक्षण हर महिला में अलग अलग हो सकते हैं । मेनोपॉज की स्थिति में किसी महिला को कम सोते या मुश्किल से नींद लेते देखा जा सकता है । इसके अलावा वजन बढ़ने जैसी समस्या भी हो जाती है । मेनोपॉज की समस्या से गुजर रही महिलाओं में यूरिन इन्फेक्शन भी हो सकता है । इसके अलावा महिलाओं में बालों का झड़ना या त्वचा में ड्राई नेस भी हो सकती है ।
मेनोपॉज की समस्या में एक आम लक्षण यह भी है कि रात को अचानक पसीना आना या हाट फ्लाशेज आना भी हो सकता है । मेनोपॉज के लक्षणों में से एक यह भी है कि पीरियड्स में अनियमितता होने लगती है । कभी ज्यादा दिन तक ब्लीडिंग होना भी इसके लक्षण हो सकते हैं । यही नहीं शारीरिक समस्याओं के अलावा मानसिक समस्याएं भी इस दौरान होती हैं । कई महिलाओं में चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन, गुस्सा या मूड स्विंग जैसी समस्याएं देखी जाती हैं ।
13 साल की उम्र में शादी हो रही थी, घर से भाग गईं आज दुनिया की 10 सबसे ताकतवर महिलाओं में शामिल
मेनोपॉज एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और यह स्वाभाविक रूप से सभी महिलाओं को होता है । बता दें कि मेनोपॉज का इलाज नहीं है लेकिन इससे होने वाली समस्याओं से उपजे दर्द को कम जरूर किया जा सकता है । बता दें कि मेनोपॉज के दौरान महिलाओं को ढीले कपड़े पहनने चाहिए । खास तौर से उन महिलाओं को जिन्हें हाट फ्लैशेज की समस्या है । इसके अलावा महिलाओं को एप्ने वजन को भी काबू में रखना चाहिए ।
यही नहीं महिलाओं को एक्सरसाइज करना भी बहुत जरूरी है । इससे मेनोपॉज से मिलने वाले तनाव से काफ़ी राहत मिलती है । अगर महिलाओं को काफी समय तक पीरियड्स न आएं तो उन्हें डॉक्टर को जरूर दिखाना चाहिए ताकि वो टेस्ट के जरिये पता लगा सकें कि मेनोपॉज का दौर शुरू हो चुका है या नहीं ।