मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी विधानसभा क्षेत्र की सड़कें कटरीना कैफ के गालों जैसी बनाने की बात कहने वाले मंत्री राजेंद्र गुढ़ा के बयान पर नाराजगी का इजहार किया है। मुख्यमंत्री गहलोत ने राज्य मंत्री गुढ़ा को अपनी मर्यादा में रहने की चेतावनी दी है। यह बात कल की ही है जब राज्यमंत्री गुढ़ा ने अपने क्षेत्र के एक कार्यक्रम में अफसरों को संबोधित करते हुए कहा था कि हेमा मालिनी तो अब बूढ़ी हो गईं, अब तो कटरीना कैफ के गालों जैसी सड़कें बननी चाहिए। गुढ़ा के इस बेतुके बयान पर सीएम ने कडी आपत्ति जतलाई है।
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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सूरत में कहा था- इस तरह के कमेंट सरासर गलत हैं। कई बार ऐसे कमेंट राजस्थान से या फिर अन्य राज्यों से आते हैं। किंतु, राजस्थान हो या देश के अन्य राज्य का कोई भी व्यक्ति हो, उन्हें अपने ओहदे और मर्यादा का ख्याल रखते हुए बात करनी चाहिए। अगर मर्यादा से बाहर जाकर राजनीति करेंगे तो उसे कोई भी पसंद नहीं करेगा।
गहलोत ने कहा कि “गुढ़ा ने किस संदर्भ में यह सारी बात कही है इस बारे में मुझे कुछ भी मालूम नहीं। हम जल्द ही पता कर लेंगे कि उन्होंने किस संदर्भ में यह कहा और क्यों कहा है? कई बार एस भी होता है कि संदर्भ बदल जाता है, कहने का मकसद कुछ कुछ और ही होता है और समजा कुछ और जाता है। मैं इतना कह सकता हूं कि मर्यादा हरएक व्यक्ति को रखनी चाहिए। मंत्री और मुख्यमंत्री को तो अधिक मर्यादा रखनी चाहिए। हर इंसान को अपनी मर्यादा रखनी चाहिए”।
मर्यादा से बाहर जाकर बयान देने वाले मंत्री राजेंद्र गुढ़ा बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए हैं। इससे पहले गहलोत के पिछले कार्यकाल में भी गुढ़ा छह बसपा विधायकों के साथ कांग्रेस में शामिल हुए थे। उस समय अल्पमत की गहलोत सरकार को भी बसपा से कांग्रेस में आए छह विधायकों ने ही सहारा दिया था। गहलोत ने के राजेंद्र गुढ़ा बयान पर आपत्ति जताई है, लेकिन लहजा सख्त नहीं रखा। इसके पीछे सियासी समीकरण भी सबसे बड़ा कारण है।
मंत्री राजेंद्र गुढ़ा अपने बयानों के कारण इससे पहले भी विवादों में रहे हैं। 2017 में एक प्रदर्शन के दौरान गुढ़ा एक चैनल पर लाइव प्रसारण में तत्कालीन बीजेपी सरकार को अपशब्द कहकर विवादों में आ गए थे। गुढ़ा इस साल भी अपने इलाके में हर घर नल स्कीम मंजूर नहीं करने से नाराज होकर जयपूर में चीफ इंजीनियर के चैंबर में धरने पर बैठ गए थे।
मंत्रिमंडल विस्तार में देरी होने पर भी गुढ़ा ने दिया बयान चर्चा में रहा था। पिछले साल गुढ़ा ने कहा था- बुढ़ापे में शादी का कोई अर्थ नहीं है, अब मंत्रिमंडल विस्तार पर भी यही बात लागू होती है। इसी साल जून में गुढ़ा ने कहा था कि बसपा से आने वाले विधायक नहीं होते तो अब तक सरकार अपनी पहली पुण्यतिथि मनाने की तैयारी कर चुकी होती।
राजेंद्र गुढ़ा के इस बयान के बाद बीजेपी को गहलोत सरकार पर तंज के तीर चलाने का मौका मिल गया है। बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा- किसी जमाने में लालू यादव ने भी सड़कों की तुलना हेमा मालिनी से की थी। मंत्री का इस तरह का बयान सस्ती लोकप्रियता का हथकंडा है। अब तो जनता भी अफसोस कर रही होगी कि किस किस्म के लोगों को सत्ता तक पहुंचाया है।