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S-400 Indian Air Force: जानिए S-400 मिसाइल सिस्टम क्या है, भारतीय वायुसेना में शामिल होंगी रूसी मिसाइलें

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चीन से बढ़ते खतरे के बीच भारत को जल्द ही रूसी ब्रह्मास्त्र कहे जाने वाले S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम इस साल मिल सकते हैं। मंगलवार को भारतीय वायु सेना के चीफ एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने कहा कि रूस में निर्मित ये अत्याधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम इस वर्ष के भीतर ही भारतीय वायुसेना में शामिल कर लिया जाएगा। भारत आने की बढ़ती संभावनाओं के बीच S-400 अब अमेरिका से बड़ा झटका लगने की भी आशंका बढ़ती जा रही है। भारत के साथ खड़ा अमेरिका एयर डिफेंस सिस्टम का बड़ा विरोध चीन के खिलाफ गठजोड़ में कर रहा है। अमेरिका या चाहता है कि भारत S-400 जगह पर उसका एयर डिफेंस सिस्टम खरीदें। विशेषज्ञों के अनुसार S-400 के सामने अमेरिकी सिस्टम कहीं नहीं ठहरता है। यही कारण है कि अमेरिका को भारत में कई बार साफ कर दिया है कि वो रूस के साथ ही अपने डील को आगे बढ़ाएगा। भारत के इस रूख से अमेरिकी प्रतिबंधों का खतरा मंडराने लगा है। जो भाई डॉन रूस को अमेरिका का सबसे बड़ा दुश्मन बता चुके हैं। तथा वह तुर्की के S-400 खरीदने का विरोध भी कर चुके हैं जो नाटो का सदस्य देश है।

S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम चीन ने भी तैनात किया.

भारत रूस से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम 5.4 अरब डॉलर में ले रहा है। चूंकि यह भी माना जा रहा है कि इसी साल नवंबर महीने से इसकी आपूर्ति शुरू हो सकती हैं। सिर्फ इतना ही नहीं भारत रूस के हथियारों का बहुत बड़ा ग्राहक भी है। हाल ही में भारतीय सीमा के पास चीन ने S-400 साहिल डिफेंस सिस्टम ही तैनात कर रखा है। भारत को इस सिस्टम की और ज्यादा जरूरत इसी वजह से आन पड़ी है। भारत में अमेरिका को भी दो टूक में ही बता दिया है कि इस सिस्टम को वह खरीदने से पीछे नहीं हटेगा। भारत सिर्फ रूस से ही नहीं बल्कि अमेरिका से भी बड़े पैमाने पर हथियार खरीद रहा है। इसमें चिनूक, अपाचे हेलीकॉप्टर पी-8 आई निगरानी विमान भी शामिल है। चूंकि भारत के अभी भी 60 फ़ीसदी हथियार रूसी हैं। भारत के इस फैसले पर अटल रहने से अब अमेरिकी प्रतिबंधों का खतरा पैदा हो गया है। अमेरिका ने रूस से S-400 खरीदने पर तुर्की के खिलाफ CAATSA के जरिए ही प्रतिबंध लगा दिया है। असल में अमेरिका को यह डर है कि रुस S-400 के जरिए अमेरिकी हथियारों से जुड़े राज को जान सकता है। एमआईटी के राजनीतिक विज्ञान के प्रोफ़ेसर विपिन नारंग ने हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत में बताया कि असलियत तो यह है कि नाटो सदस्य देश तुर्की भी अमेरिका के प्रतिबंधों से नहीं बच सका। इससे यह पता चलता है कि S-400 को लेकर अमेरिका कितना चिंतित है। संभवत: यह केवल कूड़ा नहीं है। बल्कि इस साल भारत का S-400 लेने पर जोर बाइडेन प्रशासन को भारत के खिलाफ प्रतिबंध लगाने को मजबूर कर सकता है।

अमेरिकी प्रतिबंधों की संभावनाओं को खारिज किया रूस ने

रूसी अधिकारियों ने काट्सा के अंतर्गत भारत पर प्रतिबंध लगाने की संभावनाओं को खारिज किया है। उन्होंने बताया कि ये डील राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखकर किया गया है। अपने पहले भारत दौरे के समय बाइडेन सरकार की रक्षा में मंत्री बने लाॅयड ऑस्टिन ने कहा था कि हमारे दोस्तों को रूस से हथियारों की खरीद से बचना ही चाहिए। प्रतिबंधों के मुद्दों पर उन्होंने बताया था कि भारत को जब अभी तक यह सिस्टम मिला ही नहीं तो प्रतिबंधों का कोई सवाल ही नहीं उठता है।

S-400 डिफेंस सिस्टम क्या है?

ये एक एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम है। जो कि दुश्मनों के एयरक्राफ्ट को आसमान से भी गिरा सकता है। रूस का सबसे एडवांस लोन रेंज surface-to-air मिसाइल डिफेंस सिस्टम S-400 माना जाता है। यह दुश्मनों की क्रूज़, ब्लास्टिक मिसाइलों और एयरक्राफ्ट को मार गिराने में भी सक्षम है।S-400 सिस्टम रूस के ही S-300 का अपग्रेडेड वर्जन है। अल्माज-आंते ने इस मिसाइल सिस्टम को तैयार किया है। सन् 2007 के बाद से ही जो रूस में सेवा में है। ये एक ही राउंड में 36 वार करने में सक्षम है।

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