UNGA: वीटो के यूज़ के मामले में संयुक्त राष्ट्र महासभा के अस्थाई जनादेश पर संकल्प में भारत ने अपना नजरिया अब दुनिया के सामने रखा है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि राजदूत आर रविंद्र ने यह कहा है कि वीटो का यूज करने का विशेषाधिकार केवल 5 सदस्य देशों को भी दिया गया है। UNGA इसके बारे में कर भी नहीं सकता है क्योंकि प्रभावी रूप से P-5 के पास वीटो है। सारे पांच स्थाई सदस्यों ने अपने अपने राजनीतिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए ही बीते 75 सालों में वीटो का इस्तेमाल किया है।
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उन्होंने यह कहां है कि जैसा कि हमारी अफ्रीकी भाइयों तथा बहनों द्वारा यह कहा जाता है। ये देश की संप्रभु समानता की अवधारणा के खिलाफ है तथा द्वितीय विश्वयुद्ध की मानसिकता को भी कायम रखता है। या तो फिर मतदान के अधिकार के संबंध में सभी के साथ समान व्यवहार किया जाए या नए अस्थाई सदस्यों को भी वीटो का अधिकार दिया जाना चाहिए।
इसलिए हम यह आशा करते हैं कि सदस्यता की श्रेणी के पहलुओं तथा परिषद के कामकाज के तरीकों पर ध्यान केंद्रित करने वाले तथ्यों के प्रयासों के बिना भी किसी दोहरी मानकों के तथा भविष्य में इस प्रकार के मानदंड के साथ माना जाएगा।
आर रविंद्र ने यह भी कहा है कि इस संबंध में मुझे हमारी अफ्रीका भाइयों तथा बहनों ने आईजीएन में बार-बार कहा है। दरअसल सैद्धांतिक रूप से वीटो को खत्म कर दिया जाना चाहिए। चूंकि सामान्य के मामले के रूप में भी इसे नए अस्थाई सदस्य तक बढ़ाया जाना चाहिए जब तक ये अस्तित्व में रहता है।
गौरतलब है कि बैठक में भारत के स्थाई प्रतिनिधि आर रविंद्र ने यरूशलम के पवित्र स्थानों पर हुई हिंसा के मामले को भी उठाया। उन्होंने यह कहा है कि रमजान के दौरान यरूशलम के पवित्र स्थानों पर हुई घटनाओं से हम बहुत ज्यादा चिंतित हैं। सनम की ऐतिहासिक यथास्थिति का सम्मान भी किया जाना चाहिए और इसे बरकरार रखा जाना चाहिए।
आर रविंद्र ने यह कहा है कि रुकावट तथा बर्बरता के सारे कार्य जो पवित्र स्थानों की पवित्रता का उल्लंघन करते हैं। चाहे वो यरूशलम में हो या फिर कहीं और हो। इसकी अस्पष्ट रुप से निंदा भी की जानी चाहिए। हम शांति बहाल करने के लिए सारे स्टेप का भी समर्थन करते हैं।
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बता दें कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में भारत के स्थाई प्रतिनिधि आर रविंद्र सीरिया में हो रहे सीजफायर उल्लंघन के मामले को भी उठाया। उन्होंने कहा कि सीरिया में एक व्यापक राष्ट्रव्यापी युद्ध विराम की दिशा में वास्तव में गंभीर प्रयासों की तत्काल ही आवश्यकता है। हमें यह भी मानते हैं कि इसके लिए विदेशी बलों की वापसी जरूरी है।