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Important Part of Human Body : मानव हृदय आवरण नाम की थैली में सुरक्षित रहता है । ह्रदय का कुल वजन 375 ग्राम होता है । यह शरीर का सबसे व्यस्त अंग है। यह 1 मिनट में 72 बार धड़कता है और बच्चों में दिल की धड़कन की प्रक्रिया 1 मिनट में 102 बार धड़कता है जो 1 मिनट में 500 मिलीलीटर रक्त को विभिन्न अंगों तक पहुंचाता है। मनुष्य का ह्रदय 4 कॉष्ठकीय होता है जो पसलियो के भीतर बायें तरफ द्रव पदार्थ के अंदर स्थित होता है। अगले और ऊपरी भाग में दांया एवं बांया अलिंद होता है। तथा ह्रदय के निचले और पिछले भाग में दांया निलय एवं बांया निलय होता है। दांये अलिंद एवं दांये निलय के बीच में त्रिवलनी कपाट होता है । बाये अलिंद एवं बांये निलय के बीच द्विवलनी कपाट होता है।
Important Part of Human Body एक स्वस्थ व्यक्ति का हृदय 72 से 75 बार धड़कता है इसकी गति कम या अधिक भी हो सकती है । हर एक स्पंदन के साथ सबसे पहले दोनों एट्रीयम का और उसके बाद दोनों वेंट्रीकल संकुचन होता है। संकुचन के बाद दोनों एक साथ सिथिल पड़ जाते हैं। ह्रदय में स्पंदन निरंतर चलता रहता है जब ह्रदय का कार्य करते वक्त जैसे दोनों बेंट्रिकल्स में संकुचन होता है वैसे ही ह्रदय का एपेक्स छाती की दीवार से टकराता है और धक-धक की ध्वनि उत्पन्न होती है, जिसे हृदय की धड़कन या स्पंदन कहते हैं। बड़ों की तुलना में बच्चों के हृदय का स्पंदन अधिक तीव्र होती है । व्यक्ति की आयु जैसे-जैसे बढ़ती है उसके ह्रदय की स्पंदन की गति कम होती जाती है । तीव्र संवेग की स्थिति में जैसे अधिक खुशियां ,क्रोध की स्थिति में धड़कन तेज हो जाती है।
– हृदय एक पंप की तरह कार्य करता है जो खून को खींचता है तथा धमनियों द्वारा शरीर के विभिन्न भागों में पहुंचाता है।
2्- ह्रदय शरीर के सभी हिस्सों से महाशिरा तथा निम्न महाशिरा के द्वारा अशुद्ध रक्त दाएं एट्रीयम में इकट्ठा करता है।
3 – पूर्ण तरह से भरे जाने पर दांये एट्रीयम में संकुचन होने लगता है और रक्त दायें वेंट्रीकल में आने लगता है।
इस प्रक्रिया के होने के बाद टाईकस्पिड बाल्ब बंद हो जाता है। इसके बाद दाएं वेंट्रीकल के संकुचित होने पर रक्त पल्मोनरी वाल्व से होकर फुफ्फुसीय धमनी और आगे जाकर उपशाखाओं में विभक्त हो जाता है। जिसे दायीं तथा बायीं फुफ्फुसीय धमनी कहा जाता है। इन धमनियों का काम अशुद्ध रक्त को शुद्ध करने के लिए फुफ्फुस तक ले जाना होता है । धक्के के साथ बायें एट्रियो वेंट्रिकुलर बाल्ब होते हुए बायें वेंट्रीकल में आता है । इसके बाद एट्रियो वेंट्रिकुलर बाल्ब बंद हो जाता है । इसके बाद बांया वेंट्रीकल संकुचित होता है। जिसकी वजह से शुद्ध रक्त महाधमनी में पहुंचता है और फिर महाधमनी शुद्ध रक्त में को पूरे शरीर में पहुंचाने का काम करता है।
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Important Part of Human Body यह गुलाबी रंग का होता है यह शंक्वाकार अंदर से खोखला मांसल अंग होता है । यह शरीर के वक्ष भाग में फेफड़ों के बीच होता है। रुधिर वाहिनियां रक्त प्रवाह को पूरे शरीर में ले जाती हैं तथा फिर इसी से वापस लाती हैं । मनुष्य में रक्त की मात्रा 5 लीटर होती है। मानव शरीर का 20 वां भाग रक्त होता है । रक्त पूरे शरीर में दौड़ता है। हृदय धमनी और शिरा परिसंचरण तंत्र में मुख्य भूमिका निभाती है।
Important Part of Human Body ह्रदय के चार कोष्टक होते हैं :-
(1) दाया अलिंद- ह्रदय के इस भाग में शरीर का ऑक्सीजन रहित अशुद्ध रक्त आकर इकट्ठा हो जाता है मां शेरा शरीर के ऊपरी हिस्से से तथा निम्न महासला निचले हिस्से से अशुद्ध रक्त को दाएं आनंद में पहुंचाने का कार्य करती है इसी की सीलिंग पतली होती हैं इसे रक्त को पंप करने का काम ज्यादा नहीं करना पड़ता है इसका मुख्य काम केवल खून को ग्रहण करना है।
(2) दांया निलय – यह ह्रदय का दूसरा कक्ष है। दांये निलय में अशुद्ध रक्त पहुंचने के बाद एट्रिया बेट्रिकल छिद्र से होते हुए दाएं बेट्रीकल में आता है। वहां से फुफ्फुस धमनियों द्वारा फेफड़ों में शुद्ध होने के लिए चला जाता है।
( 3) बांया आलिंद- यह ह्रदय के बाएं भाग का ऊपर वाला कक्ष है। आकार में देखा जाए तो यह दाएं एट्रियम से थोड़ा सा छोटा होता है। दांया एट्रियम की अपेक्षा इसकी भित्तियां भी थोड़ी मोटी होती हैं इसमें चार फुफ्फुस सराय खुलकर शुद्ध रक्त को बाएं एट्रियम तक ले जाने का काम करती हैं।
(4) बांया निलय – ह्रदय का चौथा कक्ष बांया निलय होता है या भागने चला एवं सभी कक्षाओं में बड़ा कक्ष है। इसकी भित्तियां शेष सभी कक्षों की भित्तियों से मोटी होती है । इसमें एक छिद्र होता है, जिसे महाधमनी कहते हैं। यह शरीर के भागों में रक्त आपूर्ति का काम करती हैं । बांया निलय शरीर के सभी भागों में रक्त पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।