Hanging Rules: निर्भया कांड के मामले में दोषियों को सजा देने की तैयारी चल रही है। हालांकि अभी तक तारीख का कोई फैसला नहीं हुआ है। एक दोषी ने उसके अपराध पर पुनर्विचार की याचिका भी लगाई है। जिस पर फैसला आना बाकी है। पर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि जल्द ही उन्हें फांसी की सजा दी जाएगी।
आप सोच रहे होंगे कि हमने निर्भया कांड से संबंधित चर्चा क्यों कि दरअसल आज हम आपसे जिस बात पर चर्चा करने जा रहे हैं यह चर्चा फांसी के संबंध से है। तो फांसी संबंधित चर्चा के लिए हाल हुई हाल ही में हुई एक घटना के मुद्दा को उठाना जरूरी था। आज हम आपको बताएंगे कि जब किसी को फांसी दी जाती है तो वहां पर कौन-कौन उपलब्ध रहता है? फांसी देने के क्या नियम है और क्यों इसमें पांच ही लोग उपलब्ध रहते हैं, ब्लैक वारंट क्या होता है ? इन सब बात की चर्चा आज के आर्टिकल में करेंगे।
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कानूनी नियमों के आधार पर ब्लैक वारंट लोअर कोर्ट के द्वारा जारी किया जाता है आदेश भले ही ब्लैक वारंट कोर्ट के माध्यम से जारी होता है लेकिन फासी देने का वक्त जेल सुपरिटेंडेंट द्वारा निर्धारित किया जाता है। सुपरिटेंडेंट फांसी के समय को कोर्ट को सूचित करता है ब्लैक वारंट जारी होने के 15 दिन बाद फांसी दी जाती है। एक बार जब वारंट जारी कर दिया जाता है तो फांसी से संबंधित सारी तैयारियां करने में ज्यादा वक्त नहीं लगता। वारंट जारी करने के बाद भी कुछ नियम और हालात सरकार के द्वारा बदले जा सकते हैं।
ट्रायल कोर्ट के द्वारा ब्लैंक वारंट जारी करने के बाद जेल सुपरिटेंडेंट सेशन जज और डीजी तिहाड को फांसी का वक्त सूचित करता है।
फांसी के वक्त जेल में बहुत ही गम भरा माहौल बन जाता है इसलिए सभी कैदी अपने-अपने बैरक में बंद रहते हैं।
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जब भी किसी कैदी को फांसी की सजा दी जाती है उस वक्त 5 लोग वहां मौजूद रहते हैं जेल सुपरीटेंडेंट ,डिप्टी सुपरिटेंडेंट, रेसिडेंट मेडिकल ऑफिसर ,चिकित्सा अधिकारी और मजिस्ट्रेट इन 5 लोगों के उपस्थिति में फांसी की सजा सुनाई जाती है।
इसके अलावा जिसे फांसी दी जा रही है वह चाहे तो अपने धर्म से संबंधित किसी भी पंडित, मौलवी को भी फांसी होते हुए देख सकता है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 302 आईपीसी की धारा 302 कई मामलों में काफी महत्वपूर्ण है। कत्ल के अपराधियों पर धारा 302 लगाई जाती है और अगर किसी पर हत्या का आरोप साबित हो जाता है, तो उसे उम्रकैद या फांसी की सजा और जुर्माना भी हो सकता है।