Gyanvapi Mosque: भारत मे बोलने की आज़ादी है, और यही वज़ह है, कि यहां पर लोग कुछ करने की अपेक्षा बोलना ज्यादा पसंद करते हैं, और इसका कारण यह है कि बोलने के लिये किसी से कोई लाइसेंस नहीं लेना पड़ता है..अब आते हैं, असली मुद्दे पर तो आपको बता दें, कि ज्ञानवापी विवाद में अब एक नये प्रकरण का शुभारंभ हो गया है, और यह प्रकरण है, हिंदुओं के जाने माने देवता शिव अर्थात भोलेनाथ के ख़तना का…..क्या है, पूरा मामला आपको विस्तार से बताते हैं।
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आगे बढ़ने से पहले थोड़ी सी चर्चा प्रकरण की पृष्ठभूमि पर भी होनी चाहिये। आपको बता दें, कि यह विवाद हिंदुओं के प्रसिद्ध धार्मिक नगर बनारस का है। जहाँ पर काशी विश्वनाथ स्थापित हैं। यहीं बगल में एक मस्जिद भी है। जिसका नाम “ज्ञानवापी मस्जिद” है। हिन्दू पक्ष और विभिन्न पौराणिक साक्ष्यों के आलोक में यह दावा किया जा रहा है। की यह कोई मस्जिद नहीं है। बल्कि यह मूलतः भगवान विश्वेश्वर का मंदिर है। जिसे मुगल सल्तनत के दौरान मुगल आक्रांताओं ने तुड़वाकर मस्जिद का रूप दे दिया था। इसी ज्ञानवापी परिसर में माता श्रृंगार गौरी की स्थापना भी बतायी जा रही है।
इसी स्थल पर नियमित पूजा अर्चना की अनुमति को लेकर पाँच महिलायें कोर्ट पहुँची और कोर्ट ने परिसर के सर्वे के आदेश दिये, सर्वे हुवा, रिपोर्ट सबमिट होने से पहले ही कुछ बातें लीक हो गईं और बाहर ख़बर आयी.. “बाबा मिल गये” ,हिन्दू पक्ष ने दावा किया कि एक विशाल शिवलिंग मिली है। तो मुस्लिम पक्ष ने कहा कि वह फव्वारा है, बहरहाल उस स्थान को जहाँ पर यह कथित शिवलिंग अथवा कथित फव्वारा प्राप्त हुआ है। उस स्थान को कड़ी सुरक्षा का निर्देश भारी सुरक्षा बल तैनात कर दिया गया है। और यहीं से एक नया प्रकरण शुरू हुआ जो अब चर्चा का विषय बन रहा है।
“कट” को देखकर कहा शिव का खतना हुवा…
सर्वे के वीडियो लीक होने पर यह बात सामने आई कि अंदर एक विशाल शिवलिंग है तो मुस्लिम पक्ष नें पलटवार कर कहा कि नहीं वह फव्वारा है,और शिवलिंग के ऊपर पाँच हिस्सों में बंटा एक “कट” भी दिखा…इस कट को देखकर दिल्ली विश्वविद्यालय, हिन्दू कालेज के एक एसोसिएट प्रोफेसर रतन लाल ने टिप्पणी करते हुये कहा कि “यदि यह शिवलिंग है। तो लगता है, कि शायद शिव जी का भी खतना कर दिया गया था।” ऐसी टिप्पणी के बाद इस पूरे प्रकरण में एक नया विषय ,शिव का ख़तना जुड़ गया जिस पर यह चर्चा जोरों पर है।
ख़तना मुस्लिमो का एक शारीरिक संस्कार है। जिसमे बच्चे के लिंग की आगे की खाल काट कर अलग कर दी जाती है, ताकि उसके बीच किसी तरह की गंदगी न रुक सके,अन्य कई समुदायों में भी यह प्रथा देखने को मिलती है। इसी प्रथा को आधार बनाकर एसोसिएट प्रोफेसर रतन लाल ने यह कहा है, कि शायद शिव जी का भी ख़तना कर दिया गया था।
रतन लाल की यह बात मज़ाक है। अथवा उपहास यह तो स्वयं रतन लाल ही बता सकते हैं, पर विवादों के बीच नया विवाद जोड़ देना कितना सही है। यह आप डिसाइड कीजिये।
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अब आपको यह जानना भी जरूरी है, कि आखिर यह रतन लाल हैं। कौन..तो आपको बता दें, कि रतन लाल उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जनपद के मूल निवासी हैं। और दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दू कॉलेज में एसोसियेट प्रोफेसर हैं, साथ ही यह “अम्बेडकरनामा” के प्रधान संपादक का दायित्व निभा रहे हैं। पिछले कुछ समय से रतन लाल लगातार विवादों में घिरे हुये हैं, और ऐसे समय मे इनके द्वारा शिव जी का ख़तना जैसी टिप्पणी अपने आप मे एक बड़ा विषय खड़ा कर रही है,जिस पर जोर-शोर से चर्चा जारी है।
इस पूरे प्रकरण पर आप क्या सोंचते हैं, हमे जरूर बतायें…।