पैदा होते ही मर जाए ऐसी औलाद : बूढ़े पिता पर इतने जुल्म- सितम कि मजबूर होकर करनी पड़ी आत्महत्या।

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इतनी प्रताड़ना कि बुजुर्ग पिता को करनी पड़ी आत्महत्या

एक बुजुर्ग पिता जिंदगी भर जिंदगी की परेशानियों से लड़ता रहा लेकिन आखिर में अपने खुद से हार गया

यह मार्मिक घटना छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले की है। जहां बेटा और बहू के जुल्मों सितम से मजबूर होकर एक बुजुर्ग पिता ने आत्महत्या कर ली। सौ परसेंट महिलाएं प्रताड़ित नहीं होती लेकिन उनके लिए बहुत अच्छे नियम कानून बनाए गए हैं कि कोई महिलाओं को प्रताड़ित ना कर पाए। लेकिन क्या हमारे भारत में ऐसा कोई कानून नहीं होना चाहिए जिसमें कोई बहू या बेटी अपने मां-बाप को प्रताड़ित ना कर पाए। माता पिता अपने अपनी संतानों का कितने लाड प्यार से पालन पोषण करते हैं। इसलिए वह कभी अपने बच्चों का नाम राजा रखते हैं, कभी अजय, कभी नारायण और कभी कान्हा। माता – पिता द्वारा अपने बच्चों को नाम देना भी एक उनकी बहुत ही लंबा और आनंदमय सपना होता है । लेकिन जरूरी नहीं है कि उनका यह आनंदमय सपना सच ही हो। कभी आनंद नाम की औलाद भी कष्ट दे जाती हैं। और कभी संतोषी, लक्ष्मी नाम की औरतें बर्बादी का कारण बनती हैं। अपने उम्र के आखिरी पड़ाव में एक बुजुर्ग पिता को इतना मजबूर होना पड़ा कि उसे मौत को गले लगाना पड़ा। यह केवल एक पिता की या ससुर की बात नहीं है भारत में ऐसे कई परिवार हैं जो बहुओं से प्रताड़ित हैं लेकिन उसके बारे में बात कोई नहीं करता।

बेटे और बहू को नहीं पुशा रहे थे गिरधारी :-

इतनी प्रताड़ना की बुजुर्ग पिता हो गया खुदकुशी के लिए बेबस

कोरबा जिले के रामपुर चौकी क्षेत्र के रामपुर सिंचाई कालोनी में रहने वाले गिरधारी राजपूत के पुत्र मनोज राजपूत का विवाह हुआ था लेकिन विवाह होने के कुछ दिन बाद ही मनोज की पत्नी कहने लगे कि हम पिताजी को साथ में नहीं रख सकते और इस बात को लेकर दोनों पति-पत्नी में आए दिन झगड़ा होने लगा रोज रोज झगड़ों के चलते गिरधारी का पुत्र मनोज शराब पीने लगा और अपने पिता से बदसलूकी करने लगा मनोज अपने पिता से जबरन पैसे भी मांगता लेकिन और गिरधारी उन्हें पैसे दे भी देते लेकिन फिर भी बेटा और बहू को गिरधारी बिल्कुल नहीं पुशा रहे थे।

आत्महत्या करने से पहले अपने दिल के सारे जख्म सुसाइड नोट पर खोल कर रख दीए :-

जो व्यक्ति सारी उम्र शान से स्वाभिमान से जीता है लेकिन कोई उसे ऐसा प्रताड़ित करें जिससे चोट सीधी शान और स्वाभिमान पर पड़े तो इंसान अंदर से टूट जाता है। ऐसा ही गिरधारी के साथ हुआ। गिरधारी ने अपने सुसाइड नोट पर अपने दिल के सारे जख्म उगार कर रख दिए। गिरधारी ने अपने सुसाइड नोट में लिखा कि ” मेरे परिवार का आज तक कोई केस कोर्ट में नहीं चला। ना ही कोई कभी जेल गया लेकिन बहू ने ऐसा करवा दिया । वह भी अपने मायके वालों और मेरे बेटे के साथ मिलकर। मैं इस घटना से बेहद दुखी हूं अब जब बदनाम हो गया हूं तो जीने का मन नहीं करता है। इसलिए आत्महत्या के लिए विवस हूं। मैं कसम खाता हूं कभी बहू को दहेज के लिए प्रताड़ित नहीं किया। लेकिन उसने झूठा केस लगा दिया। अब मैं चाहता हूं कि मेरे परिवार की इज्जत उछालने वालों को सजा मिले और वह आखिरी सांस तक कारावास में रहे। “ इसके बाद बुजुर्ग ने सोमवार देर रात अपने कमरे में फांसी लगाकर जान दे दी।

……………………………….समाप्त …………………….

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