Dogs Marriage: उत्तरप्रदेश के हमीरपुर जिले में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है । अब तक हम सबने सैकड़ों बल्कि हजारों इंसानों की शादियां देखी होंगी, दावत में भी गए होंगे लेकिन कुत्ते और कुतिया की शादी वो भी खूब धूमधाम से होने की खबर कम ही देखने को मिलती है । ऐसा ही एक विवाह उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र से सामने आया है जहां दो आश्रमों के साधुओं के यहां पले बढ़े कुत्ते और कुतिया की बड़े ही धूमधाम से शादी की गई ।
इतना ही नहीं शादी से पहले तिलक की रस्म भी हुई जिसमें कुतिया पक्ष के लोगों ने 11 हजार का तिलक चढ़ाया । रविवार को हुई शादी में कुत्ते की बारात 32 किलोमीटर दूर आश्रम पहुंची जहां कुतिया पक्ष के लोगों ने बारात का बड़े ही जोर शोर से स्वागत किया । इस अनोखी शादी की चर्चा पूरे इलाके में हो रही है ।
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हमीरपुर के सौंखर और सिमनौड़ी गांव के बीहड़ों में मनासर बाबा शिव मंदिर स्थित है । यहां पर पुजारी के रूप में महंत स्वामी द्वारका दास जी महाराज हैं । यहीं पर महंत ने एक कुत्ता पाल रखा है जिसे उन्होंने कल्लू नाम दिया है । काले रंग के इस कुत्ते की शादी महंत ने परछछ गांव के बजरंग बली मन्दिर के स्वामी अर्जुनदास महाराज की पालतू कुतिया भूरी से तय की । विवाह चित्रकूट में तय हुआ । तय कार्यक्रम के अनुसार पिछले सप्ताह कल्लू के यहां वधू पक्ष के लोग तिलक चढ़ाने आये ।
तिलक की रस्म बड़े ही धूमधाम से सम्पन्न की गई और 11 हजार का तिलक चढ़ाया गया । 3 जून को मंडप लगाकर चीकट की रस्म भी अदा की गई । इस दौरान कुत्ते और कुतिया पक्ष के सैकड़ों लोग मौजूद रहे ।
इस अनोखी शादी की सारी रस्में बिल्कुल उसी तरह मनाई गईं जैसे हिन्दू धर्म मे लड़का और लड़की की शादी में निभाई जाती हैं । रविवार 5 जून को तय कार्यक्रम के अनुसार कल्लू की बारात परछछ गांव के लिए निकली । बारात में करीब 100 बाराती नाचते गाते हुए परछछ गांव के मंदिर पहुंचे जहां महंत अर्जुन दास जी महाराज और अन्य वधू पक्ष के लोग बारातियों के स्वागत हेतु तैयार खड़े थे । ढोल की थाप पर वर पक्ष के बाराती जिनमे साधु भी शामिल थे वह नाचते गाते हुए वधू पक्ष के यहां पहुंचे अर्जुन दास महाराज ने बारात की अगवानी की ।
वर पक्ष के लोगों ने बारात मौदहा क्षेत्र के परछछ गांव की गलियों से घुमाते हुए ले गए। इस दौरान बाराती नाचते गाते हुए पहुंचे। सारी रस्में हिन्दू रीति रिवाजों के अनुसार पूरी करवाई गईं । यही नहीं बारातियों के स्वागत के लिए तमाम तरह की व्यवस्था की गई , पकवान बनवाये गए ।
कुत्ते कल्लू और भूरी कुतिया को जेवरों आदि से सजाया गया । उनके लिए नए कपड़े लाये गए । विवाह की सारी रस्में जैसे द्वारचार, भांवरे, कलेवा इत्यादि भी धूमधाम से मनाया गया ।
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महंत द्वारका दास जी महाराज और अर्जुन दास जी महाराज के पालतू कुत्ते-कुतिया की शादी में वो लगभग सारी रस्में निभाई गईं जो इंसानों की शादी में निभाई जाती है । शादी से पहले कार्ड छपवाये गए और दोनों पक्षों के महंत ने अपने अपने शुभचिंतकों, इष्टजनों और साधुओं को आमंत्रण भेजा । शादी में करीब 500 लोग शामिल हुए ।
अपने आश्रमों में पले कुत्ते और कुतिया की शादी करवाकर महंत द्वारकादास जी महाराज और परछछ गांव के मंदिर के महंत अर्जुन दास जी महाराज आपस मे समधी बन गए । इस अनोखी शादी में जहां सैकड़ों लोग सम्मिलित हुए वहीं इस शादी की चर्चा भी पूरे क्षेत्र में हो रही है ।