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अब ढाई घंटे में होगा दिल्ली से देहरादून का सफर… जानिए देश के पहले एलिवेटेड वाइल्ड लाइफ कॉरिडोर की खास बाते

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देश के प्रधानमंत्री मोदी जी ने शनिवार को उत्तराखंड की राजधानी देहरादून का दौरा किया था। उन्होंने यहां पर 18 हजार करोड़ रुपये की लागत वाले विविध प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन और शिलान्यास किया है। राजधानी देहरादून में आयोजित हुए समारोह में प्रधानमंत्री ने दिल्ली-देहरादून आर्थिक कॉरिडोर सहित 11 विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखी थी। यह कॉरिडोर बन जाने के बाद दिल्ली से देहरादून के सफर का समय कम हो जाएगा। साथ ही इस रोड पर 16 किलोमीटर लंबा एक एलिवेटेड वाइल्ड लाइफ कॉरिडोर ( Elevated Corridor ) भी बनाया जाएगा। इस रोड का निर्माण की योजना कुछ इस प्रकार से है कि रोड के नीचे से वन्य जीव बड़े सुकून से चल फिर पाएंगे। देहरादून और मसूरी जाने वाले पर्यटक भी इस कॉरिडोर से मनोहर नज़ारे का आनंद उठाएंगे।

दिल्ली से देहरादून की दूरी अब सिर्फ 2 से ढाई घंटे

दिल्ली-देहरादून एक्स्प्रेस वे के निर्माड कार्य दिन रात लगातार चल रहा है। यह एक्सप्रेस्वे तैयार हो जाने से दिल्ली से देहरादून की दूरी 6 घंटे से घटकर सिर्फ 2 से ढाई घंटे में ही सिमट जाएगी। साथ इस रोड को इकोनॉमिक एक्सप्रेस्वे भी कहा जा रहा है क्योंकी इस रोड के कारण लोगो के समय का भी बचाव होगा। बिजनेस और अन्य व्यापारी इस मार्ग के उपयोग से अपने समय की बचत कर पाएंगे। इस एक्सप्रेस्वे के साथ टनल बन जाने से दिल्ली से देहरादून के साथ ही सीधे टिहरी तक पहुंचना भी आसान हो जाएगा। इस एक्सप्रेस्वे की कुल लागत 8,300 करोड़ रुपये अंदाजित की गई है और इसे साल 2024 के अंत तक पूरा करने की योजना है। मगर एक अफसोस की बात यह भी है कि यह एक्सप्रेस्वे बनाने के लिए 10,000 से अधिक पेड़ों को काट दिया जाएगा।

ये एलिवेटेड कॉरिडोर सहारनपुर जिले के गणेशपुर-मोहंद को उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से जोडेगा। ये एक्सप्रेस्वे 72A के 28 किलोमीटर के हिस्से के साथ ही चलेगा। ये सारा ही क्षेत्र हाथियों और वन्यजीवों के लिए काफी ही मशहूर है, जबकि मौजूदा टू-लेन हाइवे का उपयोग प्राणीयों की आवाजाही के लिए ही किया जाएगा। एलिवेटेड कॉरिडोर से यात्रा के समय में भी कमी आने की उम्मीद है।

इस रस्ते पर जंगल के एक तरफ राजाजी टाइगर रिजर्व है। दो लेन वाला NH 72A उत्तराखंड के प्रवेश द्वार राजधानी देहरादून तक जाता है। फिलहाल तो इस मार्ग पर लोगों को भारी ट्रैफिक जाम झेलना पड़ता है। मोहंद और दाता काली मंदिर को जोड़ने वाले 12 किलोमीटर के हिस्से सहित 28 किलोमीटर के रास्ते में लोगों को आनेजाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। 40 मिनट की यात्रा इस पीक ट्रैफिक के कारण 1-2 घंटे तक की बन जाती है। राष्ट्रीय राजमार्ग अधिकारियों के अनुसार, पहाड़ी इलाकों में कुल 120 क्षैतिज वक्र हैं, जिसके कारण वाहनों की गति भी 25-30 किमी प्रति घंटे तक कम हो जाती हैं।

एलिवेटेड हाईवे वन क्षेत्र से गुजरने वाली देश की पहली ऐसी
सड़क

आधिकारिक नोट के अनुसार, एलिवेटेड हाईवे वन क्षेत्र से गुजरने वाली देश की पहली ऐसी सड़क है। इस सड़क पर 16 किलोमीटर का कॉरिडोर दो खंडों में बनाया जाएगा। पहला खंड मोहंद और दाता काली मंदिर के बीच 12 किलोमीटर की दूरी पर और दूसरा खंड दाता काली मंदिर से आगे आशरोड़ी तक 4 किमी के विस्तार का रहेगा।

सफर का मजा हो जाएंगा दुगना

इस प्रोजेक्ट में शामिल एक सलाहकार एसबीएस नेगी ने इस प्रोजेक्ट की जानकारी देते हुए कहा कि यह एलिवेटेड हाइवे नदी के साथ राजाजी टाइगर रिजर्व के बगल में चलेगा। उन्होंने कहा, ‘पुराने हाइवे से वन्यजीव बड़ी सहजता से आना जाना कर पाएंगे। यात्रीयों के लिए एलिवेटेड हाइवे का इस्तेमाल किया जाएगा। दाता काली मंदिर पहुंचने में सिर्फ 10 मिनट का समय ही लगेगा। इस दौरान सफर का मजा भी दुगना हो जाएंगा क्योंकि मुसाफिरों को सुहाने सफर के साथ ही वन्यजीवों को देखने का भी मौका मिलेगा और उनका यह सफर सुहाना और रोमांचक बन जाएगा।’

पहाड़ियों में पर्यटन उद्योग के लिए एक गेम चेंजर

आधिकारिक नोट के अनुसार, यह आर्थिक कॉरिडोर दिल्ली और देहरादून के बीच ड्राइविंग समय को घटाकर मात्र 150 मिनट कर देगा। पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के क्षेत्रीय निदेशक अनिल तनेजा ने कहा कि कॉरिडोर से क्षेत्र में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि, ‘पर्यटकों के लिए समय ही असl मायने रखता है और ये परियोजना निश्चित रूप से पहाड़ियों में पर्यटन उद्योग के लिए एक गेम चेंजर साबित होगी। ’

एलिवेटेड हाइवे की लागत

इस परियोजना की कुल लागत 8,300 करोड़ रुपये अंदाजित की गई है और इसे साल 2024 के अंत तक पूरा करने की उम्मीद भी है। लेकिन सबसे गहरी चिंता और अफसोस की बात यह भी है कि एलिवेटेड हाइवे के लिए रास्ता बनाने के लिए करीब 10,000 से अधिक पेड़ों को की कटाई की जाएगी। इसमें 2,000 से अधिक पेड़, ज्यादातर साल वन में, देहरादून डिवीजन में ही काट दिए जाएंगे, वहीं यूपी वन डिवीजन में 10,000 से भी ज्यादा पेड़ों की कटाई की जाएगी। डिवीजनल फॉरेस्ट ऑफिसर (DFO) देहरादून, नीतीश मणि त्रिपाठी ने कहां कि, ‘एक्टिविस्ट ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और इस मामले को आगे नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के पास भेज दिया गया था। ट्रिब्यूनल ने 2 दिसंबर को अपने आदेश में संबंधित पक्षों से एक हफ्ते में ही जवाब दाखिल करने को कहा था।’

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