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चिता नहीं जली लेकिन श्रद्धांजलि

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने लोकसभा क्षेत्र बनारस में डॉक्टर और फ्रंटलाइन वर्कर के साथ बैठक की. समीक्षा बैठक में प्रधानमंत्री मोदी भावुक हुए उन्होंने बैठक में कहा कि इस कोरोना ने अपने कई अपनों को  छीना है उन सभी लोगों को मैं विनम्र श्रद्धांजलि देता हूं और उनके परिवार परिवारों  से सांत्वना व्यक्त करता हूं. प्रधानमंत्री मोदी जी को   भावुक देखकर जनता ने कहा कि कोरोना से मरे हुए लोगों पर प्रधानमंत्री भावुक हो रहे हैं और प्रधानमंत्री मोदी जी बिना मास्क के चुनावी रैलियों में भीड़ जुटाकर खुश होते हैं इनमें से प्रधानमंत्री जी का असली चेहरा कौन है.

समीक्षा बैठक में भावुक हुए प्रधानमंत्री मोदी जी

प्रधानमंत्री जी आप प्रधानमंत्री हैं आपको बैठकर भावुक नहीं होना चाहिए आपको भावना पूर्ण होना चाहिए  उन लाशों के प्रति जो गंगा में सड़ गल रही हैं और जिन लाशों को कुत्ते खा रहे हैं उन लाशों को श्रद्धांजलि कैसे देंगे आप जिसका मांस तो कुत्ते खा गए लेकिन हड्डियां गंगा किनारे अभी भी पड़ी है उन लाशों को श्रद्धांजलि कैसे देंगे प्रधानमंत्री जी जिन्हें चिता जली नहीं मिली. उन परिवारों को कैसे सांत्वना देंगे जिन्हे मृत शरीर नहीं मिला और उनके पिता ,भाई ,बहन, मां, पत्नी बच्चों का शरीर गंगा किनारे पड़ा है जिन्हें कुत्ते खा रहे हैं.

गंगा नदी में पड़ी हुई लाशें

प्रधानमंत्री जी भावुक मत होइए आपके दुख का हल और सारे देश के दुख का हल आपके पास ही हैं. कोरोना महामारी में सेंट्रल विस्टा का निर्माण स्थगित कीजिए और स्वास्थ सेवाओं में खर्च कीजिए जिससे कोरोना की तीसरी लहर में देश के भविष्य बच्चों को सुरक्षित किया जा सके. पहले ही देश ने बहुत कुछ झेला है. प्रधानमंत्री जी आप भारत देश के प्रधानमंत्री हैं रोना कमजोरों की निशानी है. ऑक्सीजन की कमी, श्मशान घाट में लकड़ियों की कमी, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी ,नदियों में बहती लाशें ,मौत के आंकड़ों को छुपाना नाकाम सरकार की पराकाष्ठा है.

लाशों को खाते कुत्ते
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