Cryptocurrency: भारत में सरकार क्रिप्टो और अन्य वर्चुअल डिजिटल एसेट्स पर टैक्स लगाने के बाद इनके यूज़ को रेगुलेट करने के लिए विचार विमर्श में लगी है और इस रेस में सिर्फ हमारा देश ही अकेला नहीं है। दूसरे देश भी डिजिटल असेट्स को नियंत्रित करने के प्रयास में हैं। इस वक्त अमेरिका वर्चुअल डिजिटल एसेट्स को एक कानूनी ढांचे के तहत लाने की कोशिश कर रहा है। यह ठीक उसी तरीके से होगा जिस तरह से कानून के जरिए ट्रेडिशनल असेट्स यानी दूसरे एसेट्स को नियंत्रित किया जाता है।
अमेरिका में कुछ लोग प्रो क्रिप्टो वाले एक रेगुलेटरी फ्रेमवर्क पर काम कर रहे हैं जिससे अमेरिका का क्रिप्टो कानूनों का आधार बनेगा। उन्होंने बताया कि बिटकॉइन जैसी क्रिप्टो करेंसी को कमोडिटीज के जैसे मानने का सुझाव दिया है। उनकी कोशिश है कि क्रिप्टो सेक्टर को सरकार के अधिकार क्षेत्र में लाया जाए। इससे पहले यह सेक्टर मल्टी ट्रिलियन डॉलर इंडस्ट्रीज के रूप में विकसित हो जाएं, उनका फोकस है कि सरकार इसे नियंत्रित कर सके।
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कंजरवेटिव रिपब्लिकन सीनेटर ने मीडिया से बातचीत में क्रिप्टो बिल के ड्राफ्ट से जुड़ी कुछ जानकारी का खुलासा किया। उन्होंने बताया इसे सामान्य एसेट्स को मैनेज और रेगुलेट करने के फ्रेमवर्क के तहत काम करने वाला बनाया गया है जैसे बिटकॉइन एक कमोडिटी है और इस वजह से यह ट्रेडिंग और स्पॉट मार्केट और और फ्यूचर मार्केट के उद्देश्यों के लिए कमोडिटी फ्यूचर ट्रेडिंग कमीशन के तहत आएगा। अगर कोई चीज सिक्योरिटीज जैसी होती है तो वह सिक्योरिटीज एक्सचेंज कमीशन के दायरे में होगी।
उन्होंने कहा कि वे इसे एक बड़े हिस्से के रूप में पेश करने जा रहे हैं ताकि लोग बड़ी तस्वीर देख सकें। शेयरों के कॉम्पोनेंट्स के साथ स्टेबल कॉइन के साथ और संभावित सीबीडीसी के साथ कमोडिटी के कंपोनेंट्स कैसे काम करते हैं मार्केट प्लेयर्स और इन्वेस्टर्स के पक्ष में इसे अनुकूल बनाने के लिए उन्होंने अपने क्रिप्टो बिल ड्राफ्ट पर फीडबैक मांगी है। हालांकि अमेरिका फिलहाल नॉन फंजिबल टोकन यानी एनएफटी(nft) की कैटेगरी को लेकर असमंजस में है।
ये डिजिटल संपत्तियां है जिसमें से अधिकांश मेटावर्स के साथ इंटरेक्ट कर सकते हैं। साथ ही आर्ट, म्यूजिक, गेम्स और वीडियोस के मालिक इसकी ऑनलाइन ट्रेडिंग भी कर सकते हैं और इससे पैसा कमा सकते हैं।
आपको बता दें कि अमेरिका में Cryptocurrency रखने और ट्रेडिंग पर कोई प्रतिबंध नहीं है यहां क्रिप्टो को करेंसी के रूप में नहीं बल्कि संपत्ति के रूप में पहचान मिली है। क्रिप्टो के लेन-देन में यहां 10 से 20% तक टैक्स लगता है। उन्होंने क्रिप्टोप बिल के ड्राफ्ट पर संबंधित पक्षों से फीडबैक मांगा है। जिससे इनमें क्रिप्टो इंडस्ट्रीज से जुड़ी फर्मों और इन्वेस्टर्स के हितों का ध्यान रखा जा सके। कुछ अन्य देश भी क्रिप्टो सेगमेंट के लिए कानून बनाने पर काम कर रहे हैं। इससे इस सेगमेंट के मामले में फ्रॉड को कम करने में मदद मिलेगी।
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अमेरिका के अलावा पाकिस्तान ने भी Cryptocurrency के भविष्य पर फैसला लेने के लिए सरकार ने 3 कमेटियां बनाई है। यह कमेटियां क्रिप्टो करेंसी इंडस्ट्री के कई पहलुओं पर विचार विमर्श करेंगे और देश के क्रिप्टो कानूनों को बेहतर बनाने के सुझाव पेश करेगी। सभी समितियों का गठन वित्त सचिव हमीद याकूब शेख की अध्यक्षता में एक बैठक के दौरान किया गया था ताकि पता किया जा सके कि क्रिप्टो करेंसी मार्केट को वैध या प्रतिबंधित किया जाना चाहिए या नहीं।
समिति सिक्योरिटी और टेक्निकल प्रोग्रेस के बीच बैलेंस को बनाए रखते हुए क्रिप्टो पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक तरीके से सुझाव देगा। तो यह तो हमने जाना कि भारत सहित दूसरे देश भी क्रिप्टो को अपने देशों में नियंत्रित करने के लेकर कमेटियां बनाकर बैठक में लगे हैं। अब आगे देखना होगा कि अन्य देश इसको लेकर क्या कदम उठाते है।