Cow Dung Products: कभी आप छुट्टियों में गांव गए होंगे तो वहां घर पर ही बाग बगीचे में या फिर किसी कोने में गोबर का ढेर जरूर देखे होंगे। कहीं पर गोबर के उपले बनाए जाते हैं, तो कहीं खाद बनाकर खेत में डाला जाता है। शहर में सड़क के किनारे गोबर का ढेर भी देखा होगा। कुछ लोगों ने गोबर से ईट, सीमेंट आदि बनाकर किसानों की राह आसान कर दी है, और ऐसे ही एक शख्स हैं छत्तीसगढ़ की रितेश अग्रवाल।
इस पोस्ट में
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित गोकुल नगर के रहने वाले एक पशुपालक ने गाय के गोबर से दर्जनों चीजें तैयार की है। दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 3 साल में रितेश अग्रवाल ने गोबर से बैग, मूर्तियां, दीपक, पेंट, ईट, पर्स, अबीर गुलाल और यहां तक की चप्पल बना डाले।
वर्ष 2022 का बजट सत्र पेश करने के लिए छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल विधानसभा पहुंचे तब उनके हाथ में गोबर से बना बैग था। यह बैग रितेश और उनकी संस्था “एक पहल” ने 10 दिन की मेनहत के बाद से तैयार किया।
Cow Dung Products रितेश ने रायपुर से शिक्षा प्राप्त की। वर्ष 2003 में उन्होंने ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। कई कंपनियों में रितेश ने नौकरी की। लेकिन उनका मन नहीं मान रहा था। रितेश ने बातचीत में बताया कि वह लंबे समय से समाज के लिए कुछ करना चाहते थे। लेकिन क्या करें यह समझ नहीं पा रहे थे। रितेश ने बताया कि अक्सर मैं देखता था कि सड़कों पर गाय घूमती रहती हैं। इनमें से अधिकतर गाय कचरा खाने के कारण से बीमार हो जाती हैं। तो कई सारी हादसे का शिकार हो जाती है। मैं चाहता था कि इनके लिए कुछ किया जाए। वर्ष 2015 में नौकरी छोड़ मैंने एक गौशाला से जुड़कर गौ सेवा शुरू किया।
रितेश ने बताया कि गोबर से चप्पल बनाने की प्रक्रिया बहुत आसान है। ABP Live की रिपोर्ट के मुताबिक रितेश गोहार गम, आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों, चूना एवं गोबर के पाउडर को मिलाकर चप्पल बनाते हैं। 1 किलो गोबर से 10 चप्पले बनाई जाती हैं। अगर चप्पल 3 से 4 घंटे बारिश में भीग जाए तो भी खराब नहीं होती। धूप में सुखाकर दोबारा इसका उपयोग किया जा सकता है।
बता दे कि गौशाला में काम करने के दौरान रितेश अन्य प्रोजेक्ट पर भी काम करने का मौका मिला। उन्हें पता चला कि दूध देने वाली गाय एवं दूध न देने वाली गाय दोनों ही उपयोगी है। ऐसे गायों के गोबर से कई तरह की चीजें बनाई जा सकती हैं। 2018 से 2019 में छत्तीसगढ़ सरकार ने गोठान मॉडल शुरू किया। रितेश भी इस मॉडल के साथ जुड़े। गोबर से किस्म किस्म की चीजें बनाने की ट्रेनिंग उन्होंने राजस्थान की राजधानी जयपुर एवं हिमाचल प्रदेश में जाकर ली।
आँख पर पट्टी बांधकर भी कैसे चला रही है साइकिल, ये लड़की
किनते लाख में बिका ये बकरा ? इस बकरीद में क्या रहा खास ? गोरखपुर में भी रही भारी डिमांड
गोबर से अबीर और गुलाल बनाने के लिए सबसे पहले उसे सुखाया जाता है। इसके बाद से गोबर को पाउडर में बदला जाता है और उसमें फूलों की सूखी हुई पत्तियों के पाउडर को मिलाया जाता है। इसके बाद से उसमें कस्टर्ड पाउडर मिलाया जाता है। पाउडर को विभिन्न रंग देने के लिए भी प्राकृतिक रंगों का ही यूज़ होता है। पीले रंग के लिए हल्दी, हरे रंग के लिए धनिया पत्ती का यूज किया जाता है।
Cow Dung Products गोबर से चीजें बनाना सीखने के बाद से रितेश ने स्थानीय लोगों को भी इस काम से जोड़ा। रितेश ने दूसरों को भी ट्रेनिंग देना शुरू किया। हालांकि उनके पास गोबर के प्रोडक्ट की डिमांड न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि आसपास के राज्य से आने लगी।