ब्लड प्रेशर( बीपी )और हृदय रोगियों के लिए अच्छी खबर है। इन बीमारियों के इलाज में आमतौर पर काम आने वाली दवाइयों से कोरोनावायरस (कोविड-19 )के गंभीर होने की आशंका को एक नए अध्ययन ने खारिज कर दिया गया है। चूहे पर किए गए अध्ययन के आधार पर यह दावा किया गया है कि इन दवाइयों से कोरोना संक्रमण के गंभीर होने का खतरा नहीं बढ़ता है।
अमेरिका की नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार, पूर्व में बड़े पैमाने पर आशंका जताई गई थी कि एसिई ईहिबिटस और एंजियोटेनसिन रिसेप्टरों ब्लाकस (एआरबी) क्लास की दवाइयों के चलते मानव कोशिकाएं (सेल) में एसीई2 नामक प्रोटीन का स्तर बढ़ सकता है।
कोरोनावायरस की प्रोटीन के प्रयोग से कोशिकाओं में दाखिल हो जाता है और फिर इन्हें संक्रमित करता है। पूर्व के अध्ययनों में पाया गया था कि इस क्लास की दवाओ से करोना की चपेट में आने का खतरा बढ़ सकता है । पशुओं पर किए गए अध्ययन के आधार पर यह आशंका जताई गई थी । हालांकि अमेरिकी सोसाइटी नेफ्रोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के निष्कर्षों से चूहे की किडनी झिल्लियों में एसीई2 स्थर में वृद्धि की जगह गिरावट का पता चला है। फेफड़ों की झील्लियों में भी इसके चलते कोई बदलाव नहीं पाया गया।
शोधकर्ताओं ने बताया कि अध्ययन में सबसे पहले फेफड़े में एसीई2 और एआरबी के प्रभाव का परीक्षण किया गया। नॉर्थवेस्ट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता डेनियल बैटल ने कहा,’ यह अध्ययन उस धारणा का समर्थन करता है कि एसीई इंहिबिटस और एआरबी दवाइयों के उपयोग से कोरोना संक्रमण का खतरा नहीं बटता है।