पिपराइच के वीरेंद्र गौड के संक्रमित होने पर परिवार ने झेली उपेक्षा,
परिचितों के मुंह मोड़ने पर भी नहीं हारी हिम्मत,जीत कर लिया दम,
‘हौसले भी किसी हकीम से कम नहीं होते, हर तकलीफ में ताकत की दवा देते हैं ‘ यह पंक्ति बिल्कुल सटीक बैठती है । पिपराइच निवासी विरेंद्र गोंडा और उनके परिवार पर। उन्होंने हौसले से मिली हिम्मत के बूते कोरोना व उससे उपजी परिस्थितियों को मार दी।
वीरेंद्र के कोरोना संक्रमित होने के बाद आसपास का पूरा वातावरण उपेक्षा से भर गया था। वह अस्पताल गए तो परिचितों ने उनके परिवार से मुंह मोड़ लिया ।लेकिन इसका असर न वीरेंद्र पर पड और ना ही परिवार , उन्होंने लड़ाई लड़ी और जीत कर ही दम लिया ।वीरेंद्र मुंबई में काम करते हैं। घर लौटे तो हल्का बुखार हुआ। जांच में कोरोना पॉजिटिव आने के बाद उन्हें रेलवे अस्पताल में भर्ती कराया गया।
पॉजिटिव होते ही उड़ने लगी अफवाह : वीरेंद्र के छोटे भाई महेंद्र गौड का कहना है कि भाई के पॉजिटिव होने की सूचना सार्वजनिक हुई तो ,मोहल्ले में तमाम अफवाहें उड़ने लगी होने । शोर हो गया कि पूरा परिवार संक्रमित है। यहां तक कहा गया कि उनके भाई कई जगहों पर घूमकर अन्य लोगों को भी कोरोना दे चुके हैं।
कुछ लोग मदद करने को भी आगे आए : लॉकडाउन के कारण पहले से ही कामकाज बंद था।इसी बीच घर लौटे वीरेंद्र के कोरोना संक्रमित होने पर मोहल्ला सील हो गया ।पहले से जुटाएं पैसे खर्च हो गए। घर में छोटी-छोटी चीजों का संकट आया तो समाज में कुछ लोग मदद के लिए भी आगे आए।
सब ने काट ली थी करनी हम बनाएंगे मनोबल: महेंद्र बताते हैं कि जैसे ही लोगों को वीरेंद्र के संक्रमित होने का पता चला, सब ने कन्नी काट ली ।जबकि यह दौर मदद करने और मनोबल बढ़ाने का होता है ।इस कष्टदायी अनुभव के बाद उन्होंने निर्णय लिया कि कोरोना संक्रमितो के परिवार का मनोबल बनाएंगे और उनकी हर संभव मदद करेंगे।