Childhood Days: 90 के दशक में पैदा हुए, बड़े हुए बच्चों की यादों का एक बहुत ही बड़ा हिस्सा उस समय के शोज़ और सीरियल्स भी होते थे। रंगोली, महाभारत, सुपरहिट मुक़ाबला, देख भाई देख, शरारत, ब्योमकेश बक्शी, नुक्कड़-सर्कस, हम पांच सिरियल उस समय का सबसे बढ़िया टाइम पास होते थे। इन मनोरंजन के साथ ही कुछ ऐसा ही कुछ क्रेज़ उस समय के Ads यानी विज्ञापनों का भी था। फिर चाहे वो ‘जलेबी वाला धारा’ हो या ‘एक्शन का स्कूल टाइम रहा हो’, या फिर ‘मैगी मैगी मैगी’ हो।
जब आज इनका ज़िक्र छिड़ ही चुका है तो एक बार फिर हम 90s के कुछ ऐसे ही Popular Ads को याद कर लेते लेते हैं जो सिरियल्स के अलावा बड़े ही पसंदीदा प्रसारण बने हुए थे,
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निरमा डिटर्जेंट के जया, रेखा… के अलावा सोनाली बेंद्रे वाला ये निरमा सोप का Ad को भी दर्शकों में काफी पसंद किया जाता था।
राहुल बजाज का ये स्कूटर और ये ब्रैंड भारतीय मिडिल की पहचान हुआ करता है। यह वो दौर था जब बजाज का स्कूटर हर मध्यम वर्ग की शान बना हुआ था । ख़ास कर घर के बच्चे स्कूटर के आगे बैठ कर ‘हमारा बजाज’ यह गाना गुनगुनाया ही करते थे।
बजी बेल और हो मिली छुट्टी… जूतों का ये Ad हमें स्कूल के दिनों की यादों में वापस ले जाता है।
इस कमर्शियल एड को देखने के बाद न जाने कितने ही बच्चे इस गुस्से में अटने घर से चले जाते थे कि उन्हें मनाने के लिए भी कोई जलेबी लेकर आएगा। वाकई में परज़ान दस्तूर की आवाज़ में बोला गया ‘जलेबी’ आज भी हमें ख़ुश कर देता है।
लिरिल साबुन के इस Ad के बाद ही प्रीति ज़िंटा ‘लिरिल गर्ल’ के रूप में फ़ेमस हुईं थी। इस गाने का जिंगल आज भी लोगों को याद है।
देखिए इस एंड को, क्या कुछ याद आया? कोलगेट जेल के इस एड में ऐश्वर्या राय ने काम किया था।
90 के दशक में शायद ही ऐसा कोई बच्चा रहा होगा जिसने दूध पीते हुए ‘I Am A Complan Boy’, या ‘I Am A Complan Girl’, नहीं कहा होगा। गौर से देखिए कॉम्पलैन के इस Ad में शाहिद कपूर और आयशा टाकिया थे।
मछली पकड़ने की छड़ी वाला वो विज्ञापन, इस एक्टर के रिएक्शन से सभी दर्शकों के चेहरों पर ख़ुशी ही आ जाती थी।
यह वह दौर था जब चॉकलेट के कुछ ही ब्रैंड्स ‘हुआ करते थे। उससमय सबसे पॉपुलर थी तो सिर्फ एक ही चॉकलेट और वो थी डेयरी मिल्क। डेयरी मिल्क के इस Ad ने उस दौर में भी अपनी अलग ही फैन फॉलोइंग बनाई थी।
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टीवी पर आने वाला ये Ad आज भले ही हमें याद न हो लेकिन ओनिडा का सींग वाला यह शख़्स तो हमें अब भी जरूर ही याद होगा।। ये एंड भी अपनी तरह का अनोखा ही एड था।
वाकई में क्या दिन थे वो! कहने को तो ये सभी एंड थे लेकिन जितना उस दौर के टीवी शोज लोगों में लोकप्रिय थे उतना ही उन्हें इन विज्ञापनों को देखना पसंद था। वह एक ऐसा गाॅल्डन पिरियड था जब घरों में एक ही टीवी मौजूद होता था और लोगों के मन भी आपस में जुड़े हुए थे। जहां एक साथ एक ही कमरे में बैठ कर घर के बूढ़े बच्चे सभी इन विज्ञापनों और टीवी शोज को एंज्वॉय करते थे।