देश की नजरें तो पूरी तरह से चांद पर थी। पूरा देश बड़ी बेसब्री से आधी रात के वक्त का इंतजार कर रहा था। कि लैंडर विक्रम चांद की धरती को चुमेगा व देश झूमेगा। लेकिन दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हुआ। chandrayaan-2 का 6-7 सितंबर 2019 की रात 1.51 बजे इसरो से संपर्क टूट गया। भारत के लिए यह ऐतिहासिक दिन था। लैंडर विक्रम से भले ही संपर्क टूट गया हो। लेकिन सवा अरब भारतीयों की उम्मीद नहीं टूटी हैं। हालांकि 22 जुलाई 2019 की दोपहर 2 बजकर 43 मिनट पर भारत का महत्वकांक्षी chandrayaan-2 लांच किया गया था।
गौरतलब है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केन्द्र ने चंद्रमा के कक्ष में chandrayaan-2 के दो साल पूरे होने पर सोमवार को चंद्र विज्ञान कार्यशाला 2021 का उद्घाटन किया। ISRO के अध्यक्ष के. सिवान ने कहा कि chandrayaan-2 ने अब तक चंद्रमा के चारों ओर 9000 से अधिक बार चक्कर लगा चुका हैं। इस दौरान उन्होंने chandrayaan-2 के कक्ष पेलोड का डाटा भी जारी किया।
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chandrayaan-2 का चंद्रमा की कक्षा में परिक्रमा शुरू होने के 2 साल पूरे होने पर इसरो ने सोमवार से दो दिवसीय चंद्र विज्ञान कार्यशाला 2021 का आयोजन करने जा रहा है। उद्घाटन भाषण में इसरो के चेयरमैन के. सिवन ने कहा कि chandrayaan-2 पर लगे 8 उपकरण चंद्रमा की सतह से करीब 100 किमी ऊंचाई से उसका ऑब्जरवेशन कर रहे हैं।ISRO के अनुसार इस मौके पर सिवन ने chandrayaan-2 पर लगे उपकरणों के डेटा के साथ साथ के नतीजे व वैज्ञानिक दस्तावेज जारी किए। इसके बैक वैज्ञानिक डेटा को अकादमीयों व संस्थाओं द्वारा विश्लेषण के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है। तभी तो chandrayaan-2 मिशन में अधिक भागीदारी के जरिए ज्यादा से ज्यादा वैज्ञानिक निष्कर्ष से सामने आ सकें।
इसरो के चेयरमैन के. सिवन ने बताया कि वैज्ञानिक परिणामों की समीक्षा की है तथा उन्हें बेहद उत्साहजनक पाया है। इसरो के पूर्व चेयरमैन एएस किरण कुमार तथा इसरो में एपेक्स साइंस बोर्ड के वर्तमान चेयरमैन ने बताया कि chandrayaan-2 पर लगी इमेजिंग एवं वैज्ञानिक उपकरण शानदार डाटा उपलब्ध करा रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि chandrayaan-2 के उपकरणों में वास्तव में कई ऐसे नए फीचर जोड़े गए हैं। जो chandrayaan-1 द्वारा किए गए ऑब्जरवेशन को नई तथा अधिक ऊंचाई पर पहुंचाया है। chandrayaan-2 की प्रोजेक्ट डायरेक्टर वनीथा एम. ने बताया कि इसकी सभी उपप्रणालियां ठीक ढंग से काम कर रही हैं। आशा है कि इससे कई और वर्षों तक अच्छे डाटा मिल सकेंगे। आपको बता दें कि इसरो की इस कार्यशाला की उसकी फेसबुक और वेबसाइट पेज पर लाइव स्ट्रीमिंग की जाएगी।