Board of Secondary Education Madhya Pradesh: एक मार्क के लिए शांतनु ने बोर्ड को घसीटा कोर्ट में, 3 साल के बाद मिला न्याय,रि-चेकिकिंग में जोड़े गए 28 नंबर

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Board of Secondary Education Madhya Pradesh: बोर्ड परिक्षाओं (Board Exams) के परिणाम के बाद गड़बड़ी होने का मामले अक्सर हमे सुनने को मिलती हैं। कई बार छात्र अपने सही नंबर जुड़वाने के लिए अप्लाई भी करते हैं लेकीन बोर्ड द्वारा उनकी अप्लिकेशन का स्वीकार ही नही किया जाता। अब  ज़िला सागर, मध्य प्रदेश के शांतनु शुक्ला (Shantanu Shukla) ने भी अपने मार्क्स बढाने के लिये बोर्ड से आवेदन किया था।

किंतु, शांतनु शुक्ला की कहानी बाक़ी छात्रों से थोडी अलग है।  वजह क्या है? वो सिर्फ़ एक मार्क के लिए मध्य प्रदेश बोर्ड (Madhya Pradesh Board) को हाई कोर्ट तक खींच कर ले गए। तीन साल तक लंबी लड़ाई लड़ने जीत शांतनु की हुई और कोर्ट ने उसके हक़ में फ़ैसला सुनाया है।

3 साल में 44 पेशियां, ख़र्च हुए 15 हज़ार रुपये

Board of Secondary Education Madhya Pradesh दैनिक भास्कर में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, 12वीं के मार्कशीट में एक नंबर बढ़वाने के लिए शांतनु ने माध्यमिक शिक्षा मंडल संग तीन साल लंबी लड़ाई लडडी और उनके केस की 44 पेशियां हुई। इस केस लड़ने में शांतनु के 15 हज़ार रुपये ख़र्च हुए है। आखिर कार तीन साल के बाद हाई कोर्ट ने शांतनु के हक़ में फ़ैसला सुनाया है और माध्यमिक शिक्षा मंडल को दोबारा चेकिंग के आदेश दिए है। रि-चेकिकिंग में शांतनु के 1 नहीं बल्कि पूरे 28 नंबर बढ़ाने का आदेश दिया है।

रीटोटलिंग के लिए भेजा, नहीं बढ़े नंबर

Board of Secondary Education Madhya Pradesh शांतनु ने एक्सीलेंस स्कूल, सागर से पढ़ाई की है । उन्हें 2018 में एमपी बोर्ड से 74.8% अंक मिथेले, सिर्फ़ 1 अंक के कारण वे मुख्यमंत्री मेधावी योजना से वंचित रह गए थे।  शांतनु को सबसे कम नंबर बुक कीपिंग और काउंटिंग में मिले थे। शांतनु ने रीटोटलिंग के लिए अप्लाई किया लेकिन रिज़ल्ट नहीं बदला। इसके बाद ही उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दर्ज की और कोर्ट ने बोर्ड को रि-चेकिकिंग के आदेश दिए।

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नई मार्कशीट में मिले 80.4% मार्क्स

Board of Secondary Education Madhya Pradesh शांतनु ने बताया कि साल 2018 में उन्होने जबलपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। कोविड महामारी की वजह से समय पर सुनवाई नहीं हुई। हाई कोर्ट ने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को 6 नोटिस भेजे लेकिन कोई भी प्रवक्ता कोर्ट नहीं पहुंचा था। कोर्ट के आदेश पर शांतनु की कॉपियों की दोबारा जांच हुई और नई मार्कशीट में उन्हें 80.4% मार्क्स मिले है।

शांतनु ने कहा कि वो अब दोबारा से मेधावी छात्र योजना में आवेदन करेंगे। शांतनु ने हिम्मत ना हारते हुए अपने मनोबल से इस बात को साबित कर दिया कि ख़ुद पर आत्मविश्वास हो तो कोई भी इंसान नामुमकीन को भी मुमकिन कर गुज़रता है।

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