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Birbhum Violence in Parliament: लोकसभा में गूंजा बीरभूम का मामला, टीएमसी ने किया आरोपो का खंडन

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Birbhum Violence in Parliament: पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में हुई हिंसा का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। इस घटना से राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की टीएमसी सरकार फिर एक बार भाजपा के निशाने पर आ गई है। पश्चिम बंगाल से भाजपा सांसदों ने आज लोकसभा में इस मुद्दे को उठाया। सांसदों ने कहा कि राज्य में तृणमूल के शासन में कानून व्यवस्था ध्वस्त हो गया है। वहां गुंडाराज बढ़ गया है। सरकार अराजक तत्वों पर कार्रवाई नहीं करती है। सांसदों ने केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की बात कहते हुए राज्य मे राष्ट्रपति शासन लगाने की भी मांग किया।

Birbhum Violence in Parliament

वहीं तृणमूल के तरफ से भी संसद में भाजपा के आरोपों का जवाब दिया गया। टीएमसी नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा, कि बीरभूम जिले में हुई हिंसा राजनीतिक संघर्ष से जुड़ा नहीं है। घटना के सिलसिले में राज्य में अब तक 20 लोगों को गिरफ्तार किया है।

भाजपा सांसद ने किए कई दावे

Birbhum Violence in Parliament

Birbhum Violence in Parliament शून्यकाल के दौरान पश्चिम बंगाल से भाजपा सांसद सुकांत मजमुदार ने लोकसभा में इस विषय को उठाते हुए कहा कि “पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस से संबद्ध पंचायत स्तर के एक प्रमुख की हत्या के बाद प्रतिशोध के रूप में हिंसा शुरू की गई है।” उन्होंने दावा किया कि 5 घरों के दरवाजों को बाहर से ताला लगाकर उसमें आग लगा दिया गया। लोग बाहर नहीं निकल पाए और उसमें झुलस कर उनकी मौत हो गई। हिंसा कि इस घटना में पीड़ित परिवारों में अल्पसंख्यक समुदाय के लोग भी शामिल हैं।

सांसद ने घटना में कई लोगों के लापता होने की भी बात कही जा रही है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि “राजनीतिक हिंसा में कई लोगों के मारे जाने की खबर है। पश्चिम बंगाल में कानून व्यवस्था की स्थिति ध्वस्त हो चुकी है। वहां विधानसभा चुनाव के बाद से ही राजनीतिक हिंसा जारी है। हम केंद्र सरकार से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग करते हैं।” उन्होंने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की भी वकालत करते हुए कहा कि केंद्र सरकार संविधान के तहत प्रदत्त अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए उचित अनुच्छेद का प्रयोग कर राज्य सरकार को बर्खास्त करें।

भाजपा सांसदों ने की नारेबाजी

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शून्यकाल की शुरुआत होते ही पश्चिम बंगाल के भाजपा सांसदों ने राज्य की टीएमसी सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। सांसदों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस्तीफे की भी मांग की। कई सांसदों को तख्तियां लहराते हुए भी देखा गया।

टीएमसी ने दिया जवाब

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भाजपा के लगाए गए, आरोपों का टीएमसी ने जवाब दिया। मूल नेता सुदीप बंधोपाध्याय ने भाजपा के आरोपों का खंडन करते हुए कहा, कि हिंसा का राजनीतिक संघर्ष से कोई लेना देना नहीं है। भाजपा इस मामले में राजनीति कर रही है। राज्य के पुलिस द्वारा इस घटना के संबंध में 20 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। और आरोपियों पर जल्द कार्रवाई भी करेगी। बंधोपाध्याय ने घटना को लेकर गृह मंत्री अमित शाह से मिलने के लिए समय मांगा है। गौरतलब है, कि मंगलवार को शाह ने भाजपा सांसदों के एक शिष्टमंडल से मुलाकात की थी।

रामपुरहाट में हुई थी, हिंसा

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आपको बता दें, कि पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में रामपुरहाट के बोगतुई गांव में मंगलवार को हिंसा भड़क गई थी। मंगलवार को तड़के हुई, घटना में करीब एक दर्जन मकानों में कथित तौर पर आग लगा दी गई थी। आग से दो बच्चों समेत आठ लोगों की झुलस कर मौत हो गई थी। एक ही परिवार के करीब 7 लोगों का भी अधजल शव बरामद किया गया था। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और सांसद दिलीप घोष ने मीडिया से बातचीत करते हुए टीएमसी पर हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि “मुसलमानों को तृणमूल का समर्थक माना जाता है। लेकिन राज्य में वह भी सुरक्षित नहीं है।”

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भाजपा सांसद ने गठित किया कमेटी

Birbhum Violence in Parliament

घटना के बाद मंगलवार की रात भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्षश्र जेपी नड्डा ने घटना की जांच के लिए एक 5 सदस्यों की कमेटी गठित की। बीजेपी ने घटना की जांच के लिए 4 रिटायर्ड आईपीएस समेत 5 सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। बीजेपी के 5 सदस्य कमेटी में चार सांसद और प्रवक्ता भारतीय घोष को शामिल किया गया है। कमेटी जल्द ही हिंसाग्रस्त इलाकों का दौरा कर अपनी रिपोर्ट राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को सौंपेगी।

जांच समिति में यूपी के पूर्व डीजीपी बृजलाल, मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर व सांसद सत्य पाल सिंह, कर्नाटक के पूर्व आईपीएस राज्यसभा सांसद केसी राम, पश्चिम बंगाल कैडर की पूर्व आईपीएस भारती घोष, पश्चिम बंगाल के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सुकांता मजूमदार समिति में शामिल किए गए।

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