Bharat Jodo Yatra
Bharat Jodo Yatra: पिछले वर्ष 7 सितम्बर 2022 को कन्याकुमारी शुरू हुई भारत छोड़ो यात्रा श्रीनगर में 30 जनवरी 2023 को समाप्त हो गई। इस दौरान राहुल गांधी ने 12 राज्यों तथा 2 केंद्र शासित प्रदेशों से गुजरते हुए 134 दिनों में 3570 किलोमीटर यात्रा की। इस दौरान राहुल की काफी आलोचना हुई।उनकी टीशर्ट से लेकर उनके भाषण तक काफी चर्चित रहे।बीजेपी के आरोपों का उन्होंने बेहद संजीदगी से जवाब दिया।कांग्रेस द्वारा इस यात्रा को गैर-राजनीतिक बताया गया लेकिन इसका असल मकसद जगजाहिर है।
वर्तमान में सियासी चर्चाओं का बाज़ार गरम है क्योंकि कांग्रेस Bharat Jodo Yatra 2.0 की तैयारी में जुटी है।जो पूर्वोत्तर राज्यों से होते हुए गुजरात के पोरबंदर तक आएगी। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या कांग्रेस पार्टी को इस यात्रा से वाकई कोई बड़ा लाभ मिला है या वह अभी भी उसकी सियासी जमीन तलाश कर रही है?
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पिछले आठ-दस सालों में राहुल को एक अनिच्छुक, अपरिपक्व और अगंभीर राजनेता के रूप में देखने-दिखाने की कोशिशों को कई रूपों में देखा गया है।राहुल की इस यात्रा का अघोषित मकसद उनकी छवि को मेकओवर करना था, जिसके लिए पूरी पार्टी ने कोशिश की।
यात्रा के दौरान की तस्वीरों में राहुल गांधी कहीं बच्चों के साथ खेल रहे हैं,कहीं बुजुर्ग महिला का हाथ थाम रहे हैं तो कहीं आम लोगों को गले लगा रहे हैं। वह बेरोजगारों,नौजवानों, दलितों, आदिवासियों, गरीबों, किसानों और मुसलमानों के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं। पहले राहुल गांधी का मज़ाक बनाते हुए मीम सोशल मीडिया पर शेयर किए जाते थे। बीजेपी और सोशल मीडिया ट्रोल ने राहुल गांधी की एक अलग छवि बनाई थी। अब यह मीम कम हो गए हैं और राहुल गांधी के लिए सकारात्मक कंटेंट सोशल मीडिया पर बढ़ गया है। इस यात्रा में राहुल ने अपनी छवि को एक सक्षम गंभीर और उद्देश्य के प्रति उत्साह-भाव वाले व्यक्तित्व के रूप में प्रस्तुत किया है।
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इस Bharat Jodo Yatra को वस्तुतः कांग्रेस की खुद को मुख्य विपक्षी दल के रूप में पेश करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। दिल्ली और पंजाब में बीजेपी के विकल्प के रूप में आम आदमी पार्टी के आने से कांग्रेस में बौखलाहट बढ़ गई है। यात्रा के जरिए यह भारत की सबसे पुरानी पार्टी खुद को बीजेपी के विकल्प के रूप में स्थापित करना चाहती है और कांग्रेस के बैनर तले ही विपक्षी एकता संभव है,ऐसा संदेश देने की कोशिश की गई।
आप,शिरोमणि अकाली दल, गुलाम नबी आजाद की पार्टी डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी,सपा और बसपा जैसी पार्टियों इस यात्रा से जुड़ने से परहेज किया। जबकि नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला,महबूबा मुफ्ती, संजय राउत,एमके स्टालिन जैसे नेता इस यात्रा में शामिल हुए। जेडीयू,आरजेडी, शिवसेना,डीएमके जैसी पार्टियां इस यात्रा के पक्ष में खड़ी होती दिखाई दीं। कांग्रेस की इस यात्रा में बीजेपी के संपर्क पर समर्थन अभियान की झलक भी देखी जा सकती है। भारत जोड़ो यात्रा से कांग्रेस ने विपक्षी एकता के नेतृत्वकर्ता और बीजेपी के मजबूत विकल्प के रूप में अपनी दावेदारी मजबूत की है।
विधानसभा चुनावों में लगातार हार तथा 2014 लोकसभा एवं 2019 लोकसभा चुनाव में हार से कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट गया था।कांग्रेसी नेता जनसंपर्क से दूरी बना कर रख रहे थे। पार्टी द्वारा विरोध प्रदर्शन भी मात्र खानापूर्ति के लिए ही किया जा रहा था।लेकिन यात्रा के दौरान राहुल ने जनता के बीच जाकर कांग्रेस को संजीवनी दी है। यात्रा के दौरान कई प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया तथा मीडिया के सवालों का जवाब दिया।
इस बाबत राहुल जनता के बीच इस बात को भी पहुंचाने में भी कुछ हद तक सक्षम दिखे कि मुख्यधारा मीडिया उनकी बात नहीं करता। महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी, स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा, आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन, गायिका सुनिधि चौहान, अभिनेत्री स्वरा भास्कर, पूजा भट्ट,रिया सेन,रितु शिवपुरी,आनंद पटवर्धन, सिद्धू मूसेवाला के पिता, इतिहासकार मृदुला मुखर्जी,परमवीर चक्र प्राप्तकर्ता कैप्टन बाना सिंह,रोहित वेमुला की मां और खेल जगत की हस्तियों के शामिल होने से यात्रा और अधिक चर्चित तथा प्रभावशाली हो गई।
इस Bharat Jodo Yatra का क्या राजनीतिक लाभ हो सकता है,यह अभी सिर्फ अनुमान का विषय ही है। लेकिन अपने आप में यह कोई छोटी सफलता नहीं कि देश के जोड़ने की अपनी कल्पना को राहुल जनमानस तक पहुंचाने में काफी हद तक सफल रहे हैं।हालांकि कांग्रेस संगठन कितना मजबूत हुई है, इसकी असल परीक्षा अगामी विधानसभा चुनावों में होगी। कर्नाटक मध्य प्रदेश,छत्तीसगढ़, और राजस्थान समेत कुल 13 राज्यों में 2023 में विधानसभा चुनाव होंगे।2024 लोकसभा चुनाव कांग्रेस के लिए अग्निपरीक्षा होगी क्योंकि कांग्रेस के अस्तित्व पर उठते प्रश्नचिन्हों का जवाब चुनाव के परिणाम ही करेंगे।
इस Bharat Jodo Yatra का क्या राजनीतिक लाभ हो सकता है,यह अभी सिर्फ अनुमान का विषय ही है। लेकिन अपने आप में यह कोई छोटी सफलता नहीं कि देश के जोड़ने की अपनी कल्पना को राहुल जनमानस तक पहुंचाने में काफी हद तक सफल रहे हैं। हालांकि कांग्रेस संगठन कितना मजबूत हुई है, इसकी असल परीक्षा अगामी विधानसभा चुनावों में होगी। कर्नाटक मध्य प्रदेश,छत्तीसगढ़, और राजस्थान समेत कुल 13 राज्यों में 2023 में विधानसभा चुनाव होंगे। 2024 लोकसभा चुनाव कांग्रेस के लिए अग्निपरीक्षा होगी क्योंकि कांग्रेस के अस्तित्व पर उठते प्रश्नचिन्हों का जवाब चुनाव के परिणाम ही करेंगे।
बहरहाल इस Bharat Jodo Yatra से राहुल ने कांग्रेस को पुनर्जीवित करने तथा कई चुनावों में हार से निराश हो चुके कार्यकर्ताओं में जोश जगाने की सार्थक कोशिश की है। यात्रा के दौरान वह अपने समर्थकों के साथ-साथ विरोधियों का भी ध्यान आकर्षित करने में कामयाब रहे हैं। इस यात्रा से राहुल ने न सिर्फ अपनी मजबूत नेता की छवि पेश की है,बल्कि कांग्रेस कैडर में ऊर्जा का एक अभूतपूर्व संचार भी पैदा किया है।यात्रा से कांग्रेस का वोट बैंक बढ़ा हो या नहीं,संगठन में कोई क्रांतिकारी परिवर्तन आया हो अथवा नहीं,
लेकिन यह तो शर्तिया तौर पर कहा जा सकता है कि राहुल की छवि में सुधार जरूर हुआ है। इस यात्रा के बहाने राहुल एक ऐसे नेता के तौर पर उभर कर आए हैं जो कह सकता है कि वह देश की नब्ज़ को जानता है, दक्षिण से लेकर उत्तर तक।लेकिन सवाल यह रह जाता है कि जिन मुद्दों को राहुल गांधी लेकर चल रहे थे वे उनको लागू करवा पाएंगे? पुराने अनुभव के आधार पर तो यही कहा जा सकता है कि यह मुश्किल है।अगर कांग्रेस 2024 लोकसभा चुनाव में 100 सीटें भी जीतती है तो यह यात्रा सफल मानी जाएगी।