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Demonetisation: नोटबंदी फिर चर्चा में आई , RBI सदस्य ने बताया- 500 और 1000 के बंद नोटों से मिल रहा ये फायदा

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Demonetisation: कर विभाग ने 9 अक्टूबर को कहा था कि करेंट वित्त वर्ष में कंपनियों एवं पर्सनल इनकम पर कर का कुल संग्रह करीब 24% बढ़कर 8.98 लाख करोड़ रुपये तक हो चुका है,जीएसटी का संग्रह लगातार सातवें महीने 1.40 लाख करोड़ रुपये से अधिक तक रहा है।

रिजर्व बैंक ऑफ इंडियाप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर वर्ष 2016 को 500 और 1000 रुपये के तत्कालीन नोटों को बंद कर दिया था। इसके साथ ही उन्होंने घोषणा कि थी कि इस अप्रत्याशित कदम से काले धन पर लगाम लगाने के साथ ही डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा मिलेगा।

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हालांकि पीएम मोदी के इस कदम की विरोधियों और विपक्ष ने काफी आलोचना भी की। वहीं अब आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की सदस्य आशिमा गोयल ने कर के संग्रह में आई तेजी का जिम्मेदार नोटबंदी को बताते हुए कहा है कि यह देश में एक व्यापक आधार पर कम टैक्स लगाने की आदर्श स्थिति की तरफ ले जाएगा।

अल्प समय के लिए लागत

एमपीसी की मेंबर आशिमा गोयल ने यह बात स्वीकार किया कि नोटबंदी के मजबूत कदम की कुछ अल्पकालिक कीमत चुकानी पड़ रही है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि लंबे समय के बाद में इसके कुछ लाभ भी होंगे। डिजिटलीकरण के रेट में वृद्धि, अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने और टैक्स चोरी की घटनाओं में कमी जैसे प्रमुख लाभ हैं।

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टैक्स का पूरा संग्रह

कर विभाग ने पिछले अक्टूबर को कहा था कि करेंट वित्त वर्ष में कंपनियों और व्यक्तिगत आय पर टैक्स का कुल संग्रह करीब 24% बढ़कर 8.98 लाख करोड़ रुपये तक हो चुका है। माल एवं सेवा टैक्स का संग्रह लगातार सातवें महीने 1.40 लाख करोड़ से अधिक रहा है। सितंबर में जीएसटी संग्रह एक वर्ष पहले की तुलना में 26 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी के साथ 1.47 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। वहीं रिजर्व बैंक ने हाल ही में बताया है कि वह अपनी डिजिटल मुद्रा को पायलट स्तर पर जारी करने की तैयारी में है।

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डिजिटल का है युग

Demonetisation, RBI की तरफ से एक डिजिटल करेंसी लाने की योजना के बारे में पूछे जाने पर गोयल ने बताया कि इससे कैश के उपयोग में कमी आयेगी और मौजूदा भुगतान के तरीके को बढ़ावा देने का उद्देश्य पूरा हो सकेगा। उन्होंने बताया, “CBDC से डिजिटल युग में आवश्यकताओं  को पूरा किया जा सकेगा।और यह मुद्रा दूर इलाकों तक पहुंच कर आसान बनाने के साथ ही वित्तीय समावेशन की गति को प्रवाह देगी और उससे जुड़ी लागत के दर में कमी आएगी।”

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