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beating retreat ceremony 2022 : विजय चौक पर हुआ बीटिंग रिट्रीट समारोह, जानिए क्या है बीटिंग रिट्रीट और क्यों यह बना आकर्षक का केंद्र

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beating retreat ceremony 2022

beating retreat ceremony 2022 : राजधानी दिल्ली के विजय चौक पर द रिट्रीट समारोह का अब समापन हो चुका है। ‘ड्रोन शो’ इस बार आकर्षण का केंद्र रहा। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने यह बताया था कि ड्रोन प्रदर्शन का आयोजन IIT यानी कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली एवं विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी विभाग की सहायता से स्टार्ट अप ‘बोटलैब डायनेमिक्स’ कर रही है। आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर मनाए जा रहे हैं अमृत महोत्सव में पहली बार ही इस ड्रोन शो को समारोह का हिस्सा बनाया गया। समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तथा पीएम नरेंद्र मोदी भी शामिल रहे।

beating retreat ceremony 2022 आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के लिए बीटिंग रिट्रीट में नई धुनें जुड़ी

beating retreat ceremony 2022 इस बार आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के लिए बीटिंग रिट्रीट समारोह में कई नई धुनें जोड़ी गई। इनमें ‘हिंद की सेना’, ‘ए मेरे वतन के लोगों’और ‘केरल’ शामिल थी। जबकि इस कार्यक्रम का समापन ‘सारे जहां से अच्छा’ की धुन के साथ ही किया गया। बाद में लेजर प्रोजेक्टर ने भारत की स्वतंत्रता संग्राम तथा आजादी के बाद इस यात्रा का वर्णन किया।

हालांकि ड्रोन शो 10 मिनट का था। इस ड्रोन शो के दौरान ही बैकग्राउंड म्यूजिक भी चला। इससे भारत, रूस, यूके और चीन के बाद चौथा देश है। जिसने बहुत बड़े पैमाने पर 1 हजार ड्रोन के साथ शो किया। “बीटिंग द रिट्रीट”समारोह के लिए ही पर्यावरण के अनुकूल आमंत्रण पत्र भी तैयार किए गए। इसमें एलोवेरा, अश्वगंधा एवं आंवला जैसे औषधीय पौधे के बीज है। लोगों को इसको अपने बगीचे, फूल के गमलों में इसे डालनी तथा सदियों पुराने औषधीय लाभ को प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

गांव की ये विभत्स तस्वीरें कोई नही दिखाएगा क्यों की इससे TRP नही चलती

चल रहा था मुद्दा किसान का और बैकग्राउंड स्क्रीन पर चल रहा था मंदिर – मस्जिद और श्री राम, राकेश टिकैत और एंकर के बीच तीखी झड़प



beating retreat ceremony 2022 बीटिंग रिट्रीट क्या है?

एक सदियों पुरानी सैन्य परंपरा बीटिंग रिट्रीट है। यह तब से चली आ रही है जब सैनिक सूर्यास्त के समय युद्ध समाप्त कर अपनी-अपनी छावनी पर ही चले जाते थे। ठीक जैसे ही बिगुल बजाने वाले पीछे हटने की धुन बजाते थे। इसको सुनते ही सैनिक भी लड़ाई बंद कर देते थे तथा अपने अस्त्र-शस्त्र को वापस रख कर युद्ध भूमि से पीछे हट जाते थे। यही कारण है कि पीछे हटने के आवाज के दौरान खड़े रहने की परंपरा आज भी वैसे ही बरकरार है जैसे पहले थी। रंगो तथा मांगों पर अनावरण चढ़ा दिया जाता है एवं स्थान छोड़ने पर ध्वज को नीचे उतार भी दिया जाता है। ड्रम की धूने यह उन दिनों की याद दिलाती है जब कस्बों तथा शहरों में संध्या को नियत समय पर सैनिक को उनकी छावनी में वापस बुला लिया जाता था। ठीक ही इसी तरह परंपराओं के आधार पर ही “बीटिंग द रिट्रीट”समारोह अतीत की पुरानी यादों को ताजा करने का भी काम करता है।


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