Bank Privatisation: सरकार निजीकरण को लेकर के अपना रुख काफी साफ कर चुकी है. इसी क्रम में आगे अब सरकार IDBI बैंक को प्राइवेट करने की तयारी में भी जुट गई है. इसमें सरकार की 45.48 फीसदी की हिस्सेदारी है, जबकि एलआईसी की 49.24 फीसदी की हिस्सेदारी है. इस बैंक की निजीकरण की प्रक्रिया जुलाई में शुरू हो जाएगी.
Bank Privatization: निजीकरण के खिलाफ सरकारी कर्मचारी लगातार हड़ताल भी कर रहे हैं, बावजूद इसके सरकार ने अपना पक्ष एकदम साफ कर दिया है. सरकार IDBI बैंक के निजीकरण की प्रक्रिया सितंबर में शुरू भी करने जा रही है. विभाग से संबंधित एक अधिकारी से मिली जानकारी के मुताबिक, केंद्र सरकार सितंबर के अंत तक बैंक के निजीकरण के लिए प्रारंभिक निविदाएं भी आमंत्रित कर सकती है.
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) फिलहाल अमेरिका में IDBI बैंक की बिक्री के लिए रोड शो भी किया है. आपको जानकारी के लिए बता दें केंद्र सरकार IDBI बैंक में हिस्सेदारी बेच सकती है. फिलहाल सरकार और एलआईसी दोनों ही को अगर जोड़ दें तो दोनों के पास IDBI बैंक की 94 प्रतिशत हिस्सेदारी है. मगर इसमें कितनी हिस्सेदारी बेची जाए इसको लेकर के अब भी मंथन जारी है. आपको बता दें कि मंत्रियों का समूह ही इस डील को लेकर अंतिम फैसला लेगा. अब माना जा रहा है कि सितंबर के आखिर तक सरकार IDBI बैंक के खरीदार को लेकर के फैसला ले सकती है.
अब बात करते हैं सरकार के हिस्सेदारी की तो IDBI Bank में सरकार की हिस्सेदारी 45.48 प्रतिशत है, जबकि इसमें एलआईसी की हिस्सेदारी 49.24 प्रतिशत है. बताया जा रहा है कि सरकार और एलआईसी IDBI बैंक में कुछ हिस्सेदारी भी बेचेगी और फिर खरीदार को इसका मैनेजमेंट कंट्रोल भी सौंप दिया जाएगा. आरबीआई 40 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सेदारी खरीदने को मंजूरी भी दे सकता है.
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दरअसल, सरकार ने कई कंपनियों की लिस्ट भी बनाई है, जिसका निजीकरण जल्द किया जाएगा. लगभग आधे दर्जन से भी अधिक सार्वजनिक कंपनियों की सूची पहले से बनी हुई है. इनमें शिपिंग कॉर्प, विजाग स्टील, कॉनकॉर, आईडीबीआई बैंक, एनएमडीसी का नगरनार स्टील प्लांट और एचएलएल लाइफकेयर को भी शामिल किया गया है. सिर्फ इतना ही नहीं, सरकार चालू वित्त वर्ष 2022-2023 में अब तक सरकार ने केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (CPSE) के विनिवेश से करीब 24,000 करोड़ रुपये से भी अधिक जुटा चुकी है.
इस पूरे वित्त वर्ष के लिए सरकार ने अब 65,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा है. पिछले वित्त वर्ष में केंद्रीय उपक्रमों में विनिवेश के द्वारा 13,500 करोड़ रुपये से भी अधिक की राशि जमा हुई थी जिसमें एयर इंडिया के निजीकरण से मिली हुई रकम भी शामिल है.