ATM
ATM फ्रॉड के आपने कई तरीके सुने और देखे होंगे, लेकिन, राजस्थान में जयपुर पुलिस ने एक ऐसी गैंग को पकड़ा है, जिसने सभी को हैरान कर दिया है। ये गैंग आंखों सामने ही आपका अकाउंट साफ कर देगी और आपको इसकी खबर भी नही लगेगी। ज़्यादातर लोगों को ठगने के लिए टेक्नोलॉजी का यूज और लगातार लोकेशन बदलते रहना इस गैंग का अहम हथियार है। जयपुर पुलिस ने जब आरोपियों से पूछताछ की तो ठगी का तरीका जानकर वे भी दंग रह गई।दरअसल, जयपुर के बगरू थाने में 15 जून को एटीएम फ्राॅड का एक केस दर्ज कराया गया था।
एटीएम फ्रॉड से पीड़ित मोहरू राम मीणा ने बताया कि तकिया स्टैंड पर एसबीआई बैंक के एटीएम से रुपए निकालने के दौरान उनका कार्ड बदलकर ठगी की गई है।इसके बाद पुलिस ने सीसीटीवी से जुटाए सबूतों से बीते सोमवार को 4 बदमाशों को गिरफ्तार कर लिया है। यह गैंग राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, यूपी, गुजरात और एमपी समेत 6 राज्यों में 12 लाख से अधिक रुपये का फ्रॉड कर चुकी है। स्वाइप मशीन, एटीम के फंक्शन और कार्डलैस ट्रांजेक्शन के बारे में ट्रेंड ये आरोपी ज्यादातर हाईवे के नजदीक मौजूए एटीएम को निशाना बनाते थे।
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जब जयपुर पुलिस ने ठगी का तरीका पूछा तो अधिकारी भी अचम्भे में पड़ गए। अधिकारियों का कहना है कि ये बदमाश पहले मदद करने के बहाने से पीड़ित का कार्ड हाथ में लेते थे और चंद सेकेंड्स में उसे चेंज कर फरार हो जाते थे। इसी दौरान उनका एक साथी कार्ड यूज करने वाले का पिन नंबर धोके देख लेता था। जब तब यूजर अपना कार्ड ब्लॉक करवाता उससे पहले ही स्वाइप मशीन का यूज कर पूरा पैसा निकाल लेते थे।
बदमाशों ने पुलिस की कड़ी पूछताछ में राजस्थान सहित दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और गुजरात में ATM फ्रॉड करने का गुनाह कबूल किया है। गैंग के बदमाशों पर चोरी, फ्रॉड, NDPS, IT एक्ट के तहत कई केस राजस्थान के अलावा अन्य राज्यों में दर्ज है। आरोपियों के पास से 34 बैंकों के 183 ATM कार्ड व 2 स्वैप मशीन भी बरामद हुई हैं।इस गैंग का ATM कार्ड बदलने का तरीका भी शातिराना है। जो ATM से रुपए निकालने के दौरान ही मशीन में IMT नामक बटन दबा देते हैं। ट्रांजेक्शन पूरा नहीं होने की बात कहकर बड़े आराम से अकाउंट मालिक के सामने ही कार्ड और पिन लेकर पूरी रकम निकाल लेते थे।
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आईएमटी-की ATM में मौजूद होती है। जानकारों के मुताबिक यह बटन कार्ड लैस ट्रांजेक्शन करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह बदमाश व्यक्ति के रुपए निकाले जाने के तुरंत बाद आईएमटी-की दबा कर उसमें अपनी डिटेल भर देते थे।ऐसे में मशीन में सीधा अमाउंट डिटेल की स्क्रीन सामने आ जाती थी। सामने वाले को यही लगता था कि उसका ट्रांजेक्शन प्रोसेस पूरा नहीं हुआ। कार्ड और पिन एंटर करने पर वह आगे प्रोसेस नहीं होता। इसी बात का फायदा ठगी गिरोह के बदमाश उठाते थे।