भारत अपने दुश्मनों के ड्रोन को अपनी स्वदेशी ड्रोन रोधी प्रणाली के जरिए मुंहतोड़ जवाब देगा। देश की सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए और ड्रोन हमलों के खिलाफ सुरक्षा के मकसद से जल्दी ही तीनों सेनाएं रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित तथा बीईएल द्वारा निर्मित ड्रोन रोधी प्रणाली का इस्तेमाल करेगी। ड्रोन हमलों से सुरक्षा के लिए तीनों रक्षा बलों सेना, वायु सेना व नौसेना ने डीआरडीओ की तरफ से विकसित एंटी ड्रोन सिस्टम प्राप्त करने के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। एंटी ड्रोन सिस्टम को खरीदने के सौदे पर ही 31 अगस्त को हस्ताक्षर किए गए थे। जो कि रक्षा मंत्रालय की तरफ से आपातकालीन अनुबंध के तहत सौदा पूरा करने की अंतिम तारीख थी। सरकारी अधिकारियों ने कहा कि साड़ियों की तरफ से विकसित और बीईएल की तरफ से डिटर एंड डिस्ट्रॉय सिस्टम (D4S), मैन्युफैक्चरर ड्रोन डिटेक्ट भारतीय सशस्त्र बलों में शामिल होने वाला स्वदेशी रूप से विकसित पहला एंटी ड्रोन सिस्टम है।
गौरतलब है कि जम्मू आतंकवादी हमले के बाद आपातकालीन प्रक्रियाओं के तहत एंटी ड्रोन सिस्टम को प्राप्त करने की आवश्यकता महसूस की गई थी। जिसमें से दो या तीन छोटे ड्रोन का इस्तेमाल जम्मू एयर बेस पर विस्फोटक गिराने के लिए किया गया था। ऐसे अनुबंध पर सशस्त्र बल के वरिष्ठ अधिकारियों तथा डीआरडीओ के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में हस्ताक्षर किए गए। हालांकि भारतीय सशस्त्र बलों ने लगातार समर्थन प्रदान किया है। तथा रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन व बीईएल के साथ एंटी ड्रोन सिस्टम के संयुक्त ने विकास में नेतृत्व किया है।
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इस साल गणतंत्र दिवस परेड के लिए और बाद में लाल किले की प्राचीर से पीएम के स्वतंत्र दिवस के संबोधन के दौरान एंटी ड्रोन सिस्टम को पहले ही सुरक्षा कवच प्रदान करने के लिए तैनात किया गया था। पहली टीओआई द्वारा रिपोर्ट किया गया था। सिस्टम जो 360-degree कवरेज प्रदान करता है, को मोदी ट्रंप रोड शो के लिए अहमदाबाद में भी तैनात किया गया था। अधिकारियों के अनुसार एनएसडीएस माइक्रो ड्रोन का पता लगाने के लिए व जाम करने के लिए रडार, इंफ्रारेड/electro-optical सेंसर रेडियो फ्रिकवेंसी डिटेक्टरों की मदद का उपयोग करता है। डीआरडीओ का आरएफ/ग्लोबल नेवीगेशन सेटेलाइट सिस्टम उस आवृत्ति पता लगाता है। जिसका इस्तेमाल नियंत्रक द्वारा किया जा रहा है। और उसके बाद से सिग्नल जाम हो जाते हैं।
डीआरडीओ ने बताया कि D4 सिस्टम माइक्रोन का तुरंत पता लगा सकता है। तथा उसे जाम कर सकता है। और उसके लक्ष्यों को समाप्त करने के लिए एक लेजर आधारित मार तंत्र का उपयोग कर सकता है। यह अमेरिकी नौसेना प्रतिष्ठानों के लिए बढ़ते ड्रोन के खतरे के लिए एक प्रभावी सर्वव्यापी काउंटर होगा। ड्रोन सिस्टम तेजी से उभरते हुए हवाई खतरों से निपटने के लिए ही भारतीय सशस्त्र बलों को सॉफ्ट किल और हार्ड किल दोनों ही विकल्प प्रदान करती है। इस अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के कुछ ही टाइम के अंदर भारतीय रक्षा बलों को D4S के स्थिति तथा मोबाइल वेरिएंट की आपूर्ति की जाएगी।बीईएल को गृह मंत्रालय व रक्षा की ओर से आदेश मिलने की उम्मीद है।