Allahabad High Court: समाज मे अगर कोई भी व्यक्ति कोई गलत कार्य करता है तो हम आप सबकी निगाहें कानून की तरफ उठती हैं कि कानून इसे दण्ड देगा और अब कानून आगे सही मार्ग प्रशस्त करेगा,परंतु अगर कानून का रखवाला ही भ्रष्टाचारी हो तो समाज की दशा एवं दिशा क्या होगी यह आप कल्पना जरूर करियेगा क्योंकि आज हम आपको जो ख़बर बताने वाले हैं वह कुछ ऐसी ही है जिसमे भ्रष्टाचार कर सजा पाने वाले कोई साधारण लोग नहीं बल्कि स्वयं जज हैं जिनपर जिम्मेदारी है न्याय करने की,बताते हैं पूरी पटकथा,आप हमारे साथ बने रहें।
इस पोस्ट में
आपको बता दें Allahabad High Court को पाँच न्यायिक अधिकारियों के विरुद्ध कदाचार की शिक़ायत मिली जिसकी सघन जाँच की गई,इस जांच के बाद पांच में से 3 न्यायिक अधिकारी दोषी पाये गये जबकि दो के विरुद्ध कोई ठोस सबूत नहीं मिल सका,जिन न्यायिक अधिकारियों के विरुद्ध सबूत नहीं मिला उन्हें बरी कर दिया गया जबकि अन्य तीनो को बर्खास्त करने हेतु राज्यपाल को सूचना भेज दी गयी है,बर्खास्त होने वाले तीनो जजों के बारे में हम आगे आपको बता रहे हैं।
कदाचार के आरोप में बर्खास्त किये जाने वाले न्यायिक अधिकारियों में पहला नाम अशोक कुमार सिंह का है,आपको बता दें कि अशोक कुमार सिंह को 28 मार्च 2001 को गाजीपुर का अतिरिक्त सिविल जज नियुक्त किया गया था उसके बाद 4 जुलाई वर्ष 2015 में जिला एवं सत्र न्यायाधीश बदायूँ नियुक्त किया गया था लेकिन कदाचार के आरोप में इन्हें 11 जुलाई 2015 को निलंबित कर दिया गया और तब से वह लगातार निलंबित चल रहे थे जिन्हें अब बर्खास्त कर दिया गया है।
कदाचार के आरोप में बर्खास्त हुये कदाचारियों में दूसरा नाम हिमांशु भटनागर का है ,हिमांशु भटनागर को 19 मार्च 1996 में बलिया में सिविल जज नियुक्त किया गया था और बाद में 16 अप्रैल 2021 को इन्हें जिला एवं सत्र न्यायाधीश बलिया नियुक्त कर दिया गया था उसके बाद इन पर कदाचार का आरोप आया और वह सिद्ध हो गया इसलिये अब इनको भी बर्खास्त कर दिया गया है।
बर्खास्त होने वाली सूची में तीसरा नाम डॉ राकेश कुमार जैन का है आपको बता दें कि डॉ राकेश कुमार जैन को 11 अगस्त 1999 को न्यायिक सेवा में आये जो विशेष न्यायाधीश अनुसूचित जाति/जनजाति थे,इन पर भी भ्र्ष्टाचार का आरोप तय हुआ है और इन्हें भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।
आपको बता दें की इन तीनो जजों के हाई कोर्ट ने बर्खास्त कर दिया है और इस आशय से माननीय राज्यपाल उत्तर प्रदेश को पत्र भी भेज दिया है,अब कभी भी राज्यपाल उसे स्वीकृत कर शासनादेश जारी कर सकती हैं और इन तीनो जजों की हमेशा हमेशा के लिये छुट्टी हो जायेगी।
यकीन नही होता ऐसे भी सरकारी स्कूल हैं, प्राइवेट स्कूल फेल हैं इस सरकारी स्कूल के आगे
अब Monkeypox का बढ़ा खतरा, मुंबई एयरपोर्ट अलर्ट मोड पर, जानिए क्या है मंकीपॉक्स वायरस
न्याय का जिम्मा जजों पर होता है पर इस प्रकरण ने यह सिद्ध कर दिया कि कोई भी बिक सकता है चाहे वह जज ही क्यों न हों,कोई भी कदाचारी हो सकता गया चाहे वह जज क्यों न हो,ऐसे में यह बड़ा प्रश्न सदैव उठता रहेगा कि आख़िर न्यायपालिका कहाँ जायेगी, इसके अलावा विचारणीय विषय यह भी है कि क्या कदाचार की सजा इन जजों को सिर्फ बर्खास्तगी मिलेगी या फिर यह जेल में चक्की भी पीसेंगे, यह तो आगे देखने और प्रतीक्षा करने की बात है लेकिन आप इस पूरे प्रकरण पर क्या सोचते हैं हमे जरूर बतायें, आपके हिसाब से क्या होना चाहिये था यह आप जरूर लिखे।