Air India को अपना बनाने के बाद टाटा ग्रुप ने एयरलाइन कंपनी के कायाकल्प की तैयारी पूरी कर ली है। हालांकि इस कायाकल्प में कई कर्मचारियों की नौकरी पर बात आ गई है। नयी चीज़े टीम हर वो कोशीश कर रही है जिससे एयर इंडिया को बेहतर बनाया जा सके। लागत को घटाने और प्रोडक्टिविटी को बढ़ाने के मकसद से रेल ट्रेनिंग प्रोग्राम भी शुरू किए जा रहे हैं। यहाँ तक कि कंपनी ने वीआरएस (VRS) यानी स्वेच्छिक रिटायरमेंट स्कीम भी शुरू कर दी है, जो केबिन क्रू के लिए भी लागू होगी।
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इस स्कीम की जद में एयर इंडिया के करीब तीन हज़ार कर्मचारी आएँगे खास बात ये है की इंडिया ने इस स्कीम के तहत क्लेरिकल और अनस्किल्ड स्टाफ नर्स के लिए रिटायरमेंट एज पचपन साल से चालीस साल यानी पंद्रह साल घटा दी है। इसका मतलब यह हुआ कि एयर इंडिया चालीस साल से ज्यादा उम्र के कर्मचारियों को वीआरएस देने का मन बना रही है यानी टाटा हर कीमत पर कंपनी को बेहतर करना चाहती है और अधिक से अधिक पुराने कर्मचारियों से छुटकारा पाना चाहती हैं। जो पुराने सिस्टम में काम करते करते उसमें इतना अधिक ढल चूके हैं कि शायद ही नए बदलावों को अपना सकें।
एयर इंडिया के चीफ ह्यूमन रिसोर्स ऑफिसर सुरेश दत्त त्रिपाठी यह स्कीम लेकर आए हैं, जो एक जून को शुरू हो गई है, जिसके तहत अगर कोई जुलाई अंत तक रिटायरमेंट लेता है तो उसे स्पेशल इंसेंटिव मिलेंगे एयर इंडिया में अभी तक घरेलू और अंतरराष्ट्रीय विमानों को उड़ाने के लिए पायलट और केबिन क्रू अलग अलग है। ऐसे में कंपनी ने ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू किया है, जिसके तहत सभी क्रू मेंबर्स को ऐसी ट्रेनिंग दी जाएगी, जिससे वह घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों तरह के विमानों में आसानी से काम कर सकेंगे।
Air India की इस नई व्यवस्था से कुछ कर्मचारी नाराज भी हैं, उन्होंने शिकायत की है कि उनसे बातचीत किए बिना ही ये सारे बदलाव कर दिए गए हालांकि अधिकतर कर्मचारी समझ रहे हैं कि अब कंपनी टाटा के हाथों में है और उनके तमाम मुद्दों पर कंपनी विचार करेगी कंपनी अपने बिज़नेस की कायापलट करने की पूरी तैयारी कर रही है यहाँ तक कि एयरलाइन्स के इतिहास में यह पहली बार है जब केबिन क्रू के लिए भी वीआरएस लाया गया है।
हालांकि इस वीआरएस स्कीम में पायलट को शामिल नहीं किया गया है। नए सिस्टम में पायलट और केबिन क्रू के वर्किंग आवर यानी काम करने के घंटे को भी तय किया जा रहा है। मौजूदा सिस्टम में देखा गया है कि कुछ क्रू मेंबर्स नब्बे घंटों की फ्लाइंग कर रहे हैं, जबकि कई सिर्फ बीस घंटे की फ्लाइट ही कर रहे हैं। ऐसे में अब दोनों के बीच के अंतर को खत्म करते हुए इसे बैलेंस करने की कोशिश हो रही है।
इतना ही नहीं पायलट को अब अपने आधिकारिक बेस से ड्यूटी पर रिपोर्ट करना होगा। अभी तक की व्यवस्था में वह अपनी पसंद की किसी जगह से फ्लाइट लेते थे और वहाँ जाने में होने वाला ट्रैवल पर खर्च और होटल में रुकने के खर्च का बिल कंपनी के नाम कर देते थे।
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नए बोइंग विमानों के लिए नैविगेशन हो रहा है जबकि पुराने विमानों को बेहतर किया जा रहा है ताकि लागत और क्वालिटी दोनों का ध्यान रखा जा सके एक अधिकारी के अनुसार उन विमानों को हटाया जा रहा है जो क्वालिटी स्टैंडर्ड पर खरे नहीं उतरते हैं इतना ही नहीं पायलट और क्रू मेंबर्स की मैनुअल रोस्टरिंग को भी बंद कर दिया गया है। इसकी जगह इलेक्ट्रिक रोस्टिंग शुरू की गई है, ताकि किसी तरह की गड़बड़ी किए जाने की आशंका ना बचे ।
बता दें, एयर इंडिया में बारह हज़ार कर्मचारी काम कर रहे हैं जिनमें आठ हज़ार कर्मचारी स्थायी और चार हज़ार अस्थायी है एयर इंडिया का मानना है कि एयर इंडिया में पांच हज़ार ऐसे स्थायी कर्मचारी हैं जो अगले पांच साल में रिटायर हो जाएंगे ।