Categories: विदेश

विदेश मंत्रालय ने कहा, अफगानिस्तान नहीं बनेगा भारत विरोधी गतिविधियों का केंद्र

Published by

जब कि अब यह तय हो गया है कि अगले कुछ ही दिनों में अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार का गठन हो जाएगा। तो भारत ने एक बार फिर से यह चिंता जताई है कि कहीं अफगानिस्तान भारत विरोधी गतिविधियों का केंद्र ना बन जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अफगानिस्तान के हालात को लेकर हाई लेवल की बैठक की थी। यह बैठक करीब 3 घंटे तक चली। इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, विदेशी मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी शामिल थे।
रिपोर्ट के मुताबिक बैठक में अफगानिस्तान के ताजा हालात के साथ-सथ भारत के भावी कदमों के बारे में भी चर्चाएं हुई। प्रधानमंत्री नियम हाई लेवल बैठक ऐसे वक्त में की है। जब एक दिन पहले ही मंगलवार को कतर में भारत के राजदूत दीपक मित्तल वह तालिबान नेता शेर मोहम्मद अब्बास स्टैनिकजई की मुलाकात हुई थी। भारत ने औपचारिक तौर पर तालिबान से बातचीत की। अभी भी अफगानिस्तान में कई भारतीय नागरिक फंसे हुए हैं। इसके अलावा अल्पसंख्यक समुदाय के कई अफगान नागरिक भारत आना चाहते हैं। भारत लाने के लिए सरकार “ऑपरेशन देवी शक्ति” चला रही है लेकिन अफगानिस्तान में अमेरिका की विदाई के बाद ही ऑपरेशन रुका हुआ है।

बाकी भारतीयों को अफगानिस्तान से कब वापस लाएगी सरकार

विदेश मंत्रालय ने बताया है कि पहले काबुल हवाई अड्डे शुरू हो जाए। इसके बाद से इस मुद्दे पर गौर करेंगे। गौरतलब है कि अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी की प्रक्रिया 31 अगस्त को ही पूरी हो चुकी है। काबुल हवाई अड्डा अभी भी तालिबान की कंट्रोल में है। फिलहाल उड़ाने भी बंद है। इसकी बाद भी विदेश मंत्रालय ने अफगानिस्तान के घटनाक्रम पर बताया कि हमारा जो इस बात पर है कि अफगान भूमि का उपयोग भारत के खिलाफ किसी आतंकवादी गतिविधियों के लिए नहीं होना चाहिए। क्या भारत तालिबान के साथ और बैठक कर सकेगा। इस संबंध के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि इस बारे में साझा करने के लिए मेरे पास कोई नई जानकारी नहीं है। अंदाजा भी नहीं लगाना चाहता। उन्होंने कहा मैं भविष्य के बारे में अटकलें नहीं लगाना चाहता। मेरे पास उस संबंध में साझा करने के लिए कोई नई जानकारी नहीं है।
विदेश मंत्रालय ने बृहस्पतिवार का कहां कि भारत का तत्काल जोर ये सुनिश्चित करने पर है। अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल उसके खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों के लिए नहीं होना चाहिए। हालांकि इसके दो दिन पहले ही कतर में भी भारतीय दूत में तालिबान के एक शीर्ष नेता के साथ बातचीत की थी।

भारत की चिंता बेवजह नहीं है

भारत की चिंता में बेवजह नहीं है। जब तालिबान ने पूर्व में सत्ता में था। तब पाकिस्तान की सारी पर वहां से काफी भारत विरोधी गतिविधियां हुई थी। अगर देखा जाए तो आज का तालिबान भी पूरी तरह से पाकिस्तान के शिकंजे में ही है। हालांकि तालिबान की तरफ से यह कहा जा रहा है कि वह भारत के साथ सामान मित्रवत रिश्ता रखना चाहता है। लेकिन भारत भी बखूबी इस बात को समझ रहा है कि जो लोग सत्ता में होंगे वह वर्षों से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ काम करते हैं।

अलकायदा धमकी दे चुका है.

कुछ जानकारों का कहना है कि हाल ही के दिनों में भारतीय विदेशी मंत्री ने अमेरिका, यूरोप व ब्रिटेन संघ के देशों के विदेश मंत्रियों से जो बात की है। उसमें प्रमुख तौर पर इसी मुद्दे पर बात हुई थी कि किस तरह से अंतरराष्ट्रीय बिरादरी अफगानिस्तान को आतंकी गतिविधियों का केंद्र बनने से रोक सकता है। भारत की चिंता का कारण यही है कि अल कायदा जैसे आतंकी संगठनों के अफगानिस्तान में मजबूत होने के संकेत मिल रहे हैं। चूंकि अलकायदा ने भारत को कश्मीर के मुद्दे पर भी धमकी दी थी।

Share
Published by

Recent Posts