शर्मनाक : मीडिया है या मजाक

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई और सभी को भाषण सुनाया सिर्फ भाषण सुनाया। प्रेस को नहीं दिया सवाल पूछने का मौका।

प्रेस कॉन्फ्रेंस

( शर्मनाक ) अब तक तो प्रेस कॉन्फ्रेंस का मतलब पत्रकार द्वारा सत्ता से सवाल करने के लिए प्रेस को आमंत्रित करना था और सत्ता की बात को जनता तक पहुंचाना था लेकिन मुख्यतः सत्ता से सवाल करना ही प्रेस कॉन्फ्रेंस का मतलब था । ( शर्मनाक ) लेकिन बीजेपी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस का मतलब बदल दिया है आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की एक नई परिभाषा गढ़ी है जिसका मतलब प्रेस कॉन्फ्रेंस में आए सारे पत्रकारों का काम सिर्फ और सिर्फ भाषण सुनना और सिर्फ भाषण सुनना ही है।( शर्मनाक ) योगी आदित्यनाथ की प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकार  यह सोच कर गए थे कि वह अपने साथी पत्रकार की पिटाई से संबंधित सवाल पूछेंगे और लखीमपुर में महिला की साड़ी खींची गई इस दुर्व्यवहार से संबंधित प्रश्न पूछेंगे और चुनाव में हो रही हिंसा के विषय में प्रश्न पूछेंगे लेकिन पत्रकारों को सवाल पूछने का मौका ही नहीं दिया ।पत्रकार अपने मन में जितने सवाल लेकर गए थे उनसे ज्यादा सवाल मन में लेकर आ गए। और उन्हें अपने  किसी भी सवाल का जवाब नहीं मिला बल्कि सवाल पूछने का मौका ही नहीं मिला।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश में लड़कियां आधी रात में सड़क पर बिना डरे निकल सकती हैं।

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सीएम योगी से पहले ही भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश में राम राज्य आ गया है कि आधी रात में भी लड़कियां सड़क पर निकल सकती हैं।  फिर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ है सबको बधाई। पत्रकारों ने सोचा था कि चलो  भाषण के बाद सवाल पूछ लेंगे लेकिन पत्रकारों को सवाल पूछने का कोई मौका नहीं दिया। ( शर्मनाक ) कुछ पत्रकारों ने तो अपना माथा पीट लिया कि भाषण ही सुनना था तो ऑनलाइन ही मन की बात की तरह सुन लेते योगी जी के समक्ष जाने की क्या आवश्यकता थी।

मीडिया का स्तर इतना नीचे गिर गया है कि अब पत्रकारों की हैसियत सवाल पूछने की नहीं बची है इसलिए योगी आदित्यनाथ ने पत्रकारों को सवाल पूछने का मौका देने को जरूरी नहीं समझा

शर्मनाक देश में मीडिया का स्तर इतना नीचे गिर गया है कि कोई मीडिया को मीडिया नहीं बस मजाक समझता है। अब मीडिया सरकार की आवाज को उठाने के लिए नहीं होती है केवल सरकार के तलवे चाटने के लिए है। जो मीडिया जनता के सवालों को सत्ता से पूछता है उन्हें चुप करा दिया जाता है। ( शर्मनाक ) किसी पत्रकार को डरा धमका दिया जाता है और यदि कोई पत्रकार धमकियों से नहीं डरता तो उसे मौत के घाट उतार दिया जाता है जो चापलूसी करके सवाल पूछे कि आम कैसे खाते हैं उन्हें इनाम दिया जाता है और जो जनता की मुद्दों को उठाए और चुभने वाले सवाल पूछे उन्हें थप्पड़ दिए जाते हैं । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं भी मीडिया को पैरों की धूल समझते हैं कुछ दिनों पहले मुख्यमंत्री योगी जी ने ANI के पत्रकार को भूतिया शब्द से संबोधित किया था जो मीडिया के लिए शर्म से डूब मरने वाली बात है।

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