विश्व स्वास्थ्य संगठन : खतरनाक रसायनों के संपर्क में आने से प्रतिदिन हो रही है 5480 लोगों की मौतें ?

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मानव द्वारा की गई खोज, मानव के लिए ही खतरा

विश्व स्वास्थ्य संगठन खतरनाक रसायनों से बढ़ता मनुष्य की मृत्यु का आंकड़ा :-

कुछ रसायन मानव और जीव धारियों के लिए जरूरी  होते हैं और लाभदायक भी होते हैं। लेकिन यहां उन रसायनों के बारे में बताया जा रहा है जो मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं और अन्य जीव धारियों पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक ने एक फोरम का आयोजन किया था जिसका नाम बर्लिन फोरम ऑन केमिकल एंड सस्टेनेविलिटी :एबिसन एण्ड एक्शन 2030 में कहा कि खतरनाक रसायनों के संपर्क में आकर 1 दिन में 5480 लोगों की मृत्यु हो रही है । यह बहुत ही भयावह और चिंताजनक मामला है। रासायनिक पदार्थ कई स्रोतों द्वारा मानव शरीर में पहुंच जाते हैं और हानि पहुंचाते हैं। इससे मरने वालों का आंकड़ा दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन यह रसायन हवा ,पानी ,अनाज ,पेंट द्वारा मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर रहे हैं और मनुष्य को पता भी नहीं चल रहा है कि हमारे शरीर में रसायन का भंडार बनता जा रहा है।

वर्ष 2016 में खतरनाक रसायनों के संपर्क में आने कारण 16.6 लाख लोगों की मृत्यु हो गई और खतरनाक रसायनों के संपर्क में आकर लोगों की मृत्यु का आंकड़ा 2019 मे बढ़कर 2000000 हो गया। और अब यह आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है और शायद यह आंकड़ा बढ़ता ही जाएगा क्योंकि रसायनों के प्रयोग को रोकने के लिए कोई कठोर कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। वैसे तो बहुत से खतरनाक रासायनिक पदार्थ है लेकिन इन खतरनाक रसायनों में शीशा, आर्सैनिक एस्वेस्टस , बेंजीन आदि शामिल है। वर्ष 2015 से 2019 तक खतरनाक रसायनों से 67% वृद्धि हुयी हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन जल के द्वारा पहुंच जाते हैं मनुष्यों के शरीर में कई प्रकार के रसायन :-

उद्योग से जल में घरेलू अपशिष्ट ,अपमार्जक , सीवेज लाइन का गंदा पानी जब शुद्ध जल में मिल जाता है या फिर नदियों में मिल जाता है जिससे कई प्रकार के रसायन नदियों में तैरने लगते हैं और इस जल का मनुष्य तथा अन्य प्राणी प्रयोग करते हैं तो उनमें भी यह रसायन प्रवेश कर जाते हैं। जिससे कई प्रकार की बीमारियां उत्पन्न होती हैं जो मनुष्यों के और अन्य जीवो की मृत्यु का कारण बनती हैं। कृषि में उपयोग की जाने वाली कीटनाशक दवाओं और रासायनिक खाद भी इस त्रासदी के लिए जिम्मेदार है। विश्व स्वास्थ्य संगठन विश्व स्वास्थ्य संगठन क्योंकि किसानों द्वारा जब यह रासायनिक खाद और कीटनाशक दवाएं खेतों में डाली जाती हैं तो वह  बरसात के पानी के साथ बहकर नदियों तालाबों में जमा हो जाते हैं । और कई प्रकार के स्रोतों द्वारा जैसे कि मछलियों के सेवन या फिर सीधे नदी के जल के प्रयोग करने से मनुष्यों में रसायन प्रवेश कर जाता है और मृत्यु हो जाती है।

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जल ही जीवन है लेकिन यह कोई नहीं कहता है कि शुद्ध जल जीवन है और प्रदूषित जल मृत्यु

जापान के कुमामोटी (कुओमितांग) क्षेत्र की एक कंपनी ‘चिस्सो कॉरपोरेशन’ ने 1932 से 1968 के बीच पारे को अपशिष्ट के रूप में समुद्र में छोड़ दिया। जिसका सेवन वहां की मछलियों ने किया और फिर इसके बाद उन्हीं मछलियों का सेवन जापान के लोगों ने किया जिससे उनमें मिनीमाता रोग फैल गया। विश्व स्वास्थ्य संगठन इस रोग को मिनीमाता नाम इसलिए दिया गया क्योंकि मिनीमाता खाड़ी में समुद्री जल में पारे का सेवन की हुई मछलियां पकड़ी गई और वहां के लोगों ने मछलियों का सेवन किया। जिससे लोगों में मिनीमाता रोग फैल गया।

जल में कई प्रकार के रासायनिक पदार्थ मिल जाते हैं जिससे जल पर अवांछनीय प्रभाव पड़ता है और प्रदूषित जल के सेवन से पेचिश, अतिसार ,पीलिया हैजा आदि रोग फैल जाते हैं और उचित इलाज ना मिल पाने के कारण लोगों की मृत्यु हो जाती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन वायु द्वारा पहुंच जाते हैं मनुष्य के शरीर में कई प्रकार के रसायन :-

वायु द्वारा कुछ रसायनिक गैस सीधे सांस के द्वारा हमारे अंदर प्रवेश कर जाती हैं और बीमार और बहुत बीमार बना देती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन कल कारखानों वाहनों से निकलने वाले कार्बन डाइऑक्साइड और सल्फर एवं नाइट्रोजन ऑक्साइड से मानव स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। मनुष्यों के साथ-साथ पेड़ – पौधों अन्य जीव धारियों पर भी इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है जो एक पारिस्थितिकी के तंत्र को चरमरा देता है। कल कारखानों से निकलने वाला धुआं जब वायुमंडल में फैल जाता है तो वह ऊपर ही ऊपर जलवाष्प से क्रिया करके सल्फ्यूरिक एसिड का निर्माण करता है और वर्षा के साथ धरातल पर बरस जाता है । इस रासायनिक वर्षा को अम्ल वर्षा के नाम से जानते हैं। जब यह रसायन की वर्षा होती है तो घास वनस्पतियां कुछ रसायन अपने अंदर समाहित कर लेते हैं और जब यह घास- वनस्पति गाय या अन्य पशु खाते हैं तो वनस्पति से पशुओं में रसायन प्रवेश कर जाता है फिर उन्हीं पशुओं का मांस या दूध मनुष्य खाता है तो उसके अंदर रसायन का ट्रांसफर हो जाता है और कई बीमारियों का जन्म होता है।

हमारे जिंदा रहने के लिए ऑक्सीजन अति आवश्यक है लेकिन उसे ऑक्सीजन में कई प्रकार की गैसों का मिश्रण हो जाता है जिससे मानव स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है।

कई बार कारखानों से जहरीली रासायनिक गैसों का रिसाव हो जाता है जिससे कुछ ही समय में हजारों लोगों की मृत्यु हो जाती है। भोपाल में दो 3 दिसंबर 1984 में मिथाइल आइसोसायनाइड गैस का सर्द रात में रिसाव हो गया था जिससे कुछ ही घंटों में हजारों लोगों की मौत हो गई थी।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन कृषि में कई प्रकार के रासायनिक पदार्थों एवं कीटनाशक दवाओं के प्रयोग से मानव स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव :-

कृषि में रासायनिक पदार्थ एवं कीटनाशक दवाओं के प्रयोग से मानव स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है क्योंकि रासायनिक पदार्थों का प्रयोग करके जो फसल उगाई जाती है तो उस फसल में भी रसायनों के कुछ अंश आ जाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन इससे मिट्टी में भी रासायनिक गुण आ जाते हैं और जो कि बहुत ही हानिकारक होते हैं और मिट्टी की उर्वरा शक्ति इससे समाप्त हो जाती है।

कृषि में अंधाधुंध प्रयोग होता रासायनिक खाद और कीटनाशक दवाओं का जिससे पड़ रहा है मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव

आर्सेनिक ,ऐस्बेस्टस , बेंजीन से होने वाले कैंसर से हर साल 3500000 से अधिक लोगों को असमय मृत्यु हो जाती है। और लेड का प्रयोग पेंट में बहुत ज्यादा मात्रा में हो रहा है जिससे मानव स्वास्थ्य पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है । W.H.O. और यूनिसेफ ने भी कहा है कि हर तीसरे बच्चे में सीसे की मात्रा ज्यादा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन पेंट में शीशे को मिला देने से पेंट गाढ़ा, जंग रोधी और जल्दी सूखने वाला हो जाता है । जिससे इसकी मांग बढ़ीं है लेकिन कई देशों में लेड युक्त पेंट पर रोक लगा दी गई है।

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