रूस यूक्रेन विवाद : महासभा में निंदा प्रस्ताव पर भारत ने नहीं लिया हिस्सा

Published by

भारत ने बुधवार को हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा मे रूस के खिलाफ हुए निंदा प्रस्ताव में भाग नहीं लिया। उस ने यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता की कड़ी निंदा की। रूस यूक्रेन संकट के बीच 1 सप्ताह के भीतर ऐसा तीसरा प्रस्ताव यूएन में रखा गया था। रूस द्वारा किए गए युक्रेन के खिलाफ हमले की निंदा के लिए महासभा में एक निंदा प्रस्ताव चर्चा और मतदान के लिए रखा गया था। निंदा प्रस्ताव के पक्ष में 141 सदस्यों ने मतदान किया तो वही 5 ने विरोध में। भारत सहित 35 सदस्य देशों ने वोटिंग में भाग नहीं लिया।

निंदा प्रस्ताव पारित

रूसी हमले के खिलाफ निंदा के लिए महासभा में निंदा प्रस्ताव पेश किया गया था। जहां पर सभी देशों ने इस पर चर्चा मे भाग लिया। बुधवार को महासभा के भीतर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर यूक्रेन की संप्रभुता,एकता और अखंडता के प्रति प्रतिबद्धता की पुष्टि करने के लिए मतदान हुआ। यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता की निंदा की गई।

प्रस्ताव में रूस के परमाणु हथियारों की तैनाती के फैसले के खिलाफ भी कड़ी शब्दों में निंदा की गई। साथ ही इस आक्रामकता में रूस का साथ देने वाले मित्र बेलारूस की भी निंदा की गई। प्रस्ताव में मध्यस्था और कूटनीति से रूस और यूक्रेन के बीच विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के लिए भी आग्रह किया गया।

क्या रहा परिणाम

रूस और उसके मित्र देशों के खिलाफ पेश किए गए निंदा प्रस्ताव पर चर्चा के बाद मतदान हुआ। 193 सदस्य महासभा में 146 देशों ने मतदान में हिस्सा लिया। 141 देशों ने प्रस्ताव के पक्ष तो 5 देशों ने इसके विरोध में मतदान किया। भारत समेत 35 सदस्य देश ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। प्रस्ताव पारित होने पर महासभा में तालियां भी बजाई गई किसी भी प्रस्ताव को महासभा में पारित होने के लिए दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है।

भारत ने नहीं लिया मतदान में हिस्सा

भारत शुरू से विवाद शांतिपूर्ण समाधान की वकालत करता रहा है। भारत में फिर एक बार तटस्थ रुख अपनाते हुए मामले को कूटनीतिक रास्ते से हल करने की बात कही। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि त्रिमूर्ति ने कहा कि “भारत यूक्रेन में बिगड़ते हालात को लेकर बेहद चिंतित है. खरकीव में एक भारतीय नागरिक की मौत भी हुई है।

हम उनके परिवार और उस संघर्ष में अपनी जान गवाने वाले प्रत्येक नागरिक के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं। हम अपने छात्रों सहित सभी भारतीय नागरिकों के लिए सुरक्षित और निर्बाध मार्ग की मांग करते हैं। त्रिमूर्ति ने आगे कहा “हम यूक्रेन के सभी पड़ोसी देशों को अपनी सीमा खोलने और इस समय हमारे दूतावासों को सभी सुविधाएं देने के लिए धन्यवाद देते हैं।”

भारत,पाकिस्तान,बांग्लादेश,चीन और श्रीलंका समेत कई देश मतदान में अनुपस्थित रहे। वही प्रस्ताव के विरोध में कोरिया बेलारूस ऐसे देश आए।

Share
Published by

Recent Posts